जासूसी का मज़ा - Novels
by Kanupriya Gupta
in
Hindi Comedy stories
रसोई से सुबह सुबह आती कचोरी और हलवे के घी की खुशबू किसी खास अवसर के होने की गवाही दे रही थी. चटोरों के शहर इंदौर के वैशाली नगर का ये घर जिसके बाहर नेमप्लेट पर ऊपर बड़े बड़े अक्षर में “द ईगल “ लिखा था , आज किसी मेहमान के आने के इंतज़ार में था . इंदौर शहर में देखा जाए तो सुबह सुबह कढाई चढना कोई बड़ी बात नहीं क्यूंकि इन्दोरी सुबह” सेव जीरवन वाले पोहा , और गरम उतरती जलेबी के बिना हो जाए ये कम ही होता है ,ये शहर ही ऐसा है भिया इस अकेले
रसोई से सुबह सुबह आती कचोरी और हलवे के घी की खुशबू किसी खास अवसर के होने की गवाही दे रही थी. चटोरों के शहर इंदौर के वैशाली नगर का ये घर जिसके बाहर नेमप्लेट पर ऊपर बड़े बड़े ...Read Moreमें “द ईगल “ लिखा था , आज किसी मेहमान के आने के इंतज़ार में था . इंदौर शहर में देखा जाए तो सुबह सुबह कढाई चढना कोई बड़ी बात नहीं क्यूंकि इन्दोरी सुबह” सेव जीरवन वाले पोहा , और गरम उतरती जलेबी के बिना हो जाए ये कम ही होता है ,ये शहर ही ऐसा है भिया इस अकेले
पार्ट - २ अब तक आपने पढ़ा की “द इगल “ मटर कचोरी और हलवे की खुशबु से महक रहा है और चौधरी दंपत्ति की ज़िन्दगी में ठहराव सा आ गया आगे पढ़िए क्या हुआ श्रीमती चौधरी सुबह से ...Read Moreहुई थी पकवान बनाने में आखिर चौधरी साहब के बचपन के दोस्त आनंद जो आ रहे थे , ये दोस्त जब भी आते, खाते तो कम, पर तारीफों के पुल बाँध जाते “ भाभी जी आपके हाथ की मटर कचोरियों का क्या कहना मुह में लिया नहीं की घुली समझो आह ,आह वाह ! और हलवा, मिठाई में तो आपका
बैठक में से चौधरी जी की आवाज़ आई "सुनती हो ज़रा बाहर का चक्कर लगाकर आते है" ये कहकर जब चौधरी जी और आनंद घर के बाहर गए तो फटाफट किचन का काम निपटाकर चौधराइन जी हॉल में चली ...Read Moreचैन की सांस लेकर बैठी ही थी कि क्या देखती है जहाँ चौधरी जी बैठे थे ठीक वही ,सोफे के पास जमीन पर विसिटिंग कार्ड रखा है ,उन्होंने कार्ड हाथ में लिया और पढने लगी “ दयाल डिटेक्टिव एजेंसी , सभी प्रकार के जासूसी काम किए जाते हैं ,पति/पत्नी की जासूसी ,बेकग्राउंड चेक ,corporate डिटेक्टिव ..और भी कुछ कुछ लिखा
चौधरी जी थोड़ी देर बाद घर वापस आए तो क्या देखते है चौधराइन सर पर चुन्नी बांधे एक हाथ माथे पर टिकाए सोफे पर पड़ी है उनने मजाकिया लहजे में पूछा “क्या हुआ ऐसे क्यों झाँसी की रानी बनी ...Read Moreहो युद्ध लड़ने जाना है के लड़ के आ गई ? चौधराइन ने अनमनेपन से कहा “माथा दुःख रा था तो सो गई थी अब उसपर भी पाबन्दी लगाओगे ?” चौधरी जी को इस बेमौसम हमले का कारण तो खास समझ आया नि तो बोले चाय बना दूं पिओगी ? चौधराइन सोफे से उठती हुई कहने लगी “आप तो रहने
चौधरी कार्ड का फोटो खीचकर बाद में अच्छे से देखने का मन बनाए बैठे थे और मान बैठे थे की सीमा जी ने कुछ देखा नहीं पर जैसे की गणित के सवालो में माना की राम ५ किलोमीटर चला ...Read Moreदेने से राम सच में ५ किलोमीटर नहीं चलता ठीक यहाँ भी सीमा जी ने कुछ नहीं देखा मान लेने से ये सच नहीं हो जाता ...वैसे भी लुगाइयों की नज़र से कुछ छुपा है क्या भला? सीमा जी ने किचेन से आते आते चौधरी जी को कार्ड को फोटू खीचते देख लिया बस फिर क्या था उनका शक यकीन
रात भर करवटें बदलने और खुद से ही माथापच्ची करने बाद जब सीमा जी उठी तो उनकी आँखे गुलाब जामुन सी लाल हो रही थी और चौधरी जी का शरीर उकडू लेटे लेटे ऐसा हो गया ...Read Moreजैसे मालपुए में से निचोड़कर सारा रस निकाल लिया गया हो और सारा माल गया ,बस पुआ पुआ बाकि रहा हो. अब रात तो रात है आंखे गुलाब जामुन सी सुजा लो या शरीर अकड़ा लो ,वो आपके लिए रुकती नहीं कट ही जाती है।सुबह हुई तो पति पत्नी दोनों ने मन ही मन फैसला किया की सच्चाई का पता लगाया जाएगा,चौधरी जी अपने