Jugnu - The world of fireflies book and story is written by शक्ति in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Jugnu - The world of fireflies is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
जुगनू - The world of fireflies - Novels
by शक्ति
in
Hindi Fiction Stories
वो एक दो मंजिला मकान था, जिसके भीतर से लड़ने की आवाज़ें आ रही थीं जिसे मेन गेट पर खड़ा लगभग पच्चीस वर्षीय व्यक्ति बड़ी आसानी से सुन पा रहा था पर कुछ साफ़ साफ़ समझ न आया।
वह मेन गेट खोल अंदर जा पहुंचा। वह एक खूबसूरत सजा धजा घर था। हर तरफ महंगे फर्नीचर , कोनो में रखी एंटीक स्टेचूज़ और हॉल की छत पर टंगा शानदार झूमर ये बताने के लिए काफी था की वह घर किसी अमीर व्यक्ति का ही था।
वो एक दो मंजिला मकान था, जिसके भीतर से लड़ने की आवाज़ें आ रही थीं जिसे मेन गेट पर खड़ा लगभग पच्चीस वर्षीय व्यक्ति बड़ी आसानी से सुन पा रहा था पर कुछ साफ़ साफ़ समझ न आया। वह ...Read Moreगेट खोल अंदर जा पहुंचा। वह एक खूबसूरत सजा धजा घर था। हर तरफ महंगे फर्नीचर , कोनो में रखी एंटीक स्टेचूज़ और हॉल की छत पर टंगा शानदार झूमर ये बताने के लिए काफी था की वह घर किसी अमीर व्यक्ति का ही था। उसने उन सब से ध्यान हटाया और वापस उन आ रही लड़ाई की आवाज़ों पर
" चच्चा! नाश्ता बन गया क्या?? " डाइनिंग हॉल में फुर्ती से प्रवेश करते हुए विद्युत् ने पूँछा।" हाँ हाँ आओ बेटा! सब तैयार है " उन्होंने उत्तर दिया।" चच्चा!! " खाना खाते हुए ही विद्युत् ने कहा।" हाँ ...Read Moreकुछ और चाहिए क्या!!? या नमक कम है किसी में?? "" नहीं चच्चा! ऑल परफेक्ट... एक्चुअली मैं कल फिर जा रहा हूँ...एक दो दिन में वापस आ जाऊंगा... सो आप प्लीज पैकिंग कर दीजियेगा.. सुबह ही निकलूंगा चार बजे तक तो बड़ी वाली कार भी रेडी करवा दीजियेगा। "" लेकिन बेटा अभी तो तुम एक हफ्ते पहले आये हो हॉस्पिटल
एक बार फिर विद्युत् उसी सपने में जूझ रहा था, कि अलार्म बजने से उसका सपना अधूरा रह गया। आज ही तो वह एक बार फिर प्रियमगढ़ के लिए निकलने वाला था सुबह चार बजे और इसीलिये सुबह तीन ...Read Moreका ही अलार्म लगाया था उसने।" काश इस अधूरे सपने की तरह 'वो सब' भी अधूरा रह जाता। " मायूसी से बड़बड़ाते हुए वह उठा। अभी दस पंद्रह मिनट ही हुए थे कि उसका फोन एक बार फिर बज उठा पर इसबार कोई अलार्म नहीं किसी अननोन नंबर उसकी स्क्रीन पर नज़र आया ।उसे देखकर विद्युत् के चेहरे पर एक
विद्युत ठगा हुआ सा उसे अपलक निहारे जा रहा था। वह उसे जितनी ही मासूमियत और प्यार से देख रहा था वह उसे उतनी ही नाराज़गी से देख रही थी , जैसे विद्युत् ने कोई जुर्म कर दिया हो।आखिरकार ...Read Moreअपने कोमल सुर्ख होंठ खोले- " तुम पुनः इस वन में प्रवेश कर गए.. " वह नज़दीक आती हुयी नाराज़गी से बोली।उसने क्या बोला? किससे बोला? अरे मारो गोली! विद्युत् को तो उसकी तीखी ,तेज नाराजगी भरी आवाज़ भी मिठाई का स्वाद दे रही थी। ऊपर से उसके नज़दीक आने पर आ रही चंदन की लुभावनी खुशबू मिठाई के ऊपर
विद्युत होटल वापस पहुंच चुका था लेकिन कई सारे अधूरे रहस्यों और सवालों की गठरियों के साथ...जैसे केवल उसका ही प्रियमविधा को देख - सुन पाना... उसकी कथा, जिसपर उसका दिल यकीन कर रहा था दो दिमाग कहीं न ...Read Moreविश्वास करने से कतरा रहा था... वो साया जिसे उसने देखा था... प्रियमविधा का उसे जंगल में रहने देने से मना करना... न जाने क्यूँ!!? वह उसे जल्द से जल्द वहां से भगाने पर तुली हुई थी... अभी ऐसा क्या क्या था ; जिसकी उसे भनक नहीं थी... और एक बार उन सब बातों से अवगत हो जाने के बाद