360 Degree wala prem by Raj Gopal S Verma | Read Hindi Best Novels and Download PDF Home Novels Hindi Novels 360 डिग्री वाला प्रेम - Novels Novels 360 डिग्री वाला प्रेम - Novels by Raj Gopal S Verma in Hindi Love Stories (66) 14.7k 32k 6 कहते हैं प्रेम का आना आपके जीवन मे पूर्व निर्धारित होता है, भले ही वह विवाहोपरांत ही हो। ऐसा प्रेम जिसे आप पूरी जिंदगी शिद्दत से जी सकें! आप उस प्रेम में गहरे डूबते-उतरते रहें, और जिंदगी के सफर ...Read Moreखूबसूरती से पार करते चलें... अपने जीवन साथी के साथ स्वप्निल यात्रा का आनंद लेते रहें! परन्तु, जब ऐसा नहीं हो पाता है, इन प्रेम सम्बंधों में थोड़ा भी विचलन होता है, तब वह प्रेम दुःस्वप्न बन कर जिंदगी के एक-एक लम्हे को जिस उलझन में डाल सकता है, वह अवर्णनीय होता है. बहुत से कारण हो सकते हैं, पर सर्वाधिक प्रभावित करता है जीवन साथी का रुख! इसके बावजूद इच्छाशक्ति और रिश्तों के निर्वहन में ईमानदारी हो, तो रास्ते भी निकल ही आते हैं! जीवन चुनौतियों को जीने की कला है, उनको अपने पक्ष में ढालिये, और जीवन यात्रा पर बढ़ते चलिए, कुछ करने के जज्बे के साथ, क्योंकि समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता, और पीछे मुड़कर देखने पर उदासियां ही हावी होती हैं, रास्ते आगे ही मिलते हैं. यही दर्शाने का प्रयास है यह उपन्यास. Read Full Story Download on Mobile New Episodes : Every Monday,Wednesday,Friday 360 डिग्री वाला प्रेम - 1 2.6k 4.4k ०००० कहते हैं प्रेम का आना आपके जीवन मे पूर्व निर्धारित होता है, भले ही वह विवाहोपरांत ही हो। ऐसा प्रेम जिसे आप पूरी जिंदगी शिद्दत से जी सकें! आप उस प्रेम में गहरे डूबते-उतरते रहें, और जिंदगी के ...Read Moreको खूबसूरती से पार करते चलें... अपने जीवन साथी के साथ स्वप्निल यात्रा का आनंद लेते रहें! परन्तु, जब ऐसा नहीं हो पाता है, इन प्रेम सम्बंधों में थोड़ा भी विचलन होता है, तब वह प्रेम दुःस्वप्न बन कर जिंदगी के एक-एक लम्हे को जिस उलझन में डाल सकता है, वह अवर्णनीय होता है. बहुत से कारण हो सकते हैं, Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 2 1k 1.7k २. कॉलेज की जिन्दगी..यही है जिंदगी “तो डियर स्टूडेंट्स, आप लोग तैयार हो ना ग्रुप प्रोजेक्ट वर्क के लिए क्लास में आते ही पूछा चंद्रन सर ने. फिर, एक निगाह छात्रों पर डालने के बाद उन्होंने ग्रुप्स के नाम ...Read Moreशुरू कर दिए. और कहा कि सब ग्रुप्स को दिए गये टॉपिक्स की लिस्ट बाहर नोटिस बोर्ड पर थोड़ी देर में लगा दी जाएगी. सदा की भांति अटेंडेंस रोल में आरिणी का पहला और आरव का दूसरा क्रमांक था. साथ में थे भूमिका और देव. आरिणी पढ़ने-लिखने में तीक्ष्ण बुद्धि तो थी ही, ईश्वर ने उसे सुंदर नयन-नक्श और मधुर Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 3 768 1.4k ३. ऐसे ही बनती है अंतरंगता अट्ठाइस जनवरी, यानि महीने का अंतिम सप्ताह, और भरपूर सर्दी. यह नवाबी शहर मई-जून की गर्मी में भरपूर गर्म और दिसम्बर से फरवरी की सर्दियों में बर्फ-सी गलन की सर्दी का अहसास दे ...Read Moreजाता है. घड़ी में सवेरे के लगभग ९.