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जादूगर जंकाल और सोनपरी - Novels
by राज बोहरे
in
Hindi Children Stories
जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे जादूगर जंकाल और सोनपरी बहुत पुरानी बात है। जब इस देश में जादूगर और परी, बहुत सारे राजा और उनके छोटे छोटे राज, हुआ करते थे। शिवपुर गांव के शिवमंदिर के आसपास बहुत मधुर धुन में वंशी की धुन गूंज रही थी जिसे सुनकर गाय भैंस भी खुश होकर वंशी बजाने वाले उस लड़के को देखने लगी थीं जो कि बरगद के पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठकर वंशी बजा रहा था। आइये हम इसी वंशी वाले लड़के शिवपाल की कहानी सुनते हैं। उस
जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे ...Read Moreजादूगर जंकाल और सोनपरी बहुत पुरानी बात है। जब इस देश में जादूगर और परी, बहुत सारे राजा और उनके छोटे छोटे राज, हुआ करते थे। शिवपुर गांव के शिवमंदिर के आसपास बहुत मधुर धुन में वंशी की धुन गूंज रही थी जिसे सुनकर गाय भैंस भी खुश होकर वंशी बजाने वाले उस लड़के को देखने लगी थीं जो कि बरगद के पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर बैठकर वंशी बजा रहा था। आइये हम इसी वंशी वाले लड़के शिवपाल की कहानी सुनते हैं। उस
2 जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे ठीक तभी परी भी प्रकट हो गयी और शिवपाल की मां से बोली कि आप बहुत अच्छी महिला है जो अपने बेटे को दूसरों की मदद करने के ...Read Moreप्रेरणा देती है। मां ने बड़ी रूचि से अपने बेटे को खाना बनाकर प्रेम से पंखा झलते हुए सामने बैठा कर खिलाया। परी से खाने के लिए पूछा तो परी कहने लगी कि हम तो फूलों की पराग और फलों की सुगंध से पेट भर लेती है। अगली सुबह जब तारे नही डूबे थे मां उठी और उसने बेटा
जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 3 पांचवे समुद्र को पार करते समय शिवपाल ने देखा कि समुद्र में तूफान आया हुआ है और बीच समुद्र में दो लोग एक छोटी सी नाव ...Read Moreखड़े हुए बिलख बिलख कर रो रहे हैं। शिवपाल ने चटाई रोककर बाज को उन्हे उठा लाने का इशारा किया तो बाज ने पंख फड़फड़ाकर एक जोरदार कुलांच भरी और अपने एक एक पंजे से एक एक आदमी को पकड़ कर उठा लिया। दोनों लोग चटाई पर बैठे तो बचाने के लिए उन्होंने शिवपाल को धन्यवाद दिया । शिवपाल ने उनके घर का
जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 4 कुछ ही देर में वे समुद्र को पार कर चुके थे और मगरमच्छ गहरे पानी से जमीन की तरफ बढ़ रहा था। ...Read More इस तरह सबसे कठिन लगने वाली इस यात्रा में एक एक करके इस तरह सातों समुद्र पार करने के बाद वे लोग उस टापू पर जा कर उतर गये थे जिस पर जादूगर ने अपना किला बना रखा था। मगरमच्छ की पीठ से टापू की जमीन पर उतरते शिवपाल को देख कर परी शिवपाल के पास आयी और उसके हाथ जोड़ बोली कि यहां तक तो
जादूगर जंकाल और सोनपरी बाल कहानी लेखक.राजनारायण बोहरे 5 आगे बढ़ने पर और ज्यादा गाढ़ा धुंआ दिखने लग गया था। अभी वह दो सौ कदम ही आगे बढ़ा होगा कि उसके घोड़े के पांव थम गये। ...Read Moreने घोड़े के रूकने का कारण जानने के लिए रास्ते पर आगे नजरें गढ़ाई तो डर की वजह से उसे पसीना आ गया, उसके सारे बदन में एक बार भय की लकीर सी फैल गयी। सामने पच्चीस तीस खूंख्वार भेड़िए रास्ता रोके खड़े हुए अपनी लम्बी जीभ लपलपा रहे थे। शिवपाल ने सोचा कि बस अब गयी जान, दोनों ही मारे जायेंगे।