इश्क़ है तुमसे ही - Novels
by Jaimini Brahmbhatt
in
Hindi Novel Episodes
फोन कि रिंगटोन बजती है. ट्रिन..... ट्रिन.... मोबाइल उठते ही सामने से आवाज आने लगती हैं।
तुम कहाँ हो?
अब तक कहा रहे गये हो?
वक्त पर आना भी जिम््मेदारी होती है कि नहीं?
कोई लडकी थी .एक सास मैं बोले ही ...Read Moreरही थी।फोन सुुनने वाले लडके ने झट से फोन कट कर दिया.. उसे देखते हुए उसकि बगल वाले लडके ने कहा.क्या हुुुआ? किसका कोल था? तु ऐसे क््यों शोक् हो रखा है?तभी उसके सामने वाले लडके ने कहाःः यार किया लडकि थी ? एकदम बंंदुुुक की गोली कि तरह धाय....धाय...बोले ही जा रही थी.. सुनते ही उस लडके ने कहा तू जानता है क्या उसे ?
(hiii...Ye meri first story hai..I hope aapko pasand aaye...plzz apne comments me jarur batayega ki kaisi lagi story..☺️☺️?)फोन कि रिंगटोन बजती है. ट्रिन..... ट्रिन.... मोबाइल उठते ही सामने से आवाज आने लगती हैं।तुम कहाँ हो?अब तक कहा रहे गये ...Read Moreपर आना भी जिम््मेदारी होती है कि नहीं?कोई लडकी थी .एक सास मैं बोले ही जा रही थी।फोन सुुनने वाले लडके ने झट से फोन कट कर दिया.. उसे देखते हुए उसकि बगल वाले लडके ने कहा.क्या हुुुआ? किसका कोल था? तु ऐसे क््यों शोक् हो रखा है?तभी उसके सामने वाले लडके ने कहाःः यार किया लडकि थी ? एकदम
(first part jarur page☺️?)ये सब तेरी गलती से हुआ है अदिति कि बच्ची.., उसने अदिति को घुर के देखते हुए कहा...मैंने ....मैंने ....क्या किया इसमे?? शीीीवां ने कहा .तु... पहले नहीं बता सकती थीं..,बता देती तो मेे call ही ...Read Moreकरती ना..??तभी दरवाजे की तरफ से एक लडके की आवाज आई..,क्या हुआ सोना,?? मेरी गुुडिया आज ईतनी गुुस्ससेे मे क्यों है???शीवांगी पेर पटकते हुए बिल्कुल बच्चों की तरह उसकी तरफ जाते हुए बोली.., देेेखोना ,भाई .ईसने क्या किया?? अदिति ने तुरंत कहा ...,?मैंने कुछ नहीं किया भाई... सब ईसकी गलती है।,.,ईसे तो आदत है., बेफालतू का गुुस्सा करने कि..?जब देखो तब किसी
(aage aapne padha dev shivangi ko call kar ke mafi magne ko kehta hai...shivangi aditi ko batati hai usne abhi tak call nahi kiya..ab page)मतलब,,तूने अभी तक उसे sorry नही बोला ना,शीवांगी ने ना में सर हिलाया। अदिति ने ...Read Moreलेते हुए कहा ; साफ , साफ ,क्यों नही कहती !की तुझे डर लग रहा है, की सामनेवाला तुझे कुछ ना बोल दे।।। शीवांगी ने बोला :-डर,,, और मुझे कभी नही,शीवांगी किसी से नही डरती। पर,,पर,तुुुझ सुन ना पड़े,,वो हँसने लगी।?(राजस्थान)रुद्राक्ष ओर आदित्य office पौहुँच गए थे।रुद्राक्ष ने आदित्य को बेठ ने कहा और खुद मिटिंग रूम की