५५ बजे थे. लाँग कोट और कैप पहने भूमिका ने स्टैंड पर अपनी एक्टिवा खड़ी की और क्लासरूम के बाहर फैली गुनगुनी धूप के पास जाकर रुक गई. वहां देवेश और आरिणी भी थे. धूप थोड़ा हल्की थी, इसलिए मौसम में ठिठुरन भरी थी. देवेश क्लासरूम से दो स्टूल उठा लाया था, पर Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 4 561 1.1k ४.. आरव… और परिवार भारतीय रेल सेवा में डिप्टी ऑपरेशन मेनेजर के महत्त्वपूर्ण पद पर तैनात थे आरव के पिता राजेश प्रताप सिंह. उसी के नाते उनको लखनऊ की विशिष्ट कॉलोनी विक्रमादित्य मार्ग में एक बंगला मिला हुआ था. ...Read Moreइसलिए कि वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले उनके आस-पास ही थे, मुख्य सचिव का बंगला उनके घर से डेढ़ सौ मीटर दूर था, तो प्रदेश का राजभवन मात्र आधा किलोमीटर. चारों ओर आई ए एस और आई पी एस अधिकारियों के सरकारी आवास. लगभग आठ हज़ार वर्ग फीट के इस बंगले का डिजाइन और निर्माण यूँ तो ब्रिटिश काल Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 5 450 951 ५. कॉलेज और प्रोजेक्ट… ठीक ९.३० बजे आरव निकला कॉलेज के लिए. सारा डाटा, ड्राफ्ट रिपोर्ट उसके पास लैपटॉप और पेन ड्राइव दोनों में सेव थी. सवेरे का ट्रैफिक जाम तो जरूरी था पार करना. सवा दस बजे तक ...Read Moreभी वह कैंपस पहुँच चुका था. क्लास रूम के पास ही सर्दी की सुनहरी धूप में देव खडा था. जैसे उसकी ही प्रतीक्षा में हो. “गुड मार्निंग फ्रेंड्स…”, यह आरव था. मार्निंग का अभिवादन यूँ तो भूमि और आरिणी के लिए था, पर आरिणी के तेवर अच्छे नहीं लग रहे थे. कल चार-चार बार कॉल और फिर मैसेज के जवाब Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 6 312 687 ६. कुछ और भी काम दो दिन कॉलेज बंद था, परसों २६ जनवरी की औपचारिक उपस्थिति जरूर लगनी थी, और उससे अगले दिन यानि २७ जनवरी को नक्खास मार्किट जाना बहुत जरूरी था. कल का दिन महत्वपूर्ण बन गया ...Read Moreकल सबसे सलाह के बाद जरूरी सामान की लिस्ट फाइनल करनी थी. चंद्रन सर द्वारा सुझाये गये परिवर्तन के बाद अब काम का स्कोप और सामान की वैरायटी के साथ लागत बढ़ने का भी खतरा था. पर, उनसे हुए विमर्श को अनदेखा नहीं किया जा सकता था. तो, तय हुआ कल, यानि शनिवार को पूर्वाह्न ११.३० बजे, कॉलेज कैंटीन. तब Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 7 330 789 ७. पुराना लखनऊ… एक खोज नक्खास बाजार… लखनऊ के रविवार के कबाड़ी बाज़ार का पता है. नक्खास से याहियागंज तक सडक के इर्द-गिर्द बेहतरीन बंद शटर के दुकानों के बाहर की जगह पर कब्जा कर फ़ैली हुई तथाकथित खुली ...Read Moreमें सूई से लेकर हवाई जहाज के पुर्जे और विदेशी चिड़ियाओं से लेकर जहरीले सांप तक की संरक्षित प्रजातियाँ, या फिर किसी भी मोटर गाडी अथवा इलेक्ट्रिक बोट के इंजन को खोजना कोई मुश्किल काम नहीं है. बस एक तरह का जूनून हो आपके पास और पारखी नज़र. पर एक बात और समझने की है कि अगर इन पटरी दुकानदारों Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 8 279 726 ८. घर पर काम… कुछ आराम वह मंगलवार का दिन था. आरव के घर ग्रुप को मिलना था. ठीक बारह बजे दोपहर. आरव ने गैराज का एक हिस्सा अच्छे से साफ़ करवा दिया था. यूँ भी गैराज भले ही ...Read Moreवह, पर उनकी गाड़ी कभी खड़ी नहीं होती थी उसमें. हमेशा पोर्टिको ही इस्तेमाल होता था. कुछ पुराना सामान और गाड़ी के टायर एवं टूल्स आदि ही रखे थे वहां. वैसे वह काफी बड़े स्पेस में था जहाँ गाड़ी खड़ी करने के बाद भी खूब जगह बचती थी. हवादार भी थी वह जगह. वहां बैठकर काम करने में कोई विशेष Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 9 279 693 ९. कुछ और काम… थोड़ा और पहचान काम पर जुट गयी थी पूरी टीम. देव भी कम रूचि नहीं ले रहा था बीच में थकान उतारने एक कॉफ़ी ब्रेक लिया गया. देव और आरव कुछ सामान लेने मार्किट गए ...Read Moreपीछे बातो का सिलसिला चल निकला उर्मिला जी बोली, “अच्छा हुआ कि आरव को यहीं कॉलेज मिल गया था, उसे तो हॉस्टल में जाना पसंद ही नहीं. यूँ कहो कि वह हॉस्टल में रह ही नहीं पायेगा…” उर्मिला जी शायद अपने बेटे की नाजुकता का बखान कर रही थी, पर आरिणी ने हंसकर कहा, “आंटी, हमने तो पहली बार इतनी Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 10 330 786 १०. पड़ाव आज प्रोजेक्ट को जमा करने का दिन था. एक सप्ताह कैसे बीत गया पता ही नहीं चला. आज शनिवार था, और सोमवार को प्रोजेक्ट जमा करना था. रिपोर्ट का काम भी साथ-साथ चल रहा था. अंतिम एडिटिंग ...Read Moreलिए चर्चा होनी थी आरिणी और आरव की. तय हुआ कि आज ही रात को दोनों एक दूसरे से व्हाट्सएप पर एक्सचेंज करेंगे अपने-अपने नोट्स. रात को डिनर के बाद आरिणी का मैसेज आया. उसने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट भेजी. हालांकि काफी सामग्री वही थी जो आरव ने चयन की थी परन्तु फिर भी उसने जो परिवर्तन किये उनमें से Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 11 333 849 ११. आखिरकार अंततः रिपोर्ट सबमिट करने का समय आ गया था. ग्रुप का नाम पुकारा गया. जूरी में डॉ आर पी चंद्रन विभागाध्यक्ष के रूप में मौजूद थे, जबकि ए पी कुलश्रेष्ठ वरिष्ठ प्रोफेसर तथा आई आई टी कानपुर ...Read Moreमैकेनिकल विभाग के प्रमुख के पी वरदराजन एक्सटर्नल एग्जामिनर के रूप में बैठे थे. पहला नंबर था उन लोगों के ग्रुप का इसलिए चारों ने हाल में प्रवेश किया. आरव और देव मॉडल को संभाले थे. मॉडल क्या था, मिनी कार का वर्सन था, जैसे वाकई डी सी मोटर्स के वर्कशॉप से निकालकर लाया गया हो. नेवी ब्लू रंग की Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 12 348 834 १२. अनुभूतियां-- कुछ स्नेह कुछ प्रेम उर्मिला आरिणी को मन ही मन पसंद करने लगी थी, यह किसी से छिपा नहीं था. वर्तिका भी आरिणी में एक सहज अपनापन महसूस करती थी, पर आरव से जब भी चर्चा होती ...Read Moreटाल जाता, कुछ नहीं था फिलहाल उसके दिमाग में, सिर्फ प्रोजेक्ट थी अभी. “मम्मी, आरिणी भी कितना खुश होती है हम लोगों के साथ न ? आपने देखा शुरू में वह चुप-चुप सी रहती थी, पर समय बीतते-बीतते कितना खुश रहने लगी थी हम लोगों के साथ”, वर्तिका ने बोला. आरिणी का व्यवहार और बात कहने का अंदाज वर्तिका को Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 13 378 786 १३. प्रेम की पींग “अगली बार मिलने का मन हो तो सीधे बुला सकती हो. बहाना बनाने की जरूरत नहीं”, आरव ने कॉफ़ी और कुकीज रखते हुए कहा. “तुम्हें मालूम है ना कि तुम कितने अजीब हो! आई ऑलवेज ...Read Moreप्राउड एंड थैंकफुल टू माय पेरेंट्स फॉर गिविंग मी सच ए ब्यूटीफुल नेम... बट नाउ आई विश दे कुड हैव नेम्ड मी फ्रॉम वाई….. “, आरिणी ने आरव को घूरते हुए कहा. “ओह रियली! तो मैडम कहना चाहती हैं कि रात के साढे नौ बजे वह और मैं केवल सेम अल्फाबेट की वजह से कॉलेज से चार किलोमीटर दूर अलीगंज Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 14 360 846 १४. बात यूँ ही बनती हैं आज आरिणी को आरव के घर जाना था. उर्मिला कल शाम और फिर आज सवेरे ही कॉल करके याद दिला चुकी थी. वर्तिका की भी एक मिस्ड कॉल पडी थी जब वह बाथरूम ...Read Moreथी. आकर उसे फोन मिलाया तो वह भी जल्दी आने का अनुरोध कर रही थी. हाँ, आरव की कोई कॉल नहीं आई थी. पर यह कोई आश्चर्यजनक भी नहीं था. उसका व्यवहार कभी भी यू टर्न लेता था, और वह सिर्फ अपने काम में ही शिद्दत से खोता था. आरिणी को उसकी इस बात का बिलकुल भी बुरा नहीं लगता, Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 15 357 759 १५. थोड़ा प्रेम… थोड़ा रोमांच “सुनो, आपको कैसी लगी आरिणी ? अपने मन की बताओ…”, चाय का प्याला अपने पति राजेश सिंह के हाथ में पकड़ाकर बोली उर्मिला. “मैं क्या कहूँ.. मेरी तो थोड़ी ही देर की मुलाक़ात है. ...Read Moreतो आप लोगों को ही देखना है...