Tumhare Dil me mai hu by S Bhagyam Sharma | Read Hindi Best Novels and Download PDF Home Novels Hindi Novels तुम्हारे दिल में मैं हूं? - Novels Novels तुम्हारे दिल में मैं हूं? - Novels by S Bhagyam Sharma in Hindi Love Stories (113) 10.2k 21.6k 8 यह एक प्रेम कहानी है। यह कहानी भी छोटे गांव की है। लड़की छोटे गांव की है। जिसकी मां नहीं है। सौतेली मां को गीता ‘मौसी’ बुलाती है। वह एक आभूषण के शोरूम में काम करती है। अप एंड ...Read Moreकरती है। बहुत प्यारी लड़की है। परंतु उसकी सौतेली मां उसे बहुत परेशान करती है। गीता परिवार के लिए सब कुछ त्याग देती है। एक बस ड्राइवर उसे जी जान उसे चाहता है। अभी सच्चे प्यार का क्या हुआ आप पढंगे तभी पता चलेगा ना! Read Full Story Download on Mobile Full Novel तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 1 2.1k 3.9k सारांश यह एक प्रेम कहानी है। यह कहानी भी छोटे गांव की है। लड़की छोटे गांव की है। जिसकी मां नहीं है। सौतेली मां को गीता ‘मौसी’ बुलाती है। वह एक आभूषण के शोरूम में काम करती है। अप ...Read Moreडाउन करती है। बहुत प्यारी लड़की है। परंतु उसकी सौतेली मां उसे बहुत परेशान करती है। गीता परिवार के लिए सब कुछ त्याग देती है। एक बस ड्राइवर उसे जी जान उसे चाहता है। अभी सच्चे प्यार का क्या हुआ आप पढंगे तभी पता चलेगा ना! संक्षिप्त जीवन परिचय एस.भाग्यम शर्मा एम.ए अर्थशास्त्र.बी.एड. 28 वर्ष तक शिक्षण कार्य किया। Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 2 (11) 1.1k 2k अध्याय 2 अपनी हाथ की घड़ी को गीता ने देखा। आठ बजकर पैंतालीस मिनट हुए। साधारणतया आठ पैंतालिस तक लक्ष्मी ट्रांसपोर्ट के मिनी बस पुरानी बस स्टैंड को पार कर लेती है। आज अभी तक नए बस स्टैंड से ...Read Moreरवाना नहीं हुई। "बड़े भाई साहब..." क्लीनर पप्पू ने संकोच से बोला। "क्या है रे ?" "समय हो गया भैया..." "होने दे" "गाड़ी को निकालिए भाई साहब ! भारत ट्रांसपोर्ट की बस, स्टैंड के अंदर आ गई है। हम अभी भी रवाना नहीं हुए तो समस्या आ जाएगी। आज मूछों वाला कल्लू ही उसका ड्राइवर है। वह उतर कर मारने Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 3 891 1.9k अध्याय 3 एक दिन छोड़कर एक दिन ही उसका काम होता है। मिनी बस से उतर कर मोती घर पर ही था। घर के सामने आम के पेड़ की छाया के नीचे एक खटिया थी। उस पर मोती लेटा ...Read More। आम के पेड़ पर गिलहरियां इधर से उधर भाग रही थीं। अचानक खूब सारे हरे तोते अपने पंखों को फड़-फड़ाते हुए, की की... की आवाज करते हुए एक से दूसरे टहनी पर जा रही थी। गिलहरियों ने जिन कैरियों को काटा था वे धड़ाधड़ नीचे गिर रहे थे। "अरे मोती" हाथ में चाय का कप लेकर आई सविता। वह Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 4 849 1.5k अध्याय 4 "मनाली यहां आना।" गीता बड़े प्यार से बुलाई। "क्या बात है दीदी।" "आ बच्चे में बताती हूं।" हाथ में रखे पुस्तक को उल्टा रखकर मनाली उठी। एक छोटे से आभूषण की डिबिया को मनाली को गीता ने ...Read More"यह ले लो ।" "यह क्या है दीदी ?" असमंजस से पूछा मनाली ने। "ले कर देखो।" आभूषण के डिब्बे को लेकर खोला। डिब्बे में दो ग्राम का सोने की चेन थी। शुद्ध के. डी. एम. सोना होने के कारण चमाचम चमक रहा था। "किसके लिए है यह चेन ?" "तुम्हारे लिए ही है।" गीता ने उसके हुक को उतार Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 5 810 1.6k अध्याय 5 "पुरानी बस स्टैंड वाले सब लोग उठ जाइए।" कॉन्टैक्टर हनुमान ने आवाज दी। उसके पहले स्टाप पर ही बहुत से लोग उतर गए थे । गीता और कुछ लोग ही सिर्फ उस बस में बैठे थे। पुराने ...Read Moreस्टैंड में मिनी बस के रुकते ही गीता दोनों हाथ को फैला कर उठी। "जल्दी से ले जा कर दे रे" क्लीनर