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Lata sandhy-gruh by Rama Sharma Manavi | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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लता सांध्य-गृह by Rama Sharma Manavi in Hindi
Novels

लता सांध्य-गृह - Novels

by Rama Sharma Manavi Matrubharti Verified in Hindi Social Stories

(42)
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प्रथम अध्याय----------------- आज मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ क्योंकि मैंने अपनी पत्नी लता के एक अहम स्वप्न को साकार रूप दे दिया है।आज हमारे वृद्धराश्रम का आधिकारिक रूप से शुभारंभ हो गया है, जिसमें फिलहाल मुझे लेकर ...Read Moreसात सदस्य हैं।दस कमरों में बीस लोगों के निवास की व्यवस्था है।हर कमरे से मिला हुआ लैट-बाथरूम है।यदि पति-पत्नी हैं तो दोनों एक कमरे में रहते हैं, अन्य कमरों में दो-दो महिलाएं या दो पुरुष रहते हैं।एक साथ दो लोगों का रहना इसलिए भी आवश्यक है कि पता नहीं रात-बिरात कब किसी को क्या परेशानी होने लगे तो दूसरा व्यक्ति किसी

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लता सांध्य-गृह - Novels

लता सांध्य-गृह - 1
प्रथम अध्याय----------------- आज मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ क्योंकि मैंने अपनी पत्नी लता के एक अहम स्वप्न को साकार रूप दे दिया है।आज हमारे वृद्धराश्रम का आधिकारिक रूप से शुभारंभ हो गया है, जिसमें फिलहाल मुझे लेकर ...Read Moreसात सदस्य हैं।दस कमरों में बीस लोगों के निवास की व्यवस्था है।हर कमरे से मिला हुआ लैट-बाथरूम है।यदि पति-पत्नी हैं तो दोनों एक कमरे में रहते हैं, अन्य कमरों में दो-दो महिलाएं या दो पुरुष रहते हैं।एक साथ दो लोगों का रहना इसलिए भी आवश्यक है कि पता नहीं रात-बिरात कब किसी को क्या परेशानी होने लगे तो दूसरा व्यक्ति किसी
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लता सांध्य-गृह - 2
पूर्व कथा जानने के लिए प्रथम अध्याय अवश्य पढ़ें ।द्वितीय अध्याय--------------------गतांक से आगे …… समय धीरे धीरे व्यतीत हो रहा है, अब मेरे सांध्य-गृह में 10 सदस्य हो चुके हैं, इनमें सभी शिक्षित एवं अच्छे परिवारों से ...Read Moreहैं।सबकी अपनी कहानियां हैं, अपने दुःख हैं, मजबूरी है।मैं दान नहीं लेता अपने आश्रम अर्थात घर के संचालन के लिए, बल्कि सभी अपना ख़र्च वहन करते हैं, क्योंकि सभी आर्थिक रूप से पूर्ण सक्षम हैं।मेरा मूल सिद्धांत है कि उम्र के इस काल में हमउम्र हम सब मिलकर एक दूसरे का अकेलापन बांट सके। आज मैं बात कर
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लता सांध्य-गृह - 3
पूर्व कथा को जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें… तृतीय अध्याय--------------गतांक से आगे…. रमेश जी एवं अभय जी एक कमरे में रहते हैं, वे अभिन्न मित्र होने के साथ साथ समधी ...Read Moreहैं।उनकी प्रथम मुलाकात हुई थी जब उन्होंने स्नातक में प्रवेश लिया था, रमेश जी मैथ से थे एवं अभय जी बायो के विद्यार्थी, परन्तु फिजिक्स दोनों का कॉमन सब्जेक्ट था।मित्रता होने के लिए पूरे दिन के साथ की आवश्यकता होती भी नहीं है। जहां रमेश शांत प्रकृति के व्यक्ति थे वहीं अभय वाकपटु, किंतु दोनों में एक बात जो समान थी पढ़ाई के प्रति
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लता सांध्य-गृह - 4
पहले की कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें।चतुर्थ अध्याय---------------गतांक से आगे…. चौथे कमरे में रहते हैं दिवाकर जी अपनी धर्मपत्नी रोहिणी जी के साथ। वे एक कस्बे से विकसित हुए छोटे से शहर ...Read Moreअपने दो छोटे भाइयों के साथ निवास करते थे।पिता एक किसान थे।सौभाग्य से उनके खेतों के सामने से सड़क निकलने के कारण उन्हें उनकी सड़क की जमीन के लिए सरकार से अच्छा खासा मुआवजा प्राप्त हुआ था, उस धन का सदुपयोग उन्होंने सड़क से लगी जमीन पर छः दुकानें एवं दो-दो दुकानों के पीछे 4-4 कमरों के तीन मकान बनवा लिए थे,तीनों भाइयों
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लता सांध्य-गृह - 5
पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। पंचम अध्याय-----------------गतांक से आगे….--------------- पांचवें कमरे में रहते हैं पचपन वर्षीय अविवाहित नीलेश,मस्तमौला, बिल्कुल आजाद परिंदा।आप सोच रहे होंगे कि एक प्रौढ़ व्यक्ति को वृद्धाश्रम ...Read Moreरहने की आवश्यकता क्या पड़ गई।तो उनकी कहानी कुछ यूं है--- नीलेश के पिता एक उच्च व्यवसायी एवं मां एक अत्याधुनिक महिला थीं।पिता धन कमाने में व्यस्त रहते तथा मां अपनी पार्टियों एवं कथित समाजसेवा में। जब दौलत बेहिसाब होता है और कोई रोक-टोक करने वाला न हो तो बच्चों के कदम बहकने से कौन रोक सकता है।पढ़ाई--लिखाई में तो नीलेश का