फिर उसका और उसके घर वालों का मन भी तो टटोलना पड़ेगा”, और अभी दोनों बच्चे भी अपनी अपनी पढ़ाई में भी व्यस्त है. राजेश ने व्यवहारिक पहलू पर चर्चा की. “अब ऐसे रिश्तों में तो पहल खुद ही करनी पड़ती है.और मैं कौन सा अभी शादी करने के लिए कह रही हूँ. बस Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 16 345 720 १६. कुछ आगे भी आज रविवार था. रविवार यानी आराम का दिन. पर भरोसा कुछ भी नहीं. न जाने कौन सा ऐसा काम आ पड़े, या कोई इमरजेंसी. फिर भी… रविवार सबके लिए एक राहत ही लेकर आता है. ...Read Moreभर की गहमागहमी के बाद एक दिन तो आराम का होना ही चाहिए. पर, कहाँ हो पाता है आराम गृहणी के लिए वही तो सबसे कठिन दिन होता है. जैसे परीक्षा हो हर सप्ताह उसकी. और परीक्षा लेने वाले कौन… निर्दयी बच्चे.... जिनकी फरमाइशें कभी पूरी नहीं होती. पति भी साथ में मिल जाएँ तो क्या कहना. शेफ़ के हाथों Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 17 381 810 १७. मुलाक़ात, जिनसे जिंदगियां बदलती हैं वर्किंग डे था राजेश सिंह के लिए आज भी, रोज की तरह. पर आज एक ख़ास दिन इसलिए भी था कि आज आरिणी के मम्मी-पापा आ रहे थे. उसके पापा की एक सरकारी ...Read Moreथी, लखनऊ के शक्ति भवन में. दोपहर बाद तक बैठक से मुक्त होकर उनका शाम को आरव के घर पहुंचना तय हुआ था. डिनर के बाद उनको ट्रेन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आरव ने पहले ही ले ली थी. उनका उसी दिन का नौचंदी एक्सप्रेस से कनफर्म्ड रिजर्वेशन था. उर्मिला सब चीज़ परफेक्ट चाहती थी. कोई समझौता नहीं होना Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 18 297 633 १८. समय चक्र समय का चक्र बे-फिक्र होकर चलता रहता है, निरपेक्ष भाव से. न जल्दी, न विलम्ब से. पर वह तो हम अपने-अपने स्वार्थों के वशीभूत हैं कि या तो उसके शीघ्र आने की कामना करते हुए आतुर ...Read Moreजाते हैं, अथवा उसे अपनी कुछ जटिलताओं के वशीभूत लम्बित रखना चाहते हैं. कभी-कभी आरिणी को लगता कि कुछ जल्दी तो नहीं हो गया सब कुछ विवाह शब्द अपने आप में ही कितना वजनदार शब्द है. आकाश में उडती लड़की के पंख कतर जमीन पर लाने की क्षमता जो रखता है लेकिन वहीं प्रेम की ताकत भी तो है .बिना Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 19 318 738 १९. विवाह और आगे कहते हैं समय और पैसा-- दोनों के पंख होते हैं. जब सोचते हैं कि समय यहीं रुक जाए, तो वह कुछ और गति से बढ़ने लगता है… कुलांचे मारने लगता है, यही हाल पैसे का ...Read Moreहै कितना भी बचाओ खर्च हो ही जाता है खैर… समय का चक्र है यह, हमेशा अपनी गति से चलता है. विवाह की तिथियाँ निकट आने लगीं. जुलाई का महीना था. प्रथम सप्ताह बीत चुका था, तृतीय सप्ताह में विवाह की तिथि थी. सब तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थी. आज १८ जुलाई थी. दोनों पक्षों की सुविधानुसार लखनऊ में Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 20 291 633 २०. रोमांच… नहीं, कुछ असमंजस धीरे-धीरे मेहमान जाने लगे थे. एक-एक करके सब चले गये शाम तक. घर में बचे मात्र वही-- राजेश प्रताप सिंह, उर्मिला, आरव, वर्तिका और स्वयं आरिणी. थोडी देर झपकी लेकर वह अब सहज हो ...Read Moreथी. आज