अधूरा पहला प्यार - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Love Stories
मनोहर दुकान से घर लौटा तो उसकी नज़र फर्श पर पड़े लिफाफे पर पड़ी।लिफाफा देखकर वह चोंका।आज अचानक किसका पत्र आ गया।शारदा का तो हो नही सकता।विदेश से आने वाले लिफाफे को तो दूर से ही पहचाना जा सकता ...Read Moreहमेशा उसे दुकान के पते पर ही पत्र भेजती है।घर के पते पर उसके पिता भी पत्र डालते है लेकिन वह हमेशा पोस्टकार्ड ही डालते है।जिसमे पैसे मिलने की सूचना के साथ घर के समाचार भी होते है।लिफाफा देखते ही वह समझ गया था कि पिताजी का नही हो सकता।फिर किसका था?उसने मन मे उठे प्रश्न का उत्तर जानने के
मनोहर दुकान से घर लौटा तो उसकी नज़र फर्श पर पड़े लिफाफे पर पड़ी।लिफाफा देखकर वह चोंका।आज अचानक किसका पत्र आ गया।शारदा का तो हो नही सकता।विदेश से आने वाले लिफाफे को तो दूर से ही पहचाना जा सकता ...Read Moreहमेशा उसे दुकान के पते पर ही पत्र भेजती है।घर के पते पर उसके पिता भी पत्र डालते है लेकिन वह हमेशा पोस्टकार्ड ही डालते है।जिसमे पैसे मिलने की सूचना के साथ घर के समाचार भी होते है।लिफाफा देखते ही वह समझ गया था कि पिताजी का नही हो सकता।फिर किसका था?उसने मन मे उठे प्रश्न का उत्तर जानने के
"तू यहां अंधेरे मे कहा कर रही है?""तेरो इन्तजार।""इन्तजार।काहे?""तू मोकू वो गानों लिख देगो।""कौन सो?""वो ही जो तेने रासलीला मे गायो हतो।""तू कहा करेगी वा गीत को?""मोकू अच्छो लगो।याद कर लुंगी।""लिख दूंगो।""कल लिख लायेगो।""कहां?""यहीं पे ही ले आइयो।""यहां?पहली बात ...Read Moreये है कि तू यहां आयेगी ही नही।""क्यूं?""तू अपनी सहेलियों को लेकर यहाँ आएगी तो मैं शास्त्रीजी से नही पढूंगो।""मैं तुझे इतनी बुरी लगती हूँ?""मुझे पढ़ते समय उधम पसंद नही है।"मनोहर गुस्से में बोला।"तू एक बात बता।""क्या?'"मैं तोकू पसंद नहीं।तू मोये न चाहे।""को कह रहे हो?""मैं।""तू मोये अच्छी लागे है।"मनोहर को अल्हड़ मीरा बहुत पसंद थी।वह उसे चाहता था।उससे प्यार
यह मकान मीरा का था।उसे समझते देर नही लगी।अंधेरे में जो आकृति वह देख रहा था,वो मीरा की थी।"रुको मैं अभी आयी।"मनोहर वहीं खड़ा रह गया था।मीरा दरवाजा खोलते हुए बोली,"जल्दी से अंदर आ जाओ।"मनोहर के अंदर जाते ही ...Read Moreने दरवाजा बंद कर लिया था।तभी कोई आदमी लाठी टेकता हुआ अंधेरी गली से गुज़र गया था।"देख कोई जा रहा है।हमे देख लेता तो"मनोहर ने पूछा था,"लेकिन तूने मुझे अंधेरे में पहचाना कैसे?""मैं रोज देख रही थी।तू या ही टेम पर घर लौटे है।आज मोको देखकर तोहे रोक लियो।""तेरी दादी कहाँ है?""तू वा की चिंता मत कर।वाहे न ढंग से
अंधेरी रात मे छत पर एक बिस्तर बिछा हुआ था।छत पर पहुंचते ही मीरा ने मनोहर को बाहों मे भर लिया।मनोहर ने भी उसे आगोश में लेकर उसके हाथों को चूम लिया था।दोनो ही वयस्क नही थे।अभी उनकी उम्र ...Read Moreथी।और यौवन का ज्ञान भी आधा अधूरा था।ऐसे में सिर्फ जोश और उन्माद मे उतेजना वश दो तन मिले तो तृप्ति नही मिली।उल्टे पीड़ा दर्द और अविकसित अंगों की हानि ही हुई।वासना और आवेश में स्त्री पुरुष के मिलन से जो सुख मिलना चाहिए।उसका पूर्ण अभाव था।फिर भी प्यार तो प्यार ही है।प्यार के वशीभूत होकर समर्पण में सुख भले