(बनारस)-शाम की आरती के बाद कुनाल, अदिति ,ओर शीवांगी भी घर चले गए।शीवांगी घर पहुंची तो उसने देेेखा की देव जल्दी घर आ गया है।उसने शीवांगी को देखकर कहा ,पहले फ्रेश हो जाइए फिर बात करते है।शीवांगी चली गयी ...Read Moreदेर बाद फ्रेश हो कर आई और सोफे पर बैठ गई।देव खाने की थाली ले कर वही आ गया।और बोला,आज फिर से आप ने मारपीट की ? शीवांगी ने कुछ कहना चाहा ।तभी देव ने कहा ; नही जान ना है कि क्या बात थी? क्योंकि ,मुझे पता है,की मेरी बहन कुछ गलत नही कर सकती ,विश्वास है हमे आप
(aage aapne padha ki rudraksh use call par dosti ke liye puchhata hi .Ab age.....)जी !कर सकते है पर हमारी १ शर्त है।शीवांगी ने कहा।रुद्राक्ष ने कहा ,क्या शर्त है?यही की जबतक हमारा दिल नही कहेगा हम ना अपना ...Read Moreबताएंगे । ना कुछ और ना आप कभी हमारी तस्वीर मांगेंगे। मंजूर..। शीवांगी ने कहा।मंजूर..,रुद्राक्ष ने कहा ,वैसे आप भी तो मेरा नाम नही जानती।वो हँस दिया।शीवांगी ने बोला ,वो तो हमारे महादेव की मर्ज़ी ।हमे जब जो जानना होगा वो हमें बता देंगे!रूद्र ने मुस्कुरा कर कहा ,तो अब हम दोस्त बन गए right।मतलब , में आपको call कर
( aage aapne padha ki,,rudraksh or shivangi ke beech dosti ho gai hai bina naam Jane?fir shivangi kuch gundo se bhid jati hai,tabhi dev aa jata hai...AB AAGE...,!)अदिति कर कुणाल के मुह से निकला ?"देव भाई"।देेेव उस आदमी को ...Read Moreके देेेख रहा था? ।उसकी आंंखें गुस्से से लाल हो रखी थी। उसने कहा ; तेेरी इतनी हिम्मत ,तूने मेरी बहन को चोट पहुुँचाई।ओर उसे मारने लगा।फिर कुछ गुंडो ने उसे रोकना चाहा तो उसने उसे भी धो दिया था।जिसने शीवांगी को चाकू मार था देव ने उसे तो इतना मार मारा की वो बेहोश ही हो गया था।पर देव उसे
(आगे आपने पढ़ा।देव और शीवांगी के पास्ट के बारे में।अब आगे..,)शीवांगी घाट पर बैठी थी।उसे पता नही क्यों अचानक वो wrong number वाले दोस्त की याद आ गई।उसे उसे फ़ोन लगाया।रुद्राक्ष सोया हुआ था,उसने फोन की रििंग बजते ही ...Read Moreनींद में ही फोन कान पे लगा बोला:-हैल्लो।ये सुनते शीवांगी ने मुस्कुराते हुए कहा:-good morning ,new friend!आवाज सुनते ही रुद्राक्ष उठ कर फोन देखने लगा उसके चेहरे पे मुस्कान आ गई।वो बेड पे बेठ गया।उसने जवाब दिया,very good morning।शीवांगी:-लगता है आप की सुबह अभी हुई नही।रुद्राक्ष:-आपकी सुबह बड़ी जल्दी हुई आज।शीवांगी:-आज..,जी..,नही ।हमारी सुबह रोज़ जल्दी ही होती है।हम जल्दी उठने की
