प्रेम की भावना - Novels
by Jyoti Prajapati
in
Hindi Women Focused
मैं सुबह ऑफिस पहुंचा ही था कि पवन बाबू हाथों में एक लिफाफा लिए चले आ रहे थे।मैंने पूछा उनसे की, "किसका प्रेम पत्र लिए घूम रहे हो जनाब..??" तो उसने वो लिफाफा मेरे ही हाथ मे रख दिया ...Read Moreकहने लगा,"आपके लिए ही आया है जी ये प्रेम पत्र।पढ़कर सुनाइये तो ज़रा क्या लिख के भेजा है प्रेमपत्र भेजने वाले ने..।"मैंने लिफाफे को दोनो ओर पलट के देखा ना किसी का नाम ना पता ऐसा कौन करता है।मुझे असमंजस में देख पवन बोला ,"अरे...अपने पोस्टमैन गिरीश बाबू.. वही देकर गए हैं।तेरा ही नाम लिया विशेष रूप से कि तुझे ही देना है।अब इतना मत सोच कोई काम का ही होगा।पढ़ लेना।इतना बोलकर वो चला गया।मैं भी अपने केबिन में आकर बैठ गया।बड़ी उत्सुकता थी मुझे वो लिफाफा खोलने की।लिफाफा खोलते से ही एक भीनी खुशबू फैल गयी सब तरफ। देखा तो किसी का पत्र थाउसमे। कमाल करते हैं लोग भी.....मोबाइल के ज़माने में पत्र कौन लिखता है..?बोलकर मैने पूरे पत्र को खोला।पत्र भेजने वाले का नाम देखे बिना ही मैंने पढ़ना शुरू कर दिया।पहली लाइन पढ़कर ही मेरे चेहरे थोड़ा गुस्सा पर फिर एक लंबी सी स्माइल आ गयी। मेरी भावना का पत्र था।
भावना मेरी पत्नी जो इस समय मायके में है।मुझसे रूठ कर 2 महीने पहले मायके जा बैठी है।कितने कॉल्स किया, मैसेज किये उसे, एक-दो बार तो मैं खुद लेने भी गया था पर वो मिली तक नही मुझसे। लेकिन आज अचानक उसने पत्र क्यों लिखा ये बात अब भी मेरे दिमाग मे घूम रही थी।कॉल भी तो कर सकती थी या मैसेज कर देती।ये पत्र क्यों...?खैर मैंने अपना दिमाग लगाना बन्द किया और बैठ गया पत्र पढ़ने।
मैं सुबह ऑफिस पहुंचा ही था कि पवन बाबू हाथों में एक लिफाफा लिए चले आ रहे थे।मैंने पूछा उनसे की, "किसका प्रेम पत्र लिए घूम रहे हो जनाब..??" तो उसने वो लिफाफा मेरे ही हाथ मे रख दिया ...Read Moreकहने लगा,"आपके लिए ही आया है जी ये प्रेम पत्र।पढ़कर सुनाइये तो ज़रा क्या लिख के भेजा है प्रेमपत्र भेजने वाले ने..।"मैंने लिफाफे को दोनो ओर पलट के देखा ना किसी का नाम ना पता ऐसा कौन करता है।मुझे असमंजस में देख पवन बोला ,"अरे...अपने पोस्टमैन गिरीश बाबू.. वही देकर गए हैं।तेरा ही नाम लिया विशेष रूप से कि तुझे
अपना लैटर पोस्ट कर मैं आफिस पहुंचा।जैसे-तैसे दिन बिताया रात निकाली।अगले दिन बड़े उत्साह के साथ मैं आफिस पहुंचा।अरे अपनी..!!!...... नही, नही अपनी क्या..?मेरी भावना का लैटर जो आया होगा। जैसे मैं आफिस में घुसा मैंने अपनी खोजी नज़रो ...Read Moreसबसे पहले पवन को खोजा।इधर-उधर नज़र घुमा ही रहा था कि आफिस के कोने में खड़ा चाय पीते पवन बाबू नज़र आये।चाय देखकर तो मैं एक पल के लिए भावना और उसके लैटर को भी भूल गया था। मैं तुरंत पवन बाबू के पास पहुंचा।भावना का लैटर लेने के लिए।अब कुछ भी कहो अगर हम कुछ खा-पी रहे होते हैं
प्रेम : "सुनो!!" भावना : .......... प्रेम : "सुन रही हो..!" भावना : ............ प्रेम : "सुनाई दे रहा है कुछ बोल रहा हूँ मै..!" भावना : ............ प्रेम : "ऐ मोटी..!" भावना : "खबरदार जो मोटी बोला है ...Read Moreएंगल से मोटी लगती हूँ मै आपको..?" प्रेम : "तो कब से आवाज़ दे रहा हूँ मै, जवाब क्यों नही देती..?" भावना : ............ प्रेम : "ले फिर चुप हो गयी..!!कुछ तो बोल यार।गुस्सा कर, चिल्ला ले, रो ले, चाहे तो मार भी ले, पर यूं चुप मत रह मेरी जान। तेरी चुप्पी खलती है मुझे यार।।।" भावना : ............