डिनर की तैयारी करना चाहती थी, पर उर्मिला ने स्नेहवश उसे मना कर दिया. ठीक भी था… आरिणी अभी इतनी भी सामान्य नहीं हुई थी कि डिनर जैसी बड़ी जिम्मेदारी का निर्वाह कर सकने में समर्थ हो. आरव तो घोड़े बेचकर सोया था. शाम होने को आई और शाम से फिर रात का घना अंधकार भी उतर आया, Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 21 273 615 २१. संदेह और असमंजसता का चक्र एक बार फिर जाकर देखा आरिणी ने. कोई अंतर नहीं था… आरव एक अबोध शिशु की भाँति निद्रामग्न था. उसने कोशिश की जगाने की… लेकिन उसे नहीं जागना था, सो नहीं जागा. आरव ...Read Moreरहा.. और घर की दिनचर्या यूँ ही चलती रही. तीसरे दिन दोपहर को आरव की नींद पूरी हुई. अब जाकर वह स्नान कर के बेहतर लग रहा था. उसे सहज देख कर आरिणी ने उससे साफ़ शब्दों मे पूछ लिया- “शादी की रस्मों से ही इतना थक गए. शादी कैसे निभाओगे श्रीमान”, आरिणी ने अपने चिर परिचित अंदाज में नाराज Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 22 240 558 २२. कुछ उलझन आज डिनर के लिए सबको कैंट एरिया में जाना था. राजेश जी के बचपन के मित्र लखनऊ कैंट में एक वरिष्ठ अधिकारी थे जिन्होंने आज परिवार को रात्रि भोज पर आमंत्रित किया था. सब कुछ खुशनुमा-सा ...Read Moreरहा था अभी. इस सबके बावजूद आरिणी का मन रह-रह कर कुछ सशंकित-सा हो जाता था. लगता था जैसे उससे कुछ छिपाया जा रहा हो. पर, दूसरे ही क्षण वह ऐसा कोई विचार अपने मन से जबरन निकाल फेंकती. सोचती कि उसके अधिक सोचने का ही परिणाम हो सकती है यह स्थिति. हो सकता है कि आरव किसी हलके-फुल्के तनाव Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 23 321 774 २३. हंसी-खेल नहीं है असली जिंदगी थोड़ी देर वर्तिका के पास बैठी वह. उसके पास स्कूल-कॉलेज की गप्पबाजियों का खजाना था. वर्तिका भी उसे बहुत पसंद करती थी. उसका व्यवहार ठीक वैसा ही था, जैसा पहले था. वाकई रत्ती ...Read Moreभी अंतर नहीं था. हाँ, अगर अंतर था तो कुछ अतिरिक्त स्नेह का. केवल वर्तिका ऐसी थी जो अभी भी उसके नजदीक बनी हुई थी. न जाने क्यों ऐसा होता है कि जो लोग आपके बहुत करीब होते हैं वो धीरे-धीरे दूर होते दिखने लगते हैं, मन ही मन सोचने लगी आरिणी. जीवन भर के बंधन और भारी-भरकम रस्म-रिवाजों के Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 24 294 618 २४. दिन निकल रहे थे ऐसे ही. बीच में तीन दिन के लिए अरु अपनी मम्मी-पापा से मिलने सहारनपुर भी गई. उसका चचेरा भाई आकर लिवा ले गया था. मां से खूब बातें हुई, पर आरिणी ने स्वयं को ...Read Moreरखा था कि वह मां को कोई ऐसी बात नहीं बतायेगी जिससे उन्हें परेशानी हो. फिर, अभी तक वह स्वयं नहीं समझ पा रही थी कि आरव की जिन्दगी की वास्तविकता क्या है. आरव स्वयं लेने पहुंचा था उसे . रात को रुका नहीं क्यूंकि उसी रात की ट्रेन से रिजर्वेशन भी था. आज आरिणी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण दिन Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 25 285 846 २५. कुछ दुविधा… कुछ सच आरव के यूँ तो मार्क्स आरिणी से थोड़ा बेहतर थे. कुल स्कोर में उसका परसेंटेज आरिणी से ऊपर था, पर वह व्यवहारिक रूप से उसके सामने कहीं नहीं टिक पाता था. ख़ास तौर से ...Read Moreइंटरव्यू या प्रेजेंटेशन में. प्रेजेंटेशन के मामले में तो आरिणी ने स्वयं देखा था. वह पहले इस बात को नार्मल समझ रही थी. उसने आरम्भ से ही प्रोजेक्ट वर्क के प्रस्तुतिकरण में लीड लेने से साफ़ मना कर दिया था. अब उसे याद आ रहा है कि यह बात भी उसके किसी मनोविकार