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सत्यजीत सेन (एक सत्यान्वेषक) - Novels
by Aastha Rawat
in
Hindi Detective stories
सत्यजीत सेन एक सत्यान्वेशकभाग - 1 -सत्यन्वेशक का पहला सत्यान्वेषण ( सुर्दशन बाबू की हत्या )यह मेरा पहला उपन्यास हैं। आशा है आपको पसंद आए।यह एक जासूसी उपन्यास हैं।यह उपन्यास आप के मनोरंजन के लिए बनाया गया है और साथ ही यह कहानी इस समय से इस माहौल से हटकर पहले के समय पर आधारित है। जिसके द्वारा यह साफ़ दिखता है कि आज कल के समय में पहले के समय से कितना अंतर था। पहले के समय में मित्रता मनुष्यता आज के समय से कितनी क्षेष्ठ थी यह सत्यजीत और अरूप की
सत्यजीत सेन एक सत्यान्वेशकभाग - 1 -सत्यन्वेशक का पहला सत्यान्वेषण ( सुर्दशन बाबू की हत्या )यह मेरा पहला उपन्यास ...Read Moreआशा है आपको पसंद आए।यह एक जासूसी उपन्यास हैं।यह उपन्यास आप के मनोरंजन के लिए बनाया गया है और साथ ही यह कहानी इस समय से इस माहौल से हटकर पहले के समय पर आधारित है। जिसके द्वारा यह साफ़ दिखता है कि आज कल के समय में पहले के समय से कितना अंतर था। पहले के समय में मित्रता मनुष्यता आज के समय से कितनी क्षेष्ठ थी यह सत्यजीत और अरूप की
उसने अंदर प्रवेश किया अंदर हालदार बाबू और वह गली वाले महाशय बैठे थे। उन महाशय ने अरूप को आश्चर्य से देखा तभी हालदार बाबू बोले आओ अरुप आओ बैठो जी । ...Read Moreइनसे मिलो यह है सत्यजीत सेन बाबूहालदार बाबू ने उन श्रीमान का परिचय देते हुए कहांसत्यजीत बाबू ने हाथ जोड़कर अभिवादन किया अरुप ने भी हाथ जोड़कर उनका अभिवादन स्वीकार किया हालदार बाबू ने सत्यजीत बाबू को अरुप का परिचय देते हुए बोले यह है अरूप घोष हमारे नीचे वाले मकान में रहते हैं हमारे परिवार के सदस्य जैसे हैंअरुप यह सत्यजीत बाबू तुम्हारे कमरे के बगल वाले कमरे में रहने
सुबह का समय था सत्यजीत और अरूप जी दोनों नहा कर तैयार थे ।सत्यजीत -चलो अरूपअरूप -हां चलो मैं सोच रहा हूं आज कि मैं पूरी दिनचर्या ही लिख लूँ ।सत्यजीत -हां ठीक हैफिर अरुप बाबू ने अपनी डायरी ...Read Moreलिखना शुरु कर दिया - सुदर्शन बाबू की हत्यासत्यजीत और मैं घर से निकले और सत्यजीत ने गाड़ी को रोका और हम दोनों हरिनाथ बाबू के घर पहुंचे दो मंजिला घर था बड़ा सा दिखने में भी बहुत सुंदर था मैंने दरवाजा खटखटाया तभी भीतर से किसी महिला की आवाज आई 'आ
में और सत्यजीत सुदर्शन बाबू के घर पहुंचे वहां पहले से ही करुणा और परिवार उपस्थित था और सामने वाली कुर्सी पर इंस्पेक्टर साहब भी बैठे थे। करुणा दिखने में सीधी सादी औरत लग रही थी उसके साथ उसके ...Read Moreऔर दोनों बच्चे भी थे। हमें आता देख इंस्पेक्टर साहब हमारे पास आने लगे । उन्हें आता देख सत्यजीत कहने लगा इंस्पेक्टर आ रहा है। तैयार है जाओ। क्यों भला कोई युद्ध लड़ना है क्या। सत्यजीत – युद्ध ही है अरूप । इंस्पेक्टर , अरे आइए सत्यजीत बाबू आपका ही इंतजार था। आखिरकार आप आ ही गए हरिनाथ के घर
घर के पास ही एक भोजनालय था जहां से रोटी सब्जी बंधवा कर मैं लॉज की घर की सीढ़ियां चढ़ने लगा। रात का खाना बनाने की तो झंझट ही खत्मवरना सत्यजीत की हाथों की फुल्की रोटियां खा कर तो ...Read Moreही फूल गया है।घर की दहलीज पर पहुंचकर जैसे ही दरवाज़ा खटखटाया क्या देखता हूं इंस्पेक्टर साहब ने दरवाजा खोलाआइए आईए अरूप जी अंदर आइए।आपका ही इंतजार था सत्यजीत भी कुर्सी पर बैठा हुआ था।मेरे अंदर घुसते ही इंस्पेक्टर बोलाअरे अरूप बाबू चाय पिलाएंगेमन तो किया साफ ना बोल दूं पर सर हिलाते हुए में रसोई में चला गया।एक कप