पप्पू से धीरे से बोला मोती। मोती के दिए पत्र को अपने शर्ट के पोकेट से बाहर निकाला पप्पू ने और गीता के पीछे जल्दी-जल्दी जाने लगा। "दीदी" धीरे से बुलाया। नीचे उतरी गीता तुरंत मुड़ी। "इसे ड्राइवर Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 6 513 1k अध्याय 6 रात 9:00 बजे। अंधेरे को चीरते हुए मिनी बस जसवंतपुरा के पास पहुंच रही थी। गांव का रास्ता सकरा खड्डे वाला उबड़-खाबड़ रास्ते से जाने के कारण लोग उछल-उछल पड़ते। जसवंतपुरा में जाकर बस खड़ी हुई। अब ...Read Moreदिन सवेरे ही यहां से चलेगी। आज मोती ने ही बस चलाई थी। कल दूसरा आदमी आएगा। कल पूरे दिन मोती को आराम है। घर में ही रहेगा। गीता उसके बात को मान ले तो बस सब हो जाएगा। कल ही अम्मा के साथ जाकर लड़की मांग लेंगे। 'बार-बार तिरछी आंखों से गीता को देखते हुए मिनी बस को चला Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 7 519 1.1k अध्याय 7 घर में कोई नहीं था। राकेश जी खेत पर चले गए। सिर्फ रितिका ही थी। जर्सी गाय के दूध को निकाल रही थी। इसका दूध बहुत ही स्वादिष्ट और शरीर के लिए अच्छा होता है। इसको वह ...Read Moreउबालकर गाढ़ा कर पूरा स्वयं पी जाती थी। उसकी जो राक्षसी शक्ति थी शायद उसका कारण यही था। गाय ने तीन बछड़े को जन्म दिया | इस गाय जिसका नाम लक्ष्मी था। इन बछड़ों के लिए भी दूध ना छोड़ कर पूरे दूध को दोह लेती थी। बाहर से कोई आवाज आई। वह जल्दी से बाहर आई। एक बाइक बाहर Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 8 459 1k अध्याय 8 आकाश फटने को हुआ चांदनी भी फटनी की सोचने लगी इधर-उधर आई मछलियां तमाशा देख रहीं थीं। चल रही हवा भी फटने की सोचने लगी। सब कुछ असामान्य। भयंकर चित्कार किया गीता ने। बहुत दर्द हो ...Read Moreहै मौसी... रितिका के हाथ में जो बांस की लकड़ी थी उससे गीता के पीठ पर जोर-जोर से मार रही थी। मत मारो मौसी.... मत मारो... मौसी.... काम खत्म होते ही मिनी बस पर चढ़कर, जसवंतपुरा में उतर, अभी गीता घर आई थी। आते ही उसे मारना शुरू कर दिया। लात मारने लगी। मौसी मैंने क्या गलती की ? इसके अलावा Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 9 426 927 अध्याय 9 तालाब के किनारे दोनों तरफ गड्ढे और पत्थर पड़े थे। कच्ची पगडंडी में हो कर चलना पड़ता था। वह भी नुकीली पत्थरों से भरा था। दस रुपये का टॉर्च लेकर गीता ने अपने हाथ में रखा। मेन ...Read Moreसे उतर कर धीरे-धीरे तालाब के पगडंडी से चलना शुरू किया। उसके साथ कोई नहीं था। कोई विपत्ति आए तो चिल्लाने पर भी कोई नहीं आ सकता था। वहां सियारों, लोमड़ियां आ जाती थी। उनके चिल्लाने की आवाज सुनाई देती थी। ज्यादातर लोग लक्ष्मी ट्रांसपोर्ट के मिनी बस से सीधे ही गांव आ जाते थे। मिनी बस छूट जाए तो Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 10 381 933 अध्याय 10 "अरे रितिका।" हड़बड़ाते हुए दौड़ी आई द्रौपदी। द्रौपदी और रितिका एक ही गली में रहती थी। रितिका और द्रौपदी में बहुत समानताएं थी। तराजू में तौले तो दोनों बिल्कुल सामान होंगी। रितिका को एक धारधार नुकीली चाकू ...Read Moreतो द्रौपदी बंदूक | इन दोनों को दूसरों के जीवन को बर्बाद करना है तो लड्डू खाए जैसे स्वाद आता था। 'द्रौपदी आओ' दोपहर का समय। इस समय कोई काम नहीं होता । चटाई को बिछाकर आराम से लेटी हुई थी। मूंगफली को खाकर बाकी वहां रखा हुआ था। "मूंगफली खाओ द्रोपदी..." बड़े प्रेम से उसे मनुहार करने लगी। "तुम्हारे Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 11 426 1k अध्याय 11सब बड़े खुश हुए। मनाली और कमला बहुत ही खुश हुए। गीता दीदी की शादी है। जसवंतपुरा के बाबूलाल से शादी थी। वे 45 वर्ष के थे। वे सफेद धोती और कुर्ता पहनते थे। उनके मुंह में हमेशा ...Read Moreरहता था। वे हमेशा उसे मुंह