(Rajasthan)-रेत के टीलों के बीच बहुुुत सारी गाड़िया खड़ी थी।एक आदमी किसी दूसरे आदमी का कोलर पकड़ पूछता है,बता 20 साल पहले उस बच्ची को कौन उठवाना चाहता था।तभी एक आवाज ओर आई ,कुंवरसा! वो उस आदमी को ...Read Moreआया गया।वो कोमा से बाहर है।चलिए।अचानक उसने कोलर छोड़ दिया।और सारी गाड़िया फटाफट वहां से निकल गई।(रतनगढ़ का महल)- रुद्राक्ष ने देखा सुमित्राजी खाने का थाल ले के वहा आई थी,रुद्र ने देखते हुए कहा,क्या मासां?आप को क्या जरूरत थी खाना लाने की किसी के हाथ भिजवा देते।समित्राजी ने कहा:-आदित्य के जाने से आप उदास होंगे यही सोच के आप को खाना
....दो महीने बाद-----,राजस्थान--जैसलमेर -,अमन को किसी ने बताया कि एक जगह दंगा हो गया है, अमन ने call कट की वहा चार्ज संभाल ने के लिये चला गया।वहाँ पहुुँच के देखा तो वहाँ कोई नही था।तभी अचानक उसे चारो ...Read Moreसे गुंडो ने घेर लिया,वो सभी नकाबपोश थे ,उनमे से एक ने आगे आकर कहा:-जै है ,वो नया नमूना.!इसणे काली की फाइल ओपन की सै। कै लागे से थारे को तू काली तक पहुंचेगा।अरे,थारे जैसे कितने आवे ओर खो गए जै राजस्थान की मिट्टी में।अमन ने उसे जवाब दिया:-में उनमे से नही जो खो जाए,अमन नाम है मेरा ।जहा जाता
(aage aapne padha ki aman shivansh se or rajavat pariwar se milta hai.....Ab aage.....)शिवांश अमन को एक कमरे में ले गया।उस कमरे में एक बड़ी तस्वीर थी ,उसमे शिवराजजी ओर गायत्रीजी के साथ दो बच्चें थे।एक लड़का जो करीब ...Read Moreसाल का था और एक लड़की जो पांच या छः साल की होगी।उसपे हाथ फेरते हुए शिवांश ने नम ?आंखों से कहा:-ये हमारी लाडो ,हमारी छोटी बहन है।अमन ने उसके कंधे पर हाथ रखा,तो शिवांश ने कहा:-पिछले कुछ सालों से हम अपनी लाडो को खोज रहे है।मुझे पता चला कि 20 साल पहले वो हमला काली ने ही कराया था।एक आदमी
..........गतांक से आगे,,,देव हॉस्पिटल पहुच के अमन को कॉल कर कुछ कहता है।जिसे सुन अमन फोन रख देता है।इधर देव को गये डेेेढ़ दिन बीत जााता है , तो शीवांगी उसे हर जगह ढूंढ चुकी थी,उसका रो -रो ...Read Moreबुरा हाल था।अदिति ओर कुणाल उसे संभाल रहे थे,पर शीवांगी चुप ही नही हो रही थी।अदिति ने उसे चुप करते हुए बोला:-शीवू,!तू चुप हो जा,तू जानती है ना देव भैया तुजसे कितना प्यार करते है ।कही फस गए होंगे आ जाएंगे।शीवांगी को अचानक रूद्र की याद आई उसने रुद्र को फोन कर दीया।रुद्राक्ष ऑफिस में था उसने कॉल उठाई तो सामने सेे शीवांगी की
राजस्थान में देव के कहने पर अमन ने राजावत परिवार को सब बता दिया था।देव और शीवांगी के रिश्ते ओर अतीत के बारे में भी,दो दिन बाद सबने बनारस जाना तय कर लिया।देखते देखते दो दिन बी बित गए।वो ...Read Moreभी आ गया जो शीवांगी का बर्थडे ,सुबह तैयार होकर वो मंदिर चली गयी।देव भी उसे शाम को सरप्राइज के साथ मिलने का वादा कर के चला गया था।या फिर खुद को तैयार करने ..,शाम हो गई थी।शीवांगी बहुत सुंदर तैयार हुई थी अदिति आके उसके गले लग गई।HAPPY BIRTHDAY मेरी जान.!!शीवांगी:-थैंक्यू मेरी जान।कुणाल भी
