Corona - Ek prem kahaani book and story is written by Neha Sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Corona - Ek prem kahaani is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कोरोना - एक प्रेम कहानी - Novels
by Neha Sharma
in
Hindi Love Stories
अचानक से खिड़की की तरफ से आई बॉल के कारण टेबल पर रखा पानी का गिलास टूट जाता है। पास ही सोफे पर बैठी लिली, जो अपना प्रोजेक्ट बनाने में व्यस्त थी, गिलास के टूटने की आवाज सुनकर भौहें चढ़ाते हुए उठ खड़ी होती है और खिड़की से नीचे की तरफ झांकती है।
खिड़की के ठीक नीचे कुछ लड़के हाथ में बैट लिए खड़े हुए थे। सभी की नजरें खिड़की पर सटी हुई थी।
तभी लिली अपनी आंखें निकालती हुई बोल पड़ती है - "तुम लोग ये आंखे फाड़- फाड़ कर क्या देखे जा रहे हो। आज तुम्हें कोई बॉल नहीं मिलेगी।"
"क्या यार लिली बॉल दे ना। तू हमेशा इतना गुस्सा क्यों करती है।"
भाग- 1 अचानक से खिड़की की तरफ से आई बॉल के कारण टेबल पर रखा पानी का गिलास टूट जाता है। पास ही सोफे पर बैठी लिली, जो अपना प्रोजेक्ट बनाने में व्यस्त थी, गिलास के टूटने की आवाज ...Read Moreभौहें चढ़ाते हुए उठ खड़ी होती है और खिड़की से नीचे की तरफ झांकती है। खिड़की के ठीक नीचे कुछ लड़के हाथ में बैट लिए खड़े हुए थे। सभी की नजरें खिड़की पर सटी हुई थी। तभी लिली अपनी आंखें निकालती हुई बोल पड़ती है - "तुम लोग ये आंखे फाड़- फाड़ कर क्या देखे जा रहे हो। आज तुम्हें
भाग - 2 नीचे लिविंग रूम में सोफे पर बैठे हुए शेखर कुमार अखबार पढ़ रहे थे। लिविंग रूम के बगल में ही बने मंदिर में बैठकर दादी अपनी रामायण की चौपाइयाँ पढ़ रही थी। लिली सीढ़ियों से नीचे ...Read Moreकर आती है और शेखर कुमार के गले लगते हुए कहती है - "गुड मॉर्निंग पापा" पिता शेखर कुमार अखबार से ध्यान हटा कर उसे एक तरफ रख देते है और बेटी लिली को बड़े प्यार से अपने पास बिठा लेते है। पिता- पुत्री का यह तालमेल देखते ही बनता था। लिली पिता से पूछती है- "पापा अब आपकी तबीयत
भाग-3 "भाई शेखर कुमार बेटी लिली की देखभाल ने बहुत अच्छा असर दिखाया है। तुम्हारी सारी रिपोर्टस पहले से बहुत बेहतर है" - डॉक्टर त्रिपाठी फाइल में एक नजर डालते हुए बोलते है। "अरे वाह त्रिपाठी यह ...Read Moreबहुत अच्छी खबर सुनाई तुमने। चलो अब उन रोज की कड़वी दवाइयों से छुटकारा मिलेगा" - शेखर कुमार एक लंबी सांस छोड़ते हुए बोलते है। " अरे यह क्या बात हुई भला शेखर कुमार तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे दवाई, दवाई ना हुई कोई गले का फंदा हो गई। रिपोर्ट नॉर्मल आई तो क्या दवाई लेना छोड़
भाग- 4 सहसा पीछे से आई आवाज सुन कर लिली के कदम चलते- चलते रुक जाते है। उसकी आंखों में एक नई चमक आ जाती है। पता नहीं क्यों जब भी लिली अनुराग का नाम सुनती है, तो एक ...Read Moreवहीं ठहर जाने को मन करता है।अनुराग के साथ बिताई यादें आज भी लिली के मन में कहीं ना कहीं जिंदा है। और समय-समय पर हिलोरे खाने लगती है। जब भी अनुराग का नाम जेहन में आता है, तो मन में आशा जगती है कि शायद अनुराग यहीं कहीं आस-पास हो। बस सिर्फ एक बार वह उससे मिल पाए, तो
भाग - 5 अगली सुबह सूर्य देव परदो की ओट से झांकने लगते है। सूर्य की एक रंगीन किरण परदो के बीच से अपना रास्ता बनाते हुए लिली के मुख पर अपना प्रकाश बिखेरती है। तो लिली को भोर ...Read Moreका आभास हो जाता है। वह सामने दीवार पर लगी राधा-कृष्ण की छवि को नमस्कार करते हुए बिस्तर से उठ खड़ी होती है और खिड़की की तरफ अपने कदम बढ़ाती है। लिली खिड़की से पर्दों को साइड में करती है और खिड़की से नीचे की तरफ अपनी दृष्टि फेरती है। जहाँ नीचे गली में रोज लोगों की चहलकदमी नजर आती