jindagi ki safar veltileter tak book and story is written by Suhani. in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. jindagi ki safar veltileter tak is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
जिंदगी की सफर वेंटिलेटर तक - Novels
by Suhani.
in
Hindi Short Stories
आज मे आपक एक कहानी सुनाती हु जिसका मे हिस्सा भी हु ओर किस्सा हु।साम के साडे सात बजे थेे ,घर मे चहल पहल थी, अचाानक घर मे एक इन्सान का आना हुआ , वो सीधे चलकर रसोईघर तक चला गया जहा मम्मी खाना पका रही थी। ओर वो आदमी मम्मी से कुछ बात कही मम्मी तुरंत ही भागते हुए हमाारे पास आई जहा सारे घर के लोग जमा होकर बेथे थे, ओर वो इतनी घबरा गई थी उन्हे डेख कर बाकी के लोग भी घबरा गए, समाचार ही कुछ ऐसे थी वो बहोत घबरा कर हम सब को कहने
आज मे आपक एक कहानी सुनाती हु जिसका मे हिस्सा भी हु ओर किस्सा हु।साम के साडे सात बजे थेे ,घर मे चहल पहल थी, अचाानक घर मे एक इन्सान का आना हुआ , वो ...Read Moreचलकर रसोईघर तक चला गया जहा मम्मी खाना पका रही थी। ओर वो आदमी मम्मी से कुछ बात कही मम्मी तुरंत ही भागते हुए हमाारे पास आई जहा सारे घर के लोग जमा होकर बेथे थे, ओर वो इतनी घबरा गई थी उन्हे डेख कर बाकी के लोग भी घबरा गए, समाचार ही कुछ ऐसे थी वो बहोत घबरा कर हम सब को कहने
अब तक की हमारी कहानी ये थी की अचानक एक आदमी हमारे घर मे आजाता है ओर सीधे चलकर रसोईघर तक चला जाता है, ओर मम्मी को कुछ बता ता है ,वो सुनकर मम्मी आकर हमे बताती ...Read Moreये थी की मेरे भाई को डुसरे अस्पताल मे ले जाया गया था ।हम रात के साडे बारा बजे अस्पताल जाने वाले थे लेकिन मामा के मना करने पर नही गए थे।अब आगे रात को नही जापाए उस बाट के अफसोस कै साथ सुबह जल्दी उठ गए ,ताकि अस्पताल जल्दी जा सके ।सब लोग जल्दी से तैयार होकर अस्पताल जाने के लिए
पिछले दो दिनो से हम अस्पताल जा रहे थे, लेकिन कुछ वजह से हमे भाई को नही मिलने दिया जा रहा था।आज तीसरा दिन था जब मे अस्पताल जाने वाली थी ,लेकिन आज मे अकेली जाने वाली थी,सुबह सात ...Read Moreउठ गई ओर नो बजे मै अस्पताल पहुच गई, लेकिन ये जो कुछ घंटे थे जहा मुझे इंतजार करना था आई सी यु मे जाने के लिए ये सायद मेरी जिंदगी का सबसे लम्बा इंतजार था।कही भी कुछ समझ नही आ रहा था ओर जल्दी से मुझे मेरे भाई को देखना था, दिल ओर दिमाग सुन सा हो गया था