.....अगली सुबह शीवांगी बहुत खुश होती है।आज वो अपने पूरे परिवार के साथ शिवमंदिर आई थी ।उसने गाया... ओम नमः शिवायकष..ओम नमः शिवायकष..नमः शिवायओम नमः शिवायनमः शिवायओम नमः शिवाय ओम नमः शिवायशिव शंकर का गुणगान करो शिव भक्ति का ...Read Moreकरो जीवन ज्योतिर्मय हो जाए ज्योतिर्लींगो का ध्यान करो शिव शंकर का गुणगान करोओम नमः शिवायकष..ओम नमः शिवायनमः शिवायओम नमः शिवायनमः शिवायओम नमः शिवायशिवांश ने आगे गाया।.........उसने ही जगत बनाया हैंकन कन में वहीं समाया हैंउसने ही जगत बनाया हैंकन कन में वहीं समाया हैंदुख भी सुख सा ही बीतेगासर पर जब शिव की छाया हैंबोलो हर हर हर महादेव हर
{Ab tak aapne Padha.. shivangi or rudraksh ki dosti bina naam Jane ek wrong number ki vajah se ho jati hai,rudraksh is baat se anjan hai ki shivangi vahi ladki hair jisse to nafrat karta hi.or shivangi ko apne ...Read Morepahchan or asli khnadan k bare me pata chal jata hair.vo apne ghar jaisalmer pure 20 saal bad vapas aati hi......ab page....} रात का वक्त-जैसलमेर का महल--सब बेठ के बात ही कर रहे थे तभी सुमित्राजी ने कहा-गायत्री!हमारी शीवांगी घर लौट आई,हम तो ख़ुशी जाहिर ही नही कर पा रहे है।सोनाली:- हा, मा लग ही नही रहा कि हम
(शीवांगी राजस्थान आ गई है वो रुद्राक्ष को मिलने बुलाती है।अब आगे....)सुबह होते ही रुद्राक्ष उठ रात बारे में सोच खुश हो जाता है ।तभी उसके फोन में शीवांगी का मैसेज आता है।रुद्राक्ष के चहरे पर स्माइल आ जाती ...Read Moreने जो अड्रेस भेजा था ।वो एक कैफ़े का था।ये वही कैफे था,जहा वो जाया करता था।रुद्राक्ष देख सोच के कहता है:-अजीब बात है,लगता है आप मेरे आसपास ही है।वो वहां के मैनेजर को कॉल कर पूरा कैफे बुक कर लेता है।तो मेनेझर पूछता है:-बट sir हमे कैसे पता चलेगा।की ये वही मेडम हैरुद्राक्ष:-वो एक्सजेटली 11 बजे आएगी।और आप बस
......१ साल बाद...,रात का वक्त - जैसलमेर का महल ,शीवांगी कुुुसन से बात कर रही थी।शीवांगी?:-शाबाश.! कुशन अब हमारे पास सारे सबूत है।कुुुशन?:-जी कुँवरिसा.!आपकी वजह से।शीवांगी?:-नही,कुुुसन आपकी भी मेहनत है, इसमें।कुुुशन?:-पर कुँवरिसा येे बम फोड़ना कब है.?शीवांगी?:-इस बार ...Read Moreवसंतपूजा में।कुशन?:-वाह.!मतलब जिस पुुजा में सब शुरू हुआ वही खत्म होगा। वो दोनो हँस ने लगते है।अगले दिन सुबह शीवांगी रतनगढ़ चली गई।फिर वो रात को वापस आ जाती है,वो छत पे खड़ी होकर आसमान की ओर देख कहती है;"वक्त आ गया है रुद्राक्ष प्रताप सिंहजी आपको बुलाने का।आज जो हमने किया है आप जल्दी वापस आएंगे।वो सोच रही थी कि किसीने उसकी
