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Trilok by Prapti Timsina | Read English Best Novels and Download PDF

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त्रीलोक - एक अद्भुत कहानी by Prapti Timsina in English
Novels

त्रीलोक - एक अद्भुत कहानी - Novels

by Prapti Timsina in English Mythological Stories

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  • 1.2k

  • 5.3k

  • 4

( उपन्यास )1. एक बहुत बढ़ा बंगला था बिलकुल एक आलीशान हवेली की तरह। उस बंगलाके आगे बड़े बड़े पोस्टर लगेहुवे थे। वो पोस्टर लड़कीकी थी जो की एक हीरोइन की है। उस पोस्टरके ठीक नीचेकी तरफ बड़े ...Read Moreलिखागया था - (नंदनी हिंदुस्तानी)। उस आलीशान बंगलापर लिखा था -[The Film Set ]। सुबहके कुछ साढ़े चार बजेथे, बंगलाके आसपास ठंडी हवा चलरही थी।एक ठंडी सी हवका झोका उसी बंगलाकि एक कमरे की खुलीहुई खिड़की के अंदर जाती है। उस कमरे के अंदर की लाइट बुझाहूवा था। उस कमरेमे सोई हुई लड़की अपनी हातोसे मुह्पे लागहुआ ब्लैंकट निकलती है।

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त्रिलोक - एक अद्धभुत गाथा - 1

  • 450

  • 1.4k

( उपन्यास )1. एक बहुत बढ़ा बंगला था बिलकुल एक आलीशान हवेली की तरह। उस बंगलाके आगे बड़े बड़े पोस्टर लगेहुवे थे। वो पोस्टर लड़कीकी थी जो की एक हीरोइन की है। उस पोस्टरके ठीक नीचेकी तरफ बड़े ...Read Moreलिखागया था - (नंदनी हिंदुस्तानी)। उस आलीशान बंगलापर लिखा था -[The Film Set ]। सुबहके कुछ साढ़े चार बजेथे, बंगलाके आसपास ठंडी हवा चलरही थी।एक ठंडी सी हवका झोका उसी बंगलाकि एक कमरे की खुलीहुई खिड़की के अंदर जाती है। उस कमरे के अंदर की लाइट बुझाहूवा था। उस कमरेमे सोई हुई लड़की अपनी हातोसे मुह्पे लागहुआ ब्लैंकट निकलती है।

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त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा - 2

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(उपन्यास)2.नंदनी अपनी मनको शांत करते हुवे सोचती है - "मुझे इसके बारेमे ज्यादा नहीं सोचना चाहिए। अगर ये प्रकृति मुझसे कुछ कहना चाहती भी हो तो वो केहेदेगी, गुरूजी ठीक ही केहे रहेहै।"नंदनी सोजती है। अगली सुबह नंदनी अपनी ...Read Moreकाम ख़तम करके पूजा की थाली तैयार करती है। पीतल की थाली मे फूलो से सजाकर बीचमे आरती की दिया रखती है। नंदनी ज्यादातर अकेले ही मंदिर जाया करती थी। इंडस्ट्री के बाकि के लोग मंदिर और पूजा मे उतना ध्यान नहीं देते थे। थे। एक नंदनी ही थी जो रोज सुबह पूजा करती थी।वो बचपन से ही नारायण की

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त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा - 3

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त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा(उपन्यास)3नंदनी के मन मे कई सारे सवाल थे। उसकी मन शान्त नहीं थी। उसकी माथे पर उसकी चिंता और परिसानी साफ झलक रही थी।वो खुद को कई सवाल करती है - "मे राघव से प्यार ...Read Moreसे करने लगी?, मुझे तो ये भी नहीं पता की मे उससे प्यार करती हु या नहीं। मुझे उसके साथ रहेकर इतनी सुकून क्यों महसूस होती है? और जब वो खुश होता है तो मे इतना खुश क्यों होती हु? जब वो मुझसे गले लगा तो मेरी सारी चिंता गायब होकर मुझे सुकून क्यों महसूस हुआ? क्या मे उससे प्यार

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त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा - 4