में रखकर ही बात करते हैं। गले में मोटी रस्सी वाली सोने की भारी चेन पहने रहते थे। दोनों हाथों में अंगूठे को छोड़कर सभी उंगलियों में मोटी-मोटी अंगूठियां पहने रहते थे । जहां जाओ कार से ही जाते थे। सब काम करने के लिए नौकर थे । महल जैसे मकान... करोड़ों की संपत्ति Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 12 405 993 अध्याय 12 बहुत महत्वपूर्ण प्रेम इस प्रेम में जो शक्ति है वह इस दुनिया में और किसी में नहीं होता। गहरे समुद्र में गिरे हुए को भी बचा सकते हैं। रेत में फंसे हुए भी बचा सकते हैं। परंतु ...Read Moreमें डूबे आदमी को बचना बहुत ही मुश्किल है। शरीर और प्राणों को थोड़ा-थोड़ा खत्म कर देता है। प्रेम के वेदना के कारण, अपने सारे उत्साह को मोती ने खत्म कर दिया। उसके चेहरे पर हमेशा एक उत्साह आंखों में एक चमक आवाज में एक अपनापन भरपूर रहता था। अब वह बिल्कुल बदल गया। उसे अपने चेहरे को आईने में Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 13 381 963 अध्याय 13 कल्याणपुरा देवी का मंदिर। वहाँ एक छोटा टेंट डाला हुआ था। बहुत जरूरी लोगों को ही बुलाया गया था। बाबूलाल बढ़िया कपड़ों में वर दिखाई दे रहा था । बहुत महंगी बनारसी साड़ी पहने सिर पर फूलों ...Read Moreसजे वधू के वेष में बलि के बकरे जैसे गीता बैठी हुई थी। हवन कुंड में थोड़ा और घी डाल कर उसे मंत्रों के उच्चारण कर उसे जलाने पंडित जी मग्न थे। रितिका आने वाले लोगों की आवभगत कर रही थी। राकेश एक नए शर्ट को पहने हुए मंदिर के एक तरफ कोने में खड़ा हुआ था। मनाली और कमला Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 14 294 780 अध्याय 14 आकाश में चंद्रमा दिख रहा था। आकाश में नवरत्नों को बिखेर दिया हो ऐसे नक्षत्र चमक रहे थे। पेड़ के नीचे खटिए पर मोती लेटा था। ‘उन्होंने मुझे चाहा होगा पर मैंने कसम से उन्हें नहीं चाहा। ...Read Moreके मंदिर में गीता की शादी को रोकने के लिए पुलिस के साथ जब गया तब गीता ने जो बातें बोली उसे मैं भूल नहीं पा रहा ।’ उन्होंने मुझे चाहा होगा। परंतु कसम से मैंने उन्हें नहीं चाहा। उसके मन के अंदर यही बात बार-बार गूंज रही थी । चाकू से वार किया जैसे दर्द हो रहा था। इस Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 15 318 963 अध्याय 15 सुबह 3:30 बजे के करीब ताई अपने दो लठैत के साथ कार से आकर उतरी। उन लोगों का इंतजार करते हुए रितिका जाग रही थी, जल्दी जल्दी उठी। "आओ.. दीदी बरामदे में आकर बैठो...." "बैठने की फुर्सत ...Read Moreहै..…जल्दी से बच्ची को भेज दे... हमें जाना है..." ताई बहुत नम्रता से बोलती हुई जल्दी में थी। घर के अंदर नहीं आई, घर के बाहर ही खड़ी हुई थी। "ठीक है दीदी.... अभी बुला कर ला रही हूं।" रितिका अंदर आई। हल्की रोशनी थी। मिट्टी के तेल का दीया जल रहा था। राकेश खर्राटे भर कर सो रहे थे। Read तुम्हारे दिल में मैं हूं? - 16 - अंतिम भाग (13) 318 945 अध्याय 16 सबेरा हुआ। बड़े पीपल के पेड़ पर पक्षी चह-चहा रहे थे। वहां एक पिलर के पास सहारा लेकर गीता खड़ी थी। लक्ष्मी ट्रांसपोर्ट की मिनी बस कब आएगी उत्सुकता से वह देख रही थी। आज बृहस्पतिवार है। ...Read Moreमोती ही मिनी बस का ड्राइवर होगा। आने दो। आते ही भाग कर बस में चढ़ना है। वहां जो एक सीट है उस पर बैठूँगी । आ जाओ! आ जाओ! आपने ज़िद की थी ना! अब मैं आ गई। सबको लात मार कर आ गई। मुझे अब ले जाइए। मेरे दिल में अब आप ही हो.... आपके प्यार को, आपकी Read More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Novel Episodes Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Humour stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Social Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything S Bhagyam Sharma Follow