Purnata ki chahat rahi adhuri book and story is written by Lajpat Rai Garg in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Purnata ki chahat rahi adhuri is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
पूर्णता की चाहत रही अधूरी - Novels
by Lajpat Rai Garg
in
Hindi Love Stories
पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग समर्पण स्मृति शेष मामा श्री वज़ीर चन्द मंगला को जो कॉलेज के समय में मेरी छुट-पुट रचनाओं के प्रथम श्रोता रहे तथा जिनकी प्रेरणा सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ने में मेरी पथ-प्रदर्शक बनी। मरणोपरान्त देहदान करने वाले हमारे परिवार के प्रथम एवं अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी की स्मृति को शत् शत् नमन। यह उपन्यास - पूर्णता की चाहत रही अधूरी - पूर्णतः काल्पनिक घटनाओं एवं पात्रों को लेकर लिखा गया है। इसके सभी पात्र तथा घटनाएँ यथार्थ में सम्भावित होते हुए भी लेखक की कल्पना की उपज हैं। किसी भी जीवित अथवा
पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग समर्पण स्मृति शेष मामा श्री वज़ीर चन्द मंगला को जो कॉलेज के समय में मेरी छुट-पुट रचनाओं के प्रथम श्रोता रहे तथा जिनकी प्रेरणा सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ने में मेरी पथ-प्रदर्शक ...Read Moreमरणोपरान्त देहदान करने वाले हमारे परिवार के प्रथम एवं अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी की स्मृति को शत् शत् नमन। यह उपन्यास - पूर्णता की चाहत रही अधूरी - पूर्णतः काल्पनिक घटनाओं एवं पात्रों को लेकर लिखा गया है। इसके सभी पात्र तथा घटनाएँ यथार्थ में सम्भावित होते हुए भी लेखक की कल्पना की उपज हैं। किसी भी जीवित अथवा
पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग दूसरा अध्याय जब वह वी.सी. से मिलने आयी थी तो सूर्य अस्ताचलगामी था, अपना प्रकाश समेट रहा था। लेकिन जब वह वी.सी. निवास से बाहर आयी तो घुप्प अँधेरा था। अँधेरे ...Read Moreसघनता को देखकर लगता था जैसे कृष्ण पक्ष की द्वादश या त्रयोदश हो। आसमान धूल-धूसरित था। इसलिये तारे कम ही दिखायी दे रहे थे। हवा ठहरी हुई थी। आसार ऐसे थे जैसे कि आँधी-तूफ़ान आने वाला हो! जब वह घर पहुँची तो मौसी ने पूछा - ‘मीनू, क्या बना छोटी के दाख़िले का?’ ‘मौसी, मैं कोशिश कर रही हूँ। उम्मीद
पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग तीसरा अध्याय नीलू बड़ी खुश थी कि डॉक्टर बनने का उसका सपना साकार होने जा रहा था, उसका मेडिकल कॉलेज में प्रवेश सुनिश्चित हो गया था। मौसी ने मीनाक्षी पर आशीर्वादों ...Read Moreझड़ी लगा दी थी। बार-बार कह रही थी कि मीनू तूने बहिन होकर भी भाई का फ़र्ज़ निभाया है। ऑफिस में भी सब उसे बधाई दे रहे थे और कुछ ऐसे भी थे जो अन्दर-ही-अन्दर जल-भुन कर राख हुए जा रहे थे। वे अपने-अपने क़यास लगा रहे थे कि मैडम ने कौन-सी तुरुप की चाल चली होगी। मैडम अपने काम
पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग चौथा अध्याय नीलू का मेडिकल कॉलेज में एडमिशन होने के पश्चात् मीनाक्षी ने यह सोचकर कि मेरी तो ट्रांसफरेबल जॉब है, पता नहीं कब बोरी-बिस्तर बाँधने का ऑर्डर आ जाये, शुरू ...Read Moreही नीलू को हॉस्टल में भेजना उचित समझा। अब घर में मौसी और वह दोनों ही रह गयी थीं। एक दिन शाम को जब मीनाक्षी घर आयी तो मौसी ने दोनों के लिये चाय बनायी और चाय पीते हुए उससे कहा - ‘मीनू, अब तो परमात्मा की कृपा से नीलू का दाख़िला भी हो गया है। तूने अपनी ज़िम्मेदारी बख़ूबी
पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग पाँचवाँ अध्याय प्रतिदिन की भाँति मीनाक्षी के ऑफिस पहुँचने के कुछ मिनटों बाद ही महेश डाक ले आया। डाक में तीन दिन बाद दिल्ली में होने वाली मासिक मीटिंग का पत्र ...Read Moreथा। सारी डाक देखने के बाद उसने महेश को पिछले महीने की स्टेटमेंट फ़ाइल लाने के लिये कहा। फ़ाइल देखने के बाद उसे सभी अफ़सरों को दोपहर तीन बजे अपने-अपने वार्ड की ताज़ा रिपोर्ट के साथ मीटिंग में आने के निर्देश दिये। मीटिंग में अफ़सरों से वांछित सूचनाएँ प्राप्त करने के बाद हरीश को रोककर बाक़ी सभी को अपना-अपना काम