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लता सांध्य-गृह - 6
पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। छठा अध्याय-----------------गतांक से आगे….--------------- छठें कमरे के निवासी थे विभव सक्सेना एवं उनकी पत्नी अंजू देवी।विद्युत विभाग से सेवानिवृत्त होने के बाद एक स्थायी ठिकाने के ...Read Moreबना-बनाया डुप्लेक्स घर ले लिया तीन बेडरूम का।इकलौता बेटा MBA करने के बाद अपने ही शहर में जॉब करने लगा था, उसी के साथ कार्यरत थी समिधा, दोनों का परिचय शीघ्र ही प्रेम में परिवर्तित हो गया।जब बेटे ने अपने प्यार के बारे में बताया तो उन्होंने सहर्ष दोनों को विवाह बंधन में बांध दिया।समिधा उनके घर में बहू बनकर आ गई।कुछ
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लता सांध्य-गृह - 7
पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। सातवां अध्याय----------------- गतांक से आगे…. --------------- सात नम्बर कमरे में रहती हैं शोभिता एवं विमलेश जी। शोभिता एक बावन वर्षीय धीर-गम्भीर ...Read Moreमहिला हैं।परिवार में माता-पिता एवं एक छोटा भाई थे।पिता प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे,तथा मां सीधी-साधी घरेलू महिला थीं।कस्बा शहर की तरफ विकास कर रहा था, वहीं पिता ने एक छोटा सा घर बनवा लिया था। शोभिता गोरी-चिट्टी सुंदर ,मध्यम कद की किशोरी थी।16 वर्ष की होने के बाद भी जब मासिक धर्म प्रारंभ नहीं हुआ तो चिंतित मां ने डॉक्टर को दिखाया।जांचों से ज्ञात हुआ कि
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लता सांध्य-गृह - 8
पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। आठवां अध्याय----------------- गतांक से आगे…. --------------- शोभिता की कक्ष साथी थीं विमलेश जी,पैंसठ वर्षीया, रिटायर्ड प्रधानाध्यापिका। स्नातक करते ही 21 वर्ष की ...Read Moreमें विवाहोपरांत पति के साथ शहर में रहने आ गईं।पति डिग्री कॉलेज में लेक्चरर थे,सास-ससुर गांव में रहते थे।विमलेश जी की शिक्षा में रुचि देखकर पति ने आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।अपने ही कॉलेज में एमए इंग्लिश में प्रवेश दिला दिया।एमए की फाइनल परीक्षा के साथ साथ मातृत्व की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर लिया,एक बेटी की माँ बनकर।बेटी के छः माह की होते ही
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लता सांध्य-गृह - 9
पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। नवां अध्याय----------------- गतांक से आगे…. --------------- अब लोग विदेशों की तर्ज पर वृद्धाश्रम को स्वीकार करने लगे हैं, कुछ लोग मजबूरी में, कुछ स्वेच्छा ...Read Moreक्योंकि आजकल छोटे परिवारों में बच्चे अपनी जिंदगी की आपाधापी में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वे चाहकर भी अपने बुजुर्गों को समय नहीं दे पाते और न ही बुजुर्ग अगली पीढ़ी के साथ सामंजस्य स्थापित कर पाते हैं।इसलिए शहरों में वृद्धों के लिए समय व्यतीत करना अत्यंत दुष्कर कार्य हो जाता है, क्योंकि आसपास के घरों में भी आपस में ज्यादा
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लता सांध्य-गृह - 10
पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। दशवां अध्याय----------------- गतांक से आगे…. --------------- नौ नम्बर कमरे में हैं दो बहनें,74 वर्षीय प्रभा एवं 61 वर्षीय विभा।पिता कस्बे के प्राइमरी स्कूल में ...Read Moreथे।उस समय सरकारी स्कूलों में नौकरी पाना आज की तरह दुरूह कार्य नहीं था, न ही आजकल की भांति स्कूलों की भरमार थी। पुष्तैनी घर में ही आधे हिस्से में चाचा जी का परिवार रहता था।अपना-अपना बनाना खाना था।बाद में दोनों परिवारों ने अपने हिस्से में आवश्यकतानुसार 2-2 कमरे औऱ बनवा लिए थे। पिता की गणित एवं अंग्रेजी विषय पर अच्छी पकड़ थी।इन विषयों के
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लता सांध्य-गृह - 11 - अंतिम अध्याय
पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। अंतिम अध्याय----------------- गतांक से आगे…. --------------- हमारे सांध्य-गृह के सभी सदस्य यहाँ स्वेच्छा से आए हुए हैं,अतः किसी के मन में कोई विशेष उदासी ...Read Moreनहीं है। हमें साथ रहते हुए लगभग चार साल व्यतीत हो चुके हैं।हम सभी एक दूसरे की आदतों को अच्छी तरह समझ गए हैं।हर माह एक दिन के लिए सभी मथुरा,वृंदावन जाते हैं, जो भगवद्दर्शन के साथ साथ पिकनिक भी हो जाता है।हर छः माह में एक बार दूसरे शहर या प्रदेश में तीर्थयात्रा हेतु जाते हैं।हां, जिसे यात्रा में परेशानी होती है ,या उस समय
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