Dusari Aurat book and story is written by निशा शर्मा in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dusari Aurat is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
दूसरी औरत.. - Novels
by निशा शर्मा
in
Hindi Love Stories
जून की चिलचिलाती गर्मी में पैसिफिक मॉल के बाहर खड़ी सुमेधा मन ही मन सोच रही थी कि काश उसने ड्राइव करना सीख लिया होता तो आज उसे भरी दोपहरी में बाहर खड़े होकर यूं ओला कैब का इंतज़ार नहीं करना पड़ता।
पौं पौं... गाड़ी के हॉर्न की आवाज़ लगातार सुमेधा के कानों से टकरा रही थी मगर सुमेधा थी कि टस से मस होने को भी तैयार नहीं थी।
ओ मैडम!एक्सक्यूज मी,सुनाई नहीं देता क्या?
गाड़ी सुमेधा के सामने से गुजरती हुई थोड़ी दूर पर जाकर रुक जाती है और उसमें से एक युवक उतरकर सुमेधा की ओर बढ़ता है।
जून की चिलचिलाती गर्मी में पैसिफिक मॉल के बाहर खड़ी सुमेधा मन ही मन सोच रही थी कि काश उसने ड्राइव करना सीख लिया होता तो आज उसे भरी दोपहरी में बाहर खड़े होकर यूं ओला कैब ...Read Moreइंतज़ार नहीं करना पड़ता। पौं पौं... गाड़ी के हॉर्न की आवाज़ लगातार सुमेधा के कानों से टकरा रही थी मगर सुमेधा थी कि टस से मस होने को भी तैयार नहीं थी। ओ मैडम!एक्सक्यूज मी,सुनाई नहीं देता क्या? गाड़ी सुमेधा के सामने से गुजरती हुई थोड़ी दूर पर जाकर रुक जाती है और उसमें से एक युवक उतरकर सुमेधा की ओर बढ़ता
सुमेधा और संजय की उस आधी अधूरी मुलाकात को हुए आज पूरे पन्द्रह दिन बीत चुके थे। इस बीच उन दोनों में से किसी एक नें भी एक दूसरे से बात करने का कोई भी प्रयास नहीं किया जबकि ...Read Moreदिन वो दोनों ही एक दूसरे से उनके मोबाईल नम्बर्स ले चुके थे। इस वक्त घड़ी पूरे दस बजा रही थी।सुमेधा का पति सुकेत बस अभी अभी ऑफिस के लिए निकला ही था जबकि उसका तीन साल का बेटा मयंक सुबह नौ बजे ही अपने प्लेस्कूल जा चुका था जिसे खुद सुमेधा भागते दौड़ते हुए छोड़कर आयी थी।अब पीछे कुछ
सुमेधा का दिल जोर जोर से धड़क रहा था। "इतनी घबराहट तो मुझे कभी बोर्ड के एग्ज़ाम्स में भी नहीं हुई और न हीं कभी मेरे किसी रिजल्ट के इंतज़ार में मगर आज मेरी जो हालत है न , ...Read More!!", अपने आप में ही बड़बड़ाती हुई सुमेधा नें अपने घर के पास के ही एक कॉफी कैफे में प्रवेश किया ! सुमेधा जाकर चुपचाप एक कोने की टेबल पर बैठ गयी,जहाँ पहले से ही आकर बैठा हुआ संजय उसका इंतज़ार कर रहा था और इससे पहले कि वो सुमेधा से कुछ कह पाता,सुमेधा ने बोलना शुरू कर दिया !!
लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो न हो! बेहद खूबसूरत नगमा है ये! मैं इसे जब भी सुनती हूँ तो न जाने क्यों दिल भर आता है। ...Read Moreमैं एक बात बताऊँ? हाँ बताओ न!! रहने दो,तुम हंस पड़ोगी। प्लीज़ संजय बताओ न...प्ललललललीज़..... तुम्हें पता है तुमसे अलग होने के बाद मैं जब भी कभी ये सोचता था कि अगर तुमसे कभी मेरी फिर से मुलाकात हुई और तुम कभी किस्मत से अगर मेरी गाड़ी में बैठी तो मैं कौन सा गाना बजाऊँगा??? तब न मुझे हर बार
हैलो! संजय,कब आ रहे हो यार??आय मिस यू सो सो सो मच! आय नो डियर बट...मजबूर हूँ यार! हाँ मैं समझती हूँ। तुम्हें मेरी याद नहीं आती क्या? क्या लगता है आपको? मैंने पूछा है,तुम जवाब दो! सुबह शाम,उठते ...Read Moreवक्त,हर वक्त तुम मेरे साथ रहती हो जान और...ओफ्फो!! क्या हुआ? कुछ नहीं,तुम बात करो न! अरे मगर हुआ क्या? तुमनें ओफ्फो क्यों बोला? अरे यार कुछ नहीं वो कॉल वेटिंग आ रही थी!! किसकी कॉल है? बात कर लो न! अरे वो... घर से है! वाइफ़ का है न तो कर लो पहले उससे...कहते हुए सुमेधा ने कॉल डिसकनेक्ट