या दिमाग में बैठी किसी गम्भीर बात Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 26 300 696 २६. प्रेम… या उलझन आज, आरव के बात करने से वह थोड़ा अच्छा महसूस कर रही थी. प्रेम के दो शब्द ही काफी होते हैं स्त्री का मन जीतने के लिए, यह जानने के लिए कोई विशेषज्ञता की पढ़ाई ...Read Moreनहीं करनी होती. सिर्फ संवेदना का स्तर ही तो मैच कराना होता है, जो आज लगता था, फिर से मेल खा रहा था. प्रेम के इन चार शब्दों से ही आरिणी पिघल कर वही पुरानी थोड़ा चुलबुली-सी बनने को तैयार हो गई थी. यह आरव भी देख पा रहा था कि आरिणी के मन की बात होने भर से उसकी Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 27 267 663 २७. दूरियां एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में उनके बीच बस दीवारों की ही दूरी नहीं थी, अब विचारों की दूरी भी बढ़ती जा रही थी. नहीं समझ पाते कुछ लोग एक दूसरे का दृष्टिकोण, क्योंकि विश्वास ...Read Moreजम पाता है. न विज्ञान पर, और न डॉक्टर्स पर. नई पुत्रवधू से भी रिश्ता जमाने में समय तो लगता है न? लेकिन फिर भी विश्वास को ढूंढना, और उस खोज को संचित कर एक बेहतर जीवन के पथ पर चलना हम सब के लिए बहुत आवश्यक है. निष्पक्ष विवेचना और विश्लेष्ण सही पथ-प्रदर्शक होते हैं, यह सभी जानते हैं. Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 28 207 501 २८. स्वप्न हमेशा खूबसूरत नहीं होते आज आरिणी का मन डायरी लिखने का था. उसने डायरी निकाली और लिखा, “स्वप्न हमेशा खूबसूरत नहीं होते. ऐसे ही जिन्दगी के रंग हमेशा इन्द्रधनुषी- नही होते . यदि हर दिन आकाश में ...Read Moreखिल उठे, हर शाम सुहानी हो जाए तो जिन्दगी की कशमकश, कुछ द्बद्घ विराम न पा जाएँ. और ऐसी स्थिति में जिजीविषा का रोमांच कैसे बना रहेगा ?” “इसलिए, जिन्दगी से शिकायत कैसी. सुख-दुःख, अच्छा-बुरा, प्रसन्नता-अवसाद यह भी नैसर्गिक आविर्भाव ही तो है इस जीवन का. उनसे कैसा मुंह मोड़ना. चाहे पपीहा अपनी गर्दन उठाकर बारिश की राह में उमड़ते Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 29 198 546 २९. द्वंद्व और क्लांत मन आज कूरियर आया था. आरिणी ने लिफाफा खोला तो यह होंडा कार कंपनी का एक रिमाइंडर था. वे चाहते थे कि आरिणी या तो १५ सितम्बर तक ज्वाइन कर ले, या इस ऑफर को ...Read Moreकरने का विकल्प चुन ले. शर्त में यह भी लिखा था कि ‘फोरगो’ करने के उपरान्त आरिणी अगले दो साल तक कंपनी में किसी पद पर आवेदन करने की पात्र नहीं रहेगी. उसने गिन कर देखा लगभग सवा महीना था, निर्णय लेने में. पर समय कब किसकी प्रतीक्षा करता है, वह चिंतातुर हो उठी. छोटी-मोटी दुविधा नहीं थी यह Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 30 195 558 ३०. प्रयास… और दूरियां उर्मिला जी की अवहेलना और कटुता के बावजूद भी आरिणी समझती थी कि आरव की बेहतरी के लिए घर का वातावरण खुशनुमा रखना आवश्यक है, इसलिए अब बेवजह भी मुस्कुरा देती थी. आरव की मेडिसिन्स ...Read Moreभी ख्याल खुद ही रखती. आज से उन दोनों ने कैंट के कस्तूरबा पार्क में मॉर्निंग वाक के लिए जाना भी आरंभ कर दिया था. उनके घर से डेढ़ किलोमीटर पर था वह खूबसूरत पार्क. वे दोनों जॉगिंग करते, सेंट्रल फाउंटेन की फुहारों की कणिकाओं में झूमते, और खिलखिलाते, आसपास के लोगों से बेपरवाह. विवाह के सपने सब देखते हैं, Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 31 252 585 ३१. न जाने क्यों कई बार बड़ी बातें इतना उद्देलित नहीं करती जितनी छोटी-छोटी बातें मन को आहत कर जाती हैं. आरिणी