शीवांगी झट से जाने लगी तो वो किसी से टकरा गई।पर उसने उसे गिरने से पहले ही थाम लिया।शीवांगी ने कसकर अपनी आंखें बंद कर दी थी।?तभी लाइट्स भी आ गई ।लाइट्स आने पर रुद्राक्ष ने शीवांगी को ...Read Moreही उसके मन में ठंडक का एहसास हुआ, जैसे इसका ही उसे इंतजार था।अगले ही पल उसे गुस्सा? आ गया।उसने शीवांगी से कहा;तो,आप तारीफ बहुत अच्छी कर लेती है।कुँवरिसा।शीवांगी ने उसे नज़र उठा के देखा तो रुद्राक्ष की नीली आंखो में वो मानो वो खो सी गई।वही हाल रुद्राक्ष का था।शीवांगी की गहरी काली आंखे मासूम सी उन्हें देख एक पल को
(कहानी को समझ ने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़ें।??)शीवांगी सारा काम कर थक के वही सो गई थी।रुद्र ने देेखा तो शीवांगी को देखते ही रह गया।वो सोते हुए इतनी मासूम जो लग रही थी।वो उसे उठाने ...Read Moreगुस्से से उठानेे की वजह से शीवांगी उठ गई।रुद्राक्ष ?चिल्ला के:-जाओ ,निकलो यहाँ से।शीवांगी जानेे लगी रुद्राक्ष पीछे आ रहा था।तभी शीवांगी को चक्कर आ गया वो गिरकर बेहोश होने लगी रुद्राक्ष ने उसे थाम लिया।रुद्राक्ष ने देखा शीवांगी बेहोश हो चुकी थी।उसने उसे गोद मे उठा बेड पे लिटा दिया।उसके उठाने के बावजूद शीवांगी नही उठी शीवांगी खुद को सिमटने लगी,ये देख रुद्राक्ष
(ये एक काल्पनिक स्टोरी है।पूरा समझ ने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़ें।??)अगले दिन--सोहम वीना को मार रहा होता हैं, वहा शीवांगी बीच में आ जाती है।सोहम?:-हट्ट जा रास्ते से।शीवांगी?:-तू हट जा ,वर्ना..! तेरा बुरा हाल कर देंगे।सोहम:-तू ...Read Moreधमका रही है।डरता नही में तुझसे।शीवांगी वीना को अपने पीछे कर जाने लगती है।तो सोहम उसे अनदर खींच के दरवाजा बंद कर लेेता है।वीना बाहर से दरवाजा खटखटाने लगती है।सोहम:-साली तुजे बड़ी गर्मी है।पता चला मुझे रुद्राक्ष के साथ रात भर थी।थोड़ा सुख मुझे भी दे दे।वीना बिना वक्त गवाए रुद्राक्ष के पास पहुंच गई।क्योंकि वही था।जो सोहम की सच्चई जानता था
(कहानी को समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़ें..!अब आगे..!)अगले दिन-रतनगढ सब नास्ता के लिए हॉल में थे। वीना नंदू के साथ गार्डन में थी ।उसने शीवांगी से कहा:-लाडॉ.!आंखें बंद करे आपके लिये सरप्राइज है।सोनाली?:-अरे,वाह.!सिर्फ लाडो के ...Read Moreहमारे लिये कुुछ नही शिवांश भैया.!शिवांश?:-सोरी!भाभी पर सिर्फ लाडो के लिए है।उसने शीवांगी के आंख पर हाथ रख दिया।उसने सिटी बजाई जिसे सुन देव अंदर आ गया।सब ने देव को देखा।वाइट शर्ट और ब्लैक पेंट बिल्कुल फॉर्मल ओर सिम्पल लुक में देव खूब अच्छा लग रहा था।देव शीवांगी के सामने थोड़ी दूरी पर खड़ा हो गया।शिवांश ने हाथ हटा लिया।शीवांगी ने
