क्षत्राणी--कुंती की व्यथा - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Mythological Stories
"मुझे राज्य के छिन्न जाने का दुख नही है।पुत्रो के जुए मे हार जाने और वनवास जाने का भी बिल्कुल दुख नही है।परंतु भरी सभा मे मेरी पुत्र वधू का जो अपमान हुआ है और रोते हुए द्रौपदी ...Read Moreकौरव सभा मे जो कटु वचन सुने,वही मेरे लिए महान दुख का कारण बन गया है।"शकुनि की सलाह पर दुर्योधन ने पांडवों को जुआ खेलने का निमन्त्रण दिया था। पांडव जुए में अपने को, अपने राज को औऱ पत्नी द्रोपदी को भी हार गए थे।तब भरी सभा मेे दुर्योधन अट्टहास करके विदुुुर से बोला"तुम पांडवो की प्रियतमा द्रोपदी को यंहा
"मुझे राज्य के छिन्न जाने का दुख नही है।पुत्रो के जुए मे हार जाने और वनवास जाने का भी बिल्कुल दुख नही है।परंतु भरी सभा मे मेरी पुत्र वधू का जो अपमान हुआ है और रोते हुए द्रौपदी ...Read Moreकौरव सभा मे जो कटु वचन सुने,वही मेरे लिए महान दुख का कारण बन गया है।"शकुनि की सलाह पर दुर्योधन ने पांडवों को जुआ खेलने का निमन्त्रण दिया था। पांडव जुए में अपने को, अपने राज को औऱ पत्नी द्रोपदी को भी हार गए थे।तब भरी सभा मेे दुर्योधन अट्टहास करके विदुुुर से बोला"तुम पांडवो की प्रियतमा द्रोपदी को यंहा
द्रौपदी सभा मे जो भी बात कह रही थी।पांडवो की तरफ देखते हुए कह रही थी।पांडवो को जितना दुख द्रौपदी की दूर्दशा देख कर हो रहा था।उतना राज व अन्य वस्तएं छिन्न जाने पर भी नही हुआ था।पांडवो ...Read Moreदेखकर दुशासन,"ओ दासी,ओ दासी कहते हुए द्रौपदी को और भी जोर से घसीटने लगा।कर्ण और शकुनी उसकी प्रशंसा करके उसका उत्साहवर्धन कर रहे थे।दुशासन ने द्रोपदी को बीच सभा मे लाकर छोड़ दिया।द्रौपदी सभा मे खड़े होते हुए बोली,"युधिष्ठर ने हारने के बाद मुझे दांव पर लगाया था।क्या हारा हुआ व्यक्ति किसी को दांव पर लगा सकता है?"पांडवो का दुख और