Ye Kaisi Raah book and story is written by Neerja Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Ye Kaisi Raah is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ये कैसी राह - Novels
by Neerja Pandey
in
Hindi Fiction Stories
कान्ता बार बार दरवाजे तक आती और घूंघट से झांक कर देखती पर दूर दूर भी कही सत्तू नहीं दिखाई दे रहा था। ये इंतजार की घड़ियां बढ़ती ही जा रही थी। शाम हो गई । सुबह से राह देखते देखते शाम हो गई पर आनंद नहीं आया। सुबह का बना खाना वैसे का वैसा ही रखा रह गया। अब क्या करूं? कांता की घबराहट बढ़ती ही जा रही थी । जिसका इंतजार था वो तो ना आया पर सासू मां आ गई आते ही सवाल किया,
"क्यो दुलहिन… ? चूल्हा क्यों नहीं जलाया?" घबराई सी कान्ता पास आकर बुदबदाई "माई देवर जी नहीं आए हैं ।"
"क्या कहा...? नही आया ? ये क्या हुआ...? खेत में था तो बोला की माई भूख लगी है। खाना खाने घर जा रहा हूं, तो आया नही क्या……?"
कान्ता बार बार दरवाजे तक आती और घूंघट से झांक कर देखती पर दूर दूर भी कही सत्तू नहीं दिखाई दे रहा था। ये इंतजार की घड़ियां बढ़ती ही जा रही थी। शाम हो गई । सुबह से राह ...Read Moreदेखते शाम हो गई पर आनंद नहीं आया। सुबह का बना खाना वैसे का वैसा ही रखा रह गया। अब क्या करूं? कांता की घबराहट बढ़ती ही जा रही थी । जिसका इंतजार था वो तो ना आया पर सासू मां आ गई आते ही सवाल किया,
क्यो दुलहिन… ? चूल्हा क्यों नहीं जलाया? घबराई सी कान्ता पास आकर बुदबदाई माई देवर जी नहीं आए हैं ।
क्या कहा...? नही आया ? ये क्या हुआ...? खेत में था तो बोला की माई भूख लगी है। खाना खाने घर जा रहा हूं, तो आया नही क्या……?
एक मां के हृदय की पीड़ा कौन समझ सकता है….? उस मां की जिसका पुत्र बिना कुछ कहे….! बिना कुछ बताए….! अचानक घर से चला जाए। उस पीड़ा का सिर्फ अनुमान ही किया जा सकता है सामने के व्यक्ति ...Read Moreद्वारा। कोई दूसरा इसे नही समझ सकता। माई अपने आप को असहाय महसूस कर रही थी। एक बेटा कोसो दूर था तो एक बेटा घर से अचानक चला गया। पति तो बहुत पहले ही अकेला छोड़ कर स्वर्ग सिधार गए थे। वो सहारा भी ढूंढे तो कहां? कांता कभी बाहर नहीं जाती थी। उसके बच्चे भी अभी छोटे थे। फिर भी कांता जो कुछ सास के लिए, इस घर के लिए कर सकती थी, कर रही थी।
सत्तू,भाई के बच्चों से बहुत लगाव रखता था। वो उन्हें घुमाता, कहानियां सुनाता, उनके साथ खेलता भी था। इस तरह अचानक चाचाके चले जाने से बच्चे बहुत परेशान थे। राम देव, कांता से बच्चे पूछते,
पिताजी... मां …! चाचा ...Read More?
उन्हें कान्ता और राम देव बहलाते,
बेटा …! तुम्हारे चाचा जल्दी आ जायेंगे।
रामू कामंझला बेटा जो चाचा से ज़्यादा हिला मिला था अक्सर याद कर रोने लगता । वो बाकी दोनों भाइयों की तरह मां पिताजी की बात पर यकीन नहीं होता। उसे चुप कराने और समझाने के बीच अक्सर कान्ता की आंखों से भी आंसू बह निकलते।
रात भर में पैर और भी सूज आया। साथ ही दर्द भी बढ़ गया। ना तो उससे चला जा रहा था, ना ही खड़ा हुआ जा रहा था।
अब जब खड़ा ही नहीं हुआ जा रहा था तो इस स्थिति ...Read Moreतो नौकरी पर जाना संभव नहीं था। इस कारण जाना निरस्त करना पड़ा। अगले दिन सुबह गांव के ही एक डॉक्टर को दिखाया गया।
डॉक्टर ने बोला, आराम हो जाएगा परंतु समय लगेगा। अभी आप कहीं नहीं जा सकते। आपको घर पर ही रहना पड़ेगा।
वो डॉक्टर क्या ही था..! झोला छाप बंगाली डॉक्टर था। पूरे गांव का इलाज वो ही करता था।
उसने अपनी देसी डाक्टरी की। बांस की कमानी बना कर उससे पैरी को चारो ओर से कस कर मजबूती से बांध दिया।
इधर उस दिन जब सत्य देव भाभी के कहने पर आम के बाग में टिकोले लाने पहुंचा, तो उसनेे देखा पेड़ के नीचे तीन साधु बैठे हुए थे। उनको देख कर सत्य देव अचकचा सा गया। उसे समझ नहीं ...Read Moreरहा था कि ये कहां से आ गए..? ये बाग उसकी तो है नही। वो तो दूसरे के बाग में टिकोले तोड़ने आया है। ऐसा न हो ये साधु उसे डांटे। सत्य देव कीघबराहट कोसाधुओं ने भांप लिया। उन्होंने बड़े प्यार भरी नजरों से सत्य देव की ओर देखा और कहा, बालक..! इधर आओ बालक..! डरो मत ..। पहले तो सत्य देव डरा। फिर उन साधुओं की आखों की आंखों मेंहिचकिचाहट के साथ सत्य देव थोड़ा आगे बढ़ा। साधुओं ने फिर कहा, आओ बालक घबराओ नहीं। हमारे पास आओ। अब थोड़ी हिम्मत करके आनंद आगे बढ़ा। क्या बेटा क्यूं आए हो?