(कहानी को समझ ने के लिए आगे के पार्ट्स जरूर पढ़ें???,,,,,अब आगे.....)अगले दिन सब हॉस्पिटल के इनॉग्रेशन में पहुच गए । गांव वाले ,ठाकुुुर,ओर बहुत सारे महमान थे,रुद्राक्ष भी अपने परिवार के साथ आया था।पहले शान्ति हवन होना ...Read Moreदेव सबको हॉस्पिटल के बारे में बताने वाला था।शिवराज जी और विनय जी का परिवार साथ बैठे थे।शिवांश, देव और शीवांगी का ही कुछ पता नहीं था।सुमित्राजी?:-गायत्री ,बच्चे कहा है.?गायत्रीजी नज़र घुमाते हुए :-यही तो थे । तभी सामने से देव आता हुआ दिखाई देता है, लोंग ऑरेंज कलर का कुर्ता,सेट किये हुए बाल में वो जच रहा था,वो सब से मिलता है।सुमित्राजी-विनय जी
(कहाणी को समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़ें?????अब आगे...)अगले दिन सभी हॉल मेंं बेेेठ हुए होते है।गायत्रीजी नेे पंडित जी को बुलाया था सोनाली की गोदभराई के का मुहूर्त निकाल ने के लिए ।पंडित जी ने 3 ...Read Moreबाद का मुहूर्त निकाल दिया, जिससे सब खुश हो गए।पर केेतकीजी का अलग था, उनहे खुशियां रास कहा आति है।वीणा सोनााली का मुह मीठा करवाने आई मिठाई का थाल ले कर तो उन्होंने ग़ुस्सेमे ?थाल उड़ा दिया,वीणा बहुत डर गई?बाकी सब लोग भी हैरान थे।केतकिजी ने अपनी कड़वी जुबान सेे:-तूू,तो इन खुशियो से दूर ही रह मनहूस.!भूल गई कि तू
(नोट:-फ्रेंड्स .!इस स्टोरी की सारे पात्र ओर कहानी काल्पनिक है।और एक बात,में जब लिखती हु तो तभी सोच के तभी लिखती हूं कोई पहले प्लान कर या लिख के नही रखती हूं ,खुद आगे का पार्ट पढ़के फिर आगे ...Read Moreहूं।तो कोई चूक हो जाये तो आप बता सकते है।।?Just enjoy story।??कहानी को समझ ने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़ें।)अगले दिन देेव हॉस्पिटल में था।गायत्रीजी रुद्राक्ष ओर शिवांश को समान लेन भेज देती है।साथ देव को भी ले जाने कहती है।मार्किट में बहुत भीड़ थी।तीनो सामान खरीद रहे थे,वो चल ही रहे थे कि शिवांश की घड़ी में
(कहानी को समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़ें????)सोनाली की गोदभराई खत्म हो गई थी।गायत्रीजी ने कुछ लाने को कहा तो शीवांगी उसे लेने सीढियों से ऊपर जाने लगी ठीक ऊपर पहुंच के उसका पैर फिसल गया, शीवांगी ...Read Moreखुद को संभाल ने की पूरी कोशिश की पर उसका बैलेंस बिगड़ ही रहा था।शिवांश जो किसी काम के चलते अंदर आया वो उसे देखते उसी तरफ दौड़ पड़ा,उसे भागते देख सबकी नजरें उस ओर गई तो वीना,गायत्रीजी ओर सुमित्राजी के मुह से चीख निकल गई,लाडो....!शीवांगी सर आगे टकराने वाला था पर उससे पहले ही शिवांश ने अपना हाथ वहा