ने उर्मिला जी के विषय में पहले जो बेहतर, और फिर नकारात्मक धारणा बनाई थी, अब वह ...Read Moreकुछ भूलकर उससे उबर ही रही थी, सकारात्मकता की ओर, कि यह नई बात उसने अपने कानों से सुन ली थी. बुखार पर तो किसी का भी जोर नहीं है. और अगर वह बेड रेस्ट पर है, तो अर्थ यह है न कि वह काम करने के लिए सक्षम नहीं है-- शारीरिक और मानसिक रूप से, फिर ऐसी बातों के Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 32 222 618 ३२. अनपेक्षित परिणति आरिणी वापिस अपने कमरे में आ कर लेट गई. थकान और बढ़ गई थी. शायद बुखार भी चरम पर था. थर्मामीटर देखने की भी हिम्मत नहीं थी. इतने में ही आरव आया. न जाने क्या हुआ ...Read Moreवह बहुत गुस्से में चिल्लाने लगा, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी मां से ऐसे बात करने की… अब वो किचेन में गंदे बरतन साफ़ करेंगी और तुम आराम करोगी… तुम उन्हें हुकुम दो यह नहीं चलेगा”. आरिणी का शरीर ज्वर से तप रहा था, मन भी ठीक नहीं था, ऊपर से आरव का यह आक्रोश असहनीय था. उसने उठकर बैठने Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 33 177 516 ३३. नाउम्मीदी दिन बीत गया. शाम होते-होते आरिणी का बुखार अब हल्का लग रहा था. पर घर का वातावरण थोड़ा बोझिल था. आरव पूरे समय मौजूद था, लेकिन नीचे अपनी मम्मी के पास था या टी वी देखता रहा. ...Read Moreजी भी देखने नहीं आई आरिणी को. उसे आरव की बहुत चिंता हो रही थी. सोचा कि अनायास काम के दबाव से क्रोध आया होगा, और क्रोध में हमारा विवेक हमें जिस रास्ते पर धकेलता है, उसी पर हम चल पड़ते हैं… बिना सोचे-समझे. पर कहीं यह बिगडती बीमारी का लक्षण तो नही ? शाम को बाई आ गई थी, Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 34 147 417 ३४. रिश्तों का कुचक्र आरिणी के चचेरे भाई डॉ विनय से माधुरी ने अनुरोध किया कि वह जाकर देखें कि समस्या क्या है. उसी के अनुरूप समझा जाए कि करना क्या है, ताकि रिश्तों पर भी आंच न आये ...Read Moreअरु भी प्रसन्न रहे. वह स्वयं एक स्थानीय स्वयंसेवी संस्था से जुड़ी थी जो अवसादग्रस्त लोगों को मुख्य धारा में लाने के नियमित कार्यक्रम संचालित करती थी. वह समझती थी कि यदि अरु एक बार अवसाद में डूब गई तो न जाने कब जाकर यह कुचक्र खत्म होगा. इसलिए समय रहते ही कार्यवाही की जानी जरूरी है. डॉ विनय दोपहर Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 35 171 498 ३५. विचलन अप्रत्याशित चीजें विचलित करती हैं, पर जब कदम-दर-कदम आप समझ सकते हो कि क्या होने जा रहा है… तो आप स्वयं संवेदना के स्तर पर भाव शून्य हो जाते हो. यही कुछ आरिणी के साथ हो रहा ...Read Moreवह अब समझ गई थी कि चाहे जितना प्रेम दिखाओ, जितने समर्पण से रहो, वे हर बात में कोई न कोई कमी निकाल कर मूड खराब करने का रास्ता ढूंढ ही लेती हैं. वे उन कुछ लोगों में से लगी उसे, जो अपने हाथों से अपनी दुनिया में कांटे बिछा देते हैं. न उन्हें पता चल पाता है, और न Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 36 144 423 ३६. परिवर्तन अब आरिणी ने अपना सारा ध्यान जॉब की ओर लगा दिया. कॉलेज की पढ़ाई से अलग होती है व्यवहारिक दुनिया, यह कुछ ही हफ़्तों में समझ आ गया था उसे वह सारा समय समर्पण के भाव से ...Read Moreकरती, नई टेक्नोलॉजी को सीखने-समझने और जानने में समय देती. शेष समय में स्वयं पर भी ध्यान देती. लेकिन आरव का ख्याल भी किसी साये की तरह पीछे लगा रहता… उसकी दवाई का समय होता तो वह चिंतित हो जाती कि पता नहीं ली भी होगी या नहीं…. ऐसे में वह वर्तिका