मनोहर के कमरे की तलाशी दे दोकमरे की तलाशी में घड़ी नही मिली लेकिन कंधोनी बक्शे में रखी सुरेश ने देख ली थी।उसने प्रिंसिपल से जाकर कहा।प्रिंसिपल ने मनोहर से पूछा तो उसे झूंठ बोलना पड़ा।प्रिंसिपल ने मनोहर के ...Read Moreके पास खबर भेजी थी।वह बीमार थे इसलिए नही आये उन्होंने मनोहर के ताऊजी को स्कूल भेज दिया था।ताऊजी को मथुरा में म8 मीरा के पिता भी मिल गए थे।दोनो प्रिंसिपल के पास पहुंचे।प्रिंसिपल पूरी बात बताने के बाद बोले,"मनोहर के कमरे में कंधोनी भी रखी है।'"कंधोनी--इसके बारे में मनोहर के ताऊजी ने भी अनभिज्ञता प्रकट की थी।मनोहर सच बोल
"मैं उससे मिलने कहाँ जाती हूं।अगर कभी सामने पड़ जाता है तो बात कर लेती हूं"मीरा ने झूठ बोला था।"अब मत मिलना।अगर अब मिली तो सही नही होगा,"मीरा के पिता बोले,"अब मैं जा रहा हूं""अभी।रात मैं क्यो?सुबह चले जाना।""नही।मुझे ...Read Moreजाना होगा।"मीरा के पिता चले गए।दरवाजा बंद करने के बाद काफी देर तक नीचे बैठी रही।फिर वह ऊपर छत्त पर आयी थी।मीरा के आने पर वह उसके पास पहुंच कर बोला था,"क्या कह रहे थे,तेरे पापा?तूने कही मेरा नाम तो नही बता दिया?""तुम्हे अपने प्यार पर विश्वास नही है?""मेरी जान तुम पर पूरा विश्वास है।""लेकिन मुझे लगता है कुछ तो
"आओ चलो,""कहां।""अरे आओ तो?"सुशीला, मनोहर का हाथ पकड़कर अपने साथ ले गयी।फिर दरवाजा बंद करते हुए बोली,"मीरा के साथ छत पर करना पड़ता था।वहां खुली छत पर कोई देख न ले यह डर तो बना ही रहता है।पर मेरे ...Read Moreरूम में कोई डर नही है।निसंकोच हम खेल सकते है।"सुशीला की बात सुनकर मनोहर बोला,"यह गलत है।""यह नही गलत वो है जो तुम मीरा के साथ कर रहे हो।मीरा कुंवारी है।अगर उसे गर्भ ठहर गया तो?वह बदनाम हो जाएगी।लेकिन मेरे साथ ऐसा डर नही है।मैं विवाहित हूँ।गर्भ रह भी गया तो मैं बदनाम नही होउंगी।और यह बात हम दोनों के
"अच्छा तुम रुको।मैं अभी आया"मीरा के मौसा उससे बात करते हुए उसे रुकने की कहकर चले गए तो मनोहर को दाल में कुछ कला नज़र आया था।मीरा भी वही मौजूद थी।मौसा के जाने के बाद मनोहर,मीरा से बोला,"केसी हो?"'अच्छी ...Read Moreसामने हूँ।"अपने बारे में बताते हुए मीरा बोली,"मैने सुना है।तुम अब मथुरा मे ही रहते हो।गांव नही जाते।"मनोहर,मीरा को चाहता था,उससे प्यार करता था और उससे उसके शारीरिक सम्बन्ध भी स्थापित हो चुके थे इसलिए वह उसे अपना समझता था इसलिए उसे सब कुछ सच बता दिया था।लेकिन फिर उसे एहसास हुआ कि मीरा को अपने बारे में सत्य बता
मीरा जिस से मनोहर प्यार करता था।जिसे दिलो जान से चाहता था।जो उसकी जिंदगी थी।जो उसके रोम रोम में बसी थी।वो मीरा अब उसे दुश्मन नज़र आने लगी थी।मीरा के पिता जिस लड़के से मीरा के रिश्ते की बात ...Read Moreरहे थे।उसने मीरा से शादी करने से इनकार कर दिया था।उसे मीरा के मनोहर से सम्बन्ध के बारे में किसी ने बता दिया था।उस लड़के के रिश्ते से इनकार करने पर मीरा के घर वाले मनोहर से खार खाने लगे।मीरा से सम्बन्ध टूट जाने का सुशीला ने भरपूर फायदा उठाया।सुशीला ने मनोहर पर पूरा कब्जा कर लिया।मीरा ने मनोहर को