मैं भावना की रिपोर्ट्स हाथ मे लेकर स्तब्ध सा बैठा हुआ था..! मुझे अब भी डॉक्टर की कही बातों पर विश्वास नही हो पा रहा था..!! थोड़ी देर बाद भावना डॉक्टर के केबिन में आई..! डॉक्टर ने जो बातें ...Read Moreकही वो सब उसे भी बताई..! ये सब जानने के बाद तू भावना का हाल हमसे भी ज्यादा बेहाल था। उसके चेहरे का तो रंग ही उड़ गया..! कुछ देर बाद भावना की बाकी की रिपोर्ट्स भी आ गयी। डॉक्टर ने उसकी वो रिपोर्ट्स देखी और भावना से प्रश्न करने लगी..! जब मैं उठकर जाने लगा तो उन्होंने मुझे वहीं
उस दिन भावना ने पहली बार मुझसे कुछ मांगा था । इंकार करने का तो सवाल ही नही था । मेरी जान अगर जान भी मांग लेती तो दे देता। मैंने भावना की आंखों से बह रहे आंसूओ को ...Read Moreदोनो हाथों से पोंछते हुए उससे पूछा, "बोलो, क्या चाहिए..? अगर मेरे वश में हुआ तो जरूर दे दूंगा।" भावना बोली, "आप दूसरी शादी कर लीजिए प्रेम जी..!" भावना ये मांगने वाली है इसकी तो उम्मीद मुझे कभी सपने में भी ना थी। इससे तो अच्छा भावना मेरी जान ही मांग लेती। अगर मुझे इसकी थोड़ी भी भनक लगी होती
अगले दिन सुबह आंख खुली तो कुछ बेहोंशी सी छा रही थी। मैंने बेड के बगल में देखा, मुझे लगा भावना है। लेकिन जब ध्यान से देखा तो होंश ही उड़ गए। भावना नही सुधा थी। मैं रूम के ...Read Moreभागा। बाहर आकर देखा भावना किचन में थी और मम्मी मंदिर में ..! मैं किचन में भावना की तरफ भागा।उसकी पीठ थी मेरी तरफ। मैंने वैसे ही जाकर उसे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ लिया। भावना जस की तस खड़ी रही। उसने कोई भी प्रतिक्रिया नही दी। मैंने उसे अपनी ओर घुमाया। और पूछा,"क्यों किया तुमने ऐसा..??" लेकिन भावना
भावना घर छोड़कर गयी तो गयी साथ मे तलाक़ के वो पेपर्स भी ले गयी जो मैंने उसे डराने धमकाने के लिए बनवाये थे। उस दिन जब उसका पहला पत्र आया था, और उसमे भावना ने तलाक के पेपर्स ...Read Moreउल्लेख किया तो मैं दंग रह गया..! हां एक दो बार भावना ने फ़ोन पर जरूर उसने ये बात कही थी। पर वो हर बात में ही तलाक़ की धमकी देने वाली है ये तो कल्पना से भी परे था मेरे लिए। मैंने आज निश्चय किया था ऑफिस का काम निपटा कर अपने साले साहब रवि को कॉल करूँगा। ऑफिस
मैं अगले दिन का अवकाश लेकर इंदौर के लिये निकल पड़ा.!! क्योंकि पत्र में इंदौर का ही एड्रेस लिखा हुआ था..!! मुझे अपने शहर इस इंदौर पहुंचने में उतना समय नही लगा जितना इंदौर के एक कोने से दूसरे ...Read Moreमें पहुंचने में लग गया..!! पहले मैंने सोचा रवि से पूछ लेता हूँ ये कौन सी जगह है.? फिर लगा," पता नही भावना ने उसे बताया है या नही इस पत्र के बारे में..!" कैब वाले ने एक बड़े से हॉस्पिटल के आगे लेजाकर कैब खड़ी कर दी !! मैंने उससे पूछा,"यहां क्यों रोकी गाड़ी..??" ड्राइवर ने कहा," सर ये
मुझे गुस्सा आ रहा था बहुत...! पर गुस्सा किसपर आ रहा था? ये समझ नही पा रहा था मैं..!! भावना पर गुस्सा करना चाहता था मैं, उसपर अपनी नाराज़गी जाहिर करना चाहता था मैं ! "आखिर क्यों किया उसने ...Read Moreसाथ ऐसा..?" क्यों मुझे अपनी दुख-तकलीफ़ के बारे में बताना जरूरी नही समझा..??" मेरी खुशी के लिये अपनी सारी खुशियों का त्याग कर दिया..!! भावना ने मेरे बारे में सोचा, पर मैंने क्या किया उसके लिए..? भावना जब भी चिड़चिड़ाती, या गुस्सा करती....मैं हमेशा उसपर गुस्सा हो जाता! उससे बात करना बंद कर देता ! उसके चिड़चिड़ाने की वजह, बार-बार
भावना के जाने के दो महीने बाद सुधा ने जुड़वा बच्चो को जन्म दिया। एक बेटा और एक बेटी। सबका बड़ा मन रहा घर मे पूजा-पाठ हो जाये..! मगर मेरा मन नही था। पर मम्मी कहने लगी,"छोटे स्तर पर ...Read Moreरख लेते हैं प्रेम..!कन्याभोज करवा लेने दे..!!" मैं क्या कहता..? अपने दुख से सबको क्यों दुखी करु?? बच्चो के जन्म के तीन महीने और भावना के जाने के पांच महीने बाद बच्चो का नामकरन संस्कार हुआ..! तब तक दोनो के घर के नाम पड चुके थे। बेटे का नाम रखा "यथार्थ" और बेटी का ,"सृष्टि"...! ये नाम मुझे भावना ने