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त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा(उपन्यास)4सबलोग एयरपोर्ट पोहोचते है। वो लोग एयरपोर्ट के अंदर चलते है। सब लोग अपनी अपनी सूटकेस चेकिंग के लिए देते है। सूटकेस चेकिंग के बाद डायरेक्टर साहब ने ऑनलाइन खरीदी हुई टिकट दिखाकर सब लोग ...Read Moreरूम मे जाते है। थोड़ी समय के बाद सब लोग प्लेन के अंदर जाते है। जल्द ही प्लेन टेक ऑफ करती है। सब लोग आराम से कश्मीर पोहोचते है। कश्मीर के एयरपोर्ट से बाहर निकलकर टैक्सी का इंतजार करते है। थोड़ी ही देर इंतजार करनेके बाद टैक्सी मिलती है। डायरेक्टर साहब दो टैक्सी रिज़र्व करते है।टैक्सी वाला कहता है -

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त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा - 5

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त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा(उपन्यास)5नंदनी अपना दरवाजा लक करके खाना खाने के लिए दीपिका के साथ होटल की एक हॉल की तरफ चलती है। हॉल के अंदर कई सारे टेबल और चेयर थे जिनकी डिज़ाइन भी बहत एंटीक थी। ...Read Moreकी माहौल राजा महाराजा की साही दावत जैसी थी। हॉल के सीलिंग मे शेर का बड़ा सा डिज़ाइन बनाया हुआ था। दीपिका नंदनी को एक टेबल पे लेचलती है जहा पर पेहेले से ही सब पोहोचगये थे। सब लोग डिनर करने लगते है पर नंदनी को कुछ कमी महसूस होती है। नंदनी इधर उधर देखती है और उसे ये पता

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त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा - 6

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(उपन्यास)त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा6नंदनी के याद करनेके बाद बड़बोला खुद प्रकट होता है। वो हवा मे तैरते हुए आता है।और कहता है - "लगता है तुम्हे मेरा याद बहत सताता है। तुमने मुझे याद किया और लो मे ...Read Moreनंदनी के चहरे पर झलकरहि भावनाओ और बातोंको देखते हुवे कहता है - "तुम्हारी चहरे देखकर ही पता चलता है की आज क्या हुवा? तुम्हारे मनमे उसके लिए चिंता हैना? बताओ बताओ?"बड़बोला बड़ी कौतुहल से पूछता है। नंदनी अपनी आंखे झुकाकर कहती है - "हा पर इतना चिंता तो जायज है। इतना चिंता तो किसी भी दोस्त का होसकता है।

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त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा - 7

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त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा( उपन्यास )7सब लोग adventure पे जाने के लिए उताबले होरहे थे। लगभग सारी तयारिया होचुकी थी। सब लोग इस एडवेंचर की प्लान से बहत खुश थे। बहत दिनों बाद उनलोगो ने इंडस्ट्री से बाहर ...Read Moreबिताने का मौका मिलरहा था। दीपिका, अनिल, सूरज, राघव, नंदनी, और डायरेक्टर साहब अपनी अपनी पैकिंग ख़तम करते है। और साथ मे एडवेंचर पे काम आने वाली सारी सामान का बंदोबस्त करते है।उसके बाद डायरेक्टर साहब के कमरेमे सबलोग आकर डिसकस करते है। डायरेक्टर साहब - "सारी तैयारियां होचुकी है। अब हमें सिर्फ यही तय करना है की हम कब

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त्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा - 8

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उपन्यासत्रीलोक - एक अद्धभुत गाथा8नंदनी सभी लोगो को कहती है - "हा हा मे बताती हु की ये कौन है? क्यों है?, तो सुनिए सबसे पहले मे ये पूछना चाहूंगी की ये तोता आप लोगो को कैसा लगा?"दीपिका - ...Read Moreतो बहत ही खूबसूरत है।"अनिल - "वकेहि बहत खूबसूरत है।"राघव - "तुम्हारा चॉइस अच्छा है।"सूरज - "हा ये सचमुच बहत बढ़िया तोता है।"डायरेक्टर साहब - "अब बता भी दो नंदनी की ये तोता आया कहा से?"नंदनी - "आप सब को ये पसंद आया ये जानकर मुझे बहत खुशी हुई। वैसे मे तो ये आपलोगो के लिए सरप्राइज की तौर पे

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