को फोन कर उसी से अनुरोध करती. उधर Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 37 162 432 ३७. कुछ जटिलताएं दिल उदास हो गया. दोपहर के भोजन का भी मन नहीं किया. क्यूं होते हैं हम लोग इतने जटिल, सोचने लगी माधुरी. और यह तो वही परिवार है न जो हर दिन आरिणी को अपनी आंखों ...Read Moreसामने रखता था. आरव और उसकी मम्मी की कितनी प्रशंसा करती थी आरिणी. अब न जाने ऐसा क्या हुआ है कि आरिणी उन्हें एक पल भी नहीं सुहाती. जब भी बात होती है कुछ न कुछ तनाव! और आज तो इस तनाव की पराकाष्ठा ही हो गई, सोचा उन्होंने. उनका रोने का मन हो रहा था. इसी उधेड़बुन में शाम Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 38 153 417 ३८. बड़ा निर्णय ...और आरिणी चली गई. पूरे तीन महीने के लिए. वह धीरे-धीरे अपने करियर के उस मोड़ पर पहुंच रही थी, जहां का रास्ता चुनौतियों से भरा अवश्य होता है, पर उसका फल मिलना अवश्यम्भावी होता है. ...Read Moreइतनी व्यस्त हो गई थी कि वीकेंड पर ही घर पर बात या संदेश भेजने का समय निकल पाता था. आरिणी स्वयं ऐसे जीवन को पसंद करती थी. कंपनी के हेड क्वार्टर आकर वह उन पहलुओं को भी जान सकी थी, जिसके कारण कंपनी विश्व की चुनिंदा ऑटो कंपनी के रूप में जानी जाती थी. उस दिन सवेरे के 11 Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 39 141 423 ३९. अंधकार… दु:स्वप्न चाहे जितनी भी बड़ी समस्या हो, अथवा जो भी परेशानी हो, माधुरी ने कभी अवसाद को पास नहीं फटकने दिया था. हमेशा परिस्थितियों का सामना बहुत धैर्य और तर्क के साथ करने की आदत डाली थी ...Read Moreक्रोध उनके चेहरे पर शायद ही कभी दिखा हो. मुस्कुराहट से भरा उनका चेहरा सदैव एक सकारात्मक भाव का तेज दर्शाता था. पर… आज स्थिति कुछ अलग थी. सब कुछ जैसे धूमिल हो गया था. उनके सुनहरे संसार को… उनकी बेटी के सपनों को जैसे किसी ने दु:स्वप्न के अन्धकार में बदलने का प्रयास किया हो. फिर, ऐसा करने वाला Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 40 102 267 ४०. कुछ और कटुता अनुभव सिंह अपना एक और कटु अनुभव लिए लौट आये. उन्हें दुःख अवश्य हुआ, पर हिम्मत नहीं हारी. इसी महीने की १७ तारीख को कोर्ट में उपस्थित होना था आरिणी को. चूँकि वह मौजूद नहीं ...Read Moreभारत में, इसलिए उसके बदले पिता ने स्वयं जाना तय किया था. चाहे तो किसी वकील को भी तय कर सकते थे, परन्तु उन्होंने इस हेतु खुद को ही उपयुक्त पाया था. माधुरी में फिर से हिम्मत और हौसला लौट आया था. उनका मानना था कि इंसान को मन से प्रयास करना चाहिए, पूरी शिद्दत से, शेष ईश्वर के हाथ Read 360 डिग्री वाला प्रेम - 41 72 162 ४१. कुछ उदासी… थोड़ी ख़ुशी और यूँ ही यह दिन भी बीत गया. अनुभव सिंह सहारनपुर के लिए वापिस लौट चले, बिना किसी नतीजे के. संबंधों की कटुता राजेश सिंह के परिवार की ओर से थोड़ा अधिक थी पर ...Read Moreभी समझ नहीं आ रहा था कि क्या रुख अपनाया जाए. दोनों ओर कुछ अलिखित सीमाओं का निर्धारण हो चुका था. उन सीमाओं को राजेश लांघना नहीं चाहते थे, और अनुभव सिंह की लांघने की हिम्मत नहीं थी… कहीं कोई गलत सन्देश न चला जाए शायद, मात्र इसलिए. दिन बीतते रहे, पर सम्बन्धों की उष्णता का ह्रास होता गया. आरिणी Read More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Novel Episodes Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Humour stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Social Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Raj Gopal S Verma Follow