पसंद अपनी अपनी - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Moral Stories
"बिजली घर-बिजली घर---ऑटोवाला ज़ोर ज़ोर से आवाज लगा रहा था।उमेश को देखते ही ऑटो वाले ने पूछा था।"कमलानगर जाना है।""कमलानगर के लिए बिजलीघर से बस मिलेगी,"ऑटोवाला बोला,"आइये।आपकेे बैठते ही चल दूंगा।"ऑटो में दो सवारी बैठी थी। ...Read Moreकोने में युुुवती दूसरे कोने में मज़दूूूर सा दिखने वाला आदमी।उन दोनों के बीच जगह खाली थी।उमेश उस जगह बैठ गया।उसके बैठते ही ऑटो चल पड़ा।उमेश ने बगल में बैठी युवती पर नज़र डाली।लम्बा कद,छरहरा बदन,सांवला रंग और साधारण नैैैन नकश के बावजूद उसमे कशिश थी।इसकी वजह थी।उसकी उनींदी ऑखें।कोने में बैठी युवती चलते ऑटो में क़भी दांये, कभी बांये देख रही थी।ऐसा
"बिजली घर-बिजली घर---ऑटोवाला ज़ोर ज़ोर से आवाज लगा रहा था।उमेश को देखते ही ऑटो वाले ने पूछा था।"कमलानगर जाना है।""कमलानगर के लिए बिजलीघर से बस मिलेगी,"ऑटोवाला बोला,"आइये।आपकेे बैठते ही चल दूंगा।"ऑटो में दो सवारी बैठी थी। ...Read Moreकोने में युुुवती दूसरे कोने में मज़दूूूर सा दिखने वाला आदमी।उन दोनों के बीच जगह खाली थी।उमेश उस जगह बैठ गया।उसके बैठते ही ऑटो चल पड़ा।उमेश ने बगल में बैठी युवती पर नज़र डाली।लम्बा कद,छरहरा बदन,सांवला रंग और साधारण नैैैन नकश के बावजूद उसमे कशिश थी।इसकी वजह थी।उसकी उनींदी ऑखें।कोने में बैठी युवती चलते ऑटो में क़भी दांये, कभी बांये देख रही थी।ऐसा
"रोको,"उमेश के बांयी तरफ बैठा आदमी बोला था।ऑटो रुकते ही वह आदमी उतर गया।उसके उतर जाने पर हुई खाली जगह में उमेश खिसक गया था। सड़क पर लोग आ जा रहे थे।अचानक ऑटो के सामने एक साईकल ...Read Moreआ गया।उसे बचाने के चक्कर मे ऑटो ने ऐसा टर्न लिया कि युवती सम्हलेते सम्हलते भी युवती उमेश की गोद मे आ गिरी।ऐसा होने पर उमेश को बहुत अच्छा लगा।उसने मन ही मन सोचा।काश युवती इसी तरह उसकी गोद मे पड़ी रहे।लेकिन उसने जैसा सोचा था,वैसा नही हुआ।युवती फुर्ती से उसकी गोद से उठते हुए बोली,"सॉरी।"उमेश शालीनता से बोला,"ऐसा हो जाता है।'बिजलीघर
मै देखती हूं ।विमला पलंग से उठते हुए बोली।माँ के उठते ही वह पलंग पर लेट गई।वह अपनी सहेली निशा के घर गई थी।धूप और गर्मी की वजह से परेशान हो गई थी।विमला कुछ देर बाद ही कमरे में ...Read Moreआयी तो उसने पूछा था, क्या हुआ मम्मी? मैने तेरे पापा को भेजा है। मम्मी आप भी----आप जानती है।पापा भोले भंडारी है।उस लफंगे से कुछ नही कह पाएंगे।आपको खुद जाकर उस लफंगे की खबर लेनी चाहिए थी। अनजान आदमी से औरत का उलझना सही नही है ।विमला ने बेटी को समझाया था। अजी सुनती हो ।माँ बेटी बातें कर रही थी।तभी रामलाल की आवाज सुनाई पडी थी, जरा पानी