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Aaj ki dropadi aur subhadra by आशा झा Sakhi | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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आज की द्रौपदी और सुभद्रा by आशा झा Sakhi in Hindi
Novels

आज की द्रौपदी और सुभद्रा - Novels

by आशा झा Sakhi in Hindi Short Stories

(30)
  • 5.7k

  • 25.6k

  • 5

स्त्री मन बहुत विचित्र है जिससे स्नेह करता है उसके लिए अपना सर्वस्व निछावर कर देता है।जो भी उसका अपना है,चाहे वो प्रेम हो,पति ,बच्चा या उसका घर हो।स्त्री हर चीज अपने परम स्नेही से बाँट लेती है।हर ...Read Moreये सत्य नहीं होता कि स्त्री अपना पति किसी दूसरी स्त्री के साथ नहीं बांट सकती।पर उससे ही ,जिससे उसे सबसे ज्यादा लगाव हो,जिससे वो खुद से ज्यादा भरोसा करती हो ,स्नेह करती हो। शुभी और अंशिका भी ऎसी ही दो सखियां हैं जो दो शरीर एक आत्मा हैं। उनको तो भगवान ने भी ऐसी हस्त रेखाएं दीं जो एक दूसरे से

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आज की द्रौपदी और सुभद्रा - Novels

आज की द्रौपदी और सुभद्रा - 1
स्त्री मन बहुत विचित्र है जिससे स्नेह करता है उसके लिए अपना सर्वस्व निछावर कर देता है।जो भी उसका अपना है,चाहे वो प्रेम हो,पति ,बच्चा या उसका घर हो।स्त्री हर चीज अपने परम स्नेही से बाँट लेती है।हर ...Read Moreये सत्य नहीं होता कि स्त्री अपना पति किसी दूसरी स्त्री के साथ नहीं बांट सकती।पर उससे ही ,जिससे उसे सबसे ज्यादा लगाव हो,जिससे वो खुद से ज्यादा भरोसा करती हो ,स्नेह करती हो। शुभी और अंशिका भी ऎसी ही दो सखियां हैं जो दो शरीर एक आत्मा हैं। उनको तो भगवान ने भी ऐसी हस्त रेखाएं दीं जो एक दूसरे से
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आज की द्रौपदी और सुभद्रा - 2
धवल शुभी से प्रणय निवेदन कर निर्णय लेने के लिए छोड़ जाता है । अब गतांक से आगे---- शुभी कुछ देेर कर्तत्तविमूढ़ सी बैठी रही , फिर अपने ...Read Moreकी तरफ बढ़ चली। रात को जब वो अपने बिस्तर पर लेटी तो रह -रह कर उसका मन धवल की बातों की ओर ही चला जाता ।अजीब सी उथलपुथल मची है उसके मन मस्तिष्क में।इस कशमकश के बीच शुभी की समझ में नहीं आ रहा कि धवल की बात पर विचार करने के लिए वो कौन सा सूत्र पकड़े ताकि सारी उलझन सुलझा सके।उसने कुछ देर के
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आज की द्रौपदी और सुभद्रा - 3
शुभी ने कुछ शंकाओं के साथ धवल का प्रेम स्वीकार कर लिया । धवल ने भी शुभी से वादा किया कि वो शुभी और अंशिका दोनों को खुश रखेगा। अब गतांक से आगे------- दो दिनों की खुमारी में शुभी ...Read Moreदिन - रात कटने लगे। अब शुभी दीन दुनिया को भूल कर अपने में ही मस्त व खुश रहने लगी। उसके दिल ओ दिमाग में धवल ने ऐसा एकाधिकार किया कि उसकी बातों के सिवा शुभी को कुछ और सूझता ही नहीं।चौबीसों घंटे उसके दिमाग में धवल की ही बातें चलती रहती।धवल भी दो दिन में ही उसे अपने प्यार
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आज की द्रौपदी और सुभद्रा - 4
धवल के बार - बार कहने पर भी जब शुभी धवल के घर पर जाकर रहने को तैयार नहीं हुई तो धवल ने उसे समझाते हुए समय दे दिया कि तुम अपने को तैयार कर लो। जब ...Read Moreहो तो बता देना। पर हर बार वो शुभी को ये याद दिलाना न भूलता कि घर पर अंशिका और पूरा परिवार उसका इन्तजार कर रहा है। हर बार शुभी जाने से मना कर देती। धीरे -धीरे पाँच वर्षों का समय बीत गया। तभी अचानक एक दिन शुभी को अहसास हुआ कि वो गर्भवती है। उसके गर्भ में उसका व धवल
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आज की द्रौपदी और सुभद्रा - (अंतिम भाग)
अंशिका के मुँह से शुभी के आने की बात सुन धवल व सुमन दोनों की ही नजर दरवाजे पर गयी। उनकी खुशी का ठिकाना न रहा ,जब शुभी को सच में दरवाजे पर खड़ा पाया।सुमन ने तो ...Read Moreशुभी को गले ही लगा लिया। फिर उलाहना देते हुए बोली- भाभी ,बहुत इंतजार कराया आपने। पर भगवान का लाख - लाख धन्यवाद की आप आयी तो सही अपनी छोटी बहन जैसी ननद को अपना आशीर्वाद देने। वो जैसे ही शुभी को हाथ पकड़ कर अंदर लाने को हुई । अंशिका ने उसे रोका और बोली- अरे सुमन ,नयी भाभी का गृहप्रवेश
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आशा झा Sakhi

आशा झा Sakhi

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