Aadmi ka shikaar book and story is written by Abha Yadav in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aadmi ka shikaar is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
आदमी का शिकार - Novels
by Abha Yadav
in
Hindi Fiction Stories
भारत से लंदन जाने वाले विमान पर ,चालक का नियंत्रण समाप्त हो गया था. सभी यात्रियों के चेहरे पर परेशानी की रेखाएं खिंच आई थीं. यात्रियों की आशा भरी निगाहें चालक पर टिकी थीं. विमान चालक पसीने से सरावोर था.लेकिन, विमान पर काबू पाने के लिए भरकस प्रयत्न कर रहा था. अभी यात्री आशा और निराशा में ही डूबे थे.तभी विमान के एक हिस्से में आग लग गई. इस अचानक आई मुसीबत से यात्री बदहवास हो गये. इसी विमान से दस बर्षीया नूपुर लंदन जा रही थी. उसके साथ उसके मामाजी थे.नूपुर के मामाजी के
भारत से लंदन जाने वाले विमान पर ,चालक का नियंत्रण समाप्त हो गया था. सभी यात्रियों के चेहरे पर परेशानी की रेखाएं खिंच आई थीं. यात्रियों की आशा भरी निगाहें चालक पर टिकी थीं. विमान चालक पसीने से सरावोर ...Read Moreविमान पर काबू पाने के लिए भरकस प्रयत्न कर रहा था. अभी यात्री आशा और निराशा में ही डूबे थे.तभी विमान के एक हिस्से में आग लग गई. इस अचानक आई मुसीबत से यात्री बदहवास हो गये. इसी विमान से दस बर्षीया नूपुर लंदन जा रही थी. उसके साथ उसके मामाजी थे.नूपुर के मामाजी के
नूपुर चारों ओर से रीछों से घिरी हुई थी. रीछ नूपुर के इर्दगिर्द चक्कर काट रहे थे. रूक -रूक कर वे नूपुर को सूंघ भी रहे थे. शायद,वह परख रहे थे कि वह जीवित है या नहीं. ...Read Moreभय से नूपुर का बुरा हाल था. लेकिन, वह हिम्मत करे रही .उसने सांस पूरी तरह रोक रखी थी.नूपुर को रीछों के वापस चले जाने का इंतजार था. लेकिन, तभी एक अनहोनी घटी.रीछों ने नूपुर को मृत जानकर भी छोड़ा नहीं. बल्कि एक बड़े से रीछ ने नूपुर को अपनी पीठ पर लाद लिया. अब रीछों का झुंड उसी दिशा
नूपुर को लगा यह रीछ उससे दोस्ती करना चाहते हैं. अन्यथा अब तक उसका काम तमाम कर देते. रीछों ने उसको कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाया.खाने के लिए शहद भी दिया. मधुमक्खियों से बचाया भी.काफी देर तक वह रीछ ...Read Moreसाथ खेलती रही.उसे फिर भूख लगने .शहद से उसका पेट भरा नहीं था. खाने की तलाश में नूपुर ने चारों ओर देखा.बांयी ओर अंगूर की बेल थी.जिस पर बहुत सारे अंगूर लगे थे.नूपुर का चेहरा खुशी से चमक गया. वह अंगूर की वेल की ओर चल दी.उसने ढ़ेर सारे अंगूर तोड़कर फ्राक में भर लिए. इसके बाद, वह वापस
नूपुर रीछों के बाहर जाने से पहले ही उठ गई. आज उसने रीछों के साथ बाहर जाने का फैसला कर लिया था. रीछों के साथ रहते उसे यहां कई दिन हो गए थे.यहां उसका मन ऊबने लगा था. वैसे ...Read Moreरीछों के साथ जाने से दो फायदे थे.पहले तो उसे इस जंगल की भौगोलिक स्थिति का पता लग जायेगा. दूसरे उसका मन बहल जायेगा. अभी नूपुर अपने विचारों में खोई हुई थी कि रीछों को बाहर जाते देखकर चौंक गई. उसने देर नहीं की ,फौरन रीछों के पीछे चल पड़ी. कुछ दूर तक तो नूपुर यूँही चलती रही. लेकिन,
नूपुर का मन रीछों के बीच नहीं लग रहा था. जानवर चाहें कितना भी प्यार क्यों न करें, जानवरों के साथ कोई भी इंसान अपनी पूरी जिंदगी नहीं गुजार सकता. उसे मनुष्य के साथ की आवश्यकता होती है. वह.उन्हीं ...Read Moreबीच रहना चाहता है. नूपुर ने जबसे इस जंगल में मनुष्यों को देखा.उसका मन रीछों से उचट गया. उसके विचार से रीछों से अच्छे वो जंगली इंसान थे.उसने उन जंगली मनुष्यों के बीच रहने का निश्चय कर लिया. वह यहां से निकलने के रास्ते खोजने लगी.उसने फैसला कर लिया-आज रीछों के यहां से जाते ही,वह भी यहां