Hamesha-Hamehsa book and story is written by Aditi Jain in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Hamesha-Hamehsa is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
हमेशा-हमेशा - Novels
by Aditi Jain
in
Hindi Love Stories
दूर पहाड़ों के पीछे डूबता सूरज, आसमान में फैली लाली, ख़ूबसूरत वादियों को धीमे-धीमे से आगोश में लेता शाम का धुंधलका और बदन को सिहराने वाली ठंडी हवा; ये सारे हसीन मंज़र उसके नज़रिए से ग़मगीन से थे। अपने अंदर के दर्द को आज तक अपने सीने में समेटे रखने में उसे कभी इतनी तकलीफ़ नहीं हुई जितनी आज अपनी खुशी के लिए एक फ़ैसला लेने में हो रही थी। शमा ने अपनी कलाई घड़ी पर नज़र डाली, 6:45 बज रहे थे। अँधेरा होने को था। बालकनी का दरवाज़ा बंद करके वो सीधी किचन में गई और अपने लिए गर्म चाय बनाई, सोचा चाय पीकर कुछ देर आराम करेगी लेकिन चाय के पहले घूँट के साथ ही उसके विचारों की श्रृंखला सात साल पीछे लौट गई जहां 20 साल की हँसती-खेलती शमा अपनी सहेलियों के साथ अव्वल दर्जे से बीए पास करने की खुशी मना रही थी।
दूर पहाड़ों के पीछे डूबता सूरज, आसमान में फैली लाली, ख़ूबसूरत वादियों को धीमे-धीमे से आगोश में लेता शाम का धुंधलका और बदन को सिहराने वाली ठंडी हवा; ये सारे हसीन मंज़र उसके नज़रिए से ग़मगीन से थे। अपने ...Read Moreके दर्द को आज तक अपने सीने में समेटे रखने में उसे कभी इतनी तकलीफ़ नहीं हुई जितनी आज अपनी खुशी के लिए एक फ़ैसला लेने में हो रही थी। शमा ने अपनी कलाई घड़ी पर नज़र डाली, 6:45 बज रहे थे। अँधेरा होने को था। बालकनी का दरवाज़ा बंद करके वो सीधी किचन में गई और अपने लिए गर्म
शादी का दिन आया। शादी भी हुई और शमा रुख़सत भी हुई। अपनी मासूम आँखों में, रंगीन सपने सजाये, लाल जोड़े में गुड़िया सी सजी शमा "अपने घर" चली गयी। शादी की पहली रात को फ़राज़ के इंतज़ार में ...Read Moreशमा को रह-रह कर अकरम याद आने लगा। अपने सर को झटक कर उसने तौबा की और अपने दिल में शर्मिंदा हो, दुआ मांगी कि वो एक नेक और अच्छी बीवी साबित हो। न चाहते हुए भी कुछ आंसू आँखों में झिलमिला गये। सजदे में बैठी, रोती शमा कब कालीन पर ही सो गयी, उसे खुद पता नहीं चला। सुबह
अब्बू के साथ घर पहुँची शमा किसी मशीन की तरह अम्मी से मिली और सीधे अपने कमरे में चली गयी। 'उसे अपने अतीत के हादसों से उबरने के लिए कुछ वक़्त चाहिए' ऐसा सोचते-सोचते जब काफ़ी वक़्त बीत गया ...Read Moreशमा की चुप्पी नहीं टूटी तो कुरैशी साहब ने शिमला में बस चुके अपने दोस्त को बुलाने का सोचा। उन्होंने पूजा को फ़ोन किया और सब कुछ बताकर इल्तिजा की कि वो अपने पिता के साथ जल्द लखनऊ आ जाए। अपने दोस्त का मैसेज मिलते ही अग्रवाल साहब ने टिकट्स बुक किए और एयरपोर्ट पहुँच गये। जुब्बड़हट्टी एयरपोर्ट से लखनऊ
शिमला की ख़ूबसूरती और बदली आबोहवा के साथ, पूजा की दोस्ती ने शमा को कुछ ही हफ़्तों में बेहतर कर दिया। उसके कॉन्फिडेंस और मानसिक स्वास्थ्य का ख़याल मानव बखूबी रख ही रहा था। पूजा के साथ साथ मानव ...Read Moreभी बहुत घुल मिल गयी शमा। अब वो डॉक्टर कम दोस्त ज़्यादा था। मानव के समझाने पर सिर्फ़ किताबों में खोयी न रहकर, इन दिनों वो शाम को वॉक पर भी जाने लगी। गर्मियों के दिन थे पर पहाड़ पर वो भी दिलकश लगते थे। पहली बार गर्मी में लखनऊ वाली तल्ख़ी नहीं थी। शमा सुबह बीएड कॉलेज जाने लगी
पूरा हफ़्ता स्कूल के काम-काज में कैसे गुज़र गया, शमा को पता ही नहीं चला। एग्ज़ाम हो कर हटे थे। रिज़ल्ट और पैरेंट टीचर मीटिंग में वक़्त कैसे गुज़रा, उसे कुछ पता ही नहीं चला। आज संडे था। शमा ...Read Moreसोचा था कि पूरे हफ़्ते की नींद आज पूरी करेगी। गहरी नींद में बिस्तर पर सोई शमा की नींद लगातार बज रही मोबाइल फोन की रिंगटोन से खुली। अनमने ढंग से शमा ने फोन उठाया और कान पर लगा लिया। "हैलो मैडम!" उधर से मानव की उत्साह से लबरेज़ आवाज़ सुनाई दी। शमा के चेहरे पर नींद टूटने की खीझ