(कहानी को समझने के लिये आगे के पार्ट्स जरूर पढ़ें,,????,,अब आगे!!!!!!!!)शीवांगी ओर रुद्राक्ष मुंबई पहुंच गए ,रात भी होने ही वाली थी।रुद्राक्ष मुंबई का टॉप बिझनेसमेन था,उसे यहा हर कोई बिजनेस टाइकून होने की वजह से पहचानता था।रोंन ...Read Moreरिसीव करने आया था। कुुुछ ही वक्त मे गाडी एक बंगलो के पास रुकी ये बंगलो रुद्राक्ष का था वो अक्सर काम के सिलसिले में मुंबई आता था तो उसने खरीद रखा था,आदित्य भी उसके साथ यही रहता था उसका अलग घर था पर उसे यहाँ रहना पसंद था ताकि जब रुद्राक्ष आये वो उसके साथ कुछ टाइम स्पेंड कर सके।रुद्राक्ष अंदर
(आगे के पार्ट जरूर पढ़ें,,।।।शीवांगी ग़ुस्सेमे रुद्राक्ष को बाहर ले अती हैै।अब आगे.........) रुद्राक्ष सब को शांत होने का इशारा करता है।सब अपने काम मे लग जाते है।दोनो कार के पास पहुंच जाते है।शीवांगी कार में बैठकर भी बड़बड़ाये ...Read Moreरही थी??:-"ऐसे कैसे करीब आ गयी,आई बड़ी तमीज वाली खुद की तमीज़ देखी नही,किसी मर्द के इतना करीब"..,फिर रुद्राक्ष से :-अब चलेंगे...!या वापस उस चुड़ैल के पास जाना है।रुद्राक्ष कब से चुप था वो:-सीट बेल्ट..!शीवांगी सीटबेल्ट लगा देती है।रुद्राक्ष ड्राइव करते हुए भी मुस्कुरा रहा था,उसे शीवांगी को देख हँसी आ रही थी।दोनो कॉलेज प्रोफेसर के पास पहुंच गए, शीवांगी को
(अब तक आपने पढ़ा की शीवांगी को सरदर्द होता है रुद्राक्ष उसे पेनकिलर देने की कोशिश करता है।पर आदि बता ता है कि उसे पेनकिलर सूट नही करती)(ओर अच्छे से समझ ने केे लिए आगे के पार्ट जरूर पढे...!!!)आदित्य ...Read Moreके सर पर हाथ रख चेक करता है। अच्छा हैै देव सर ने तुम्हे बता रखा है।शीवांगी?:-भाई ने बताया कि हम कभी सरदर्द की दवाई ना ले..!आदित्य☺️:-'हम्म.!'तुम्हें अब तक कितनी बार सरदर्द हुआ है.?'शीवांगी?:-ज्यादा नही सिर्फ 2-3 बार ।आदि☺️:-अच्छी बात है, ओर ठीक कैसे होगा.?शीवांगी?:-हल्के से दबाने से..!आदित्य☺️:-okk, लाओ में दबा देता हूं।शीवांगी?:-बिल्कुल नही,आप वैसे भी थके हुए है।आप सो
(कहानी को समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़ें..............)सब मॉल के पास ही रेस्टोरेंट में चले जाते है।और बाते करने लगे.रुद्राक्ष?:-तो आप यहाँ कैसे.?शीवांगी?:-हा, ये तो हमें भी नहीं मालूम ..!कुणाल☺️:-अरे,में यहा एक काम से आया था ...Read Moreसे पता चला कि तू मुुंबई हैं, तो बस प्लान बना लिया।अदिति?:-मुझे देव भाई ने बताया था।शीवांगी?:-वैसे अद्दु, ये वही आदित्य है।मतलब आदित्य दीवान.!ये सुनते ही अदिति जो पानी पी रही थी उसे ठसका लग गया,वो खाँसने ?लगी।आदि उसकी पीठ सहलाने लगा☺️:-अरे,आराम से.!अदिति शीवांगी को ना? का इशारा करती हैं।जिसे आदि देख लेता है।आदि?:-क्या बात है.?शीवू..!अदिति हड़बड़ाते हुए:?-कुछ भी तो नही.!रुद्राक्ष?:-कुछ तो
(कहानी को समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़ें.....)रुद्राक्ष वापस रतनगढ़ आ गया।कुछ दीन यू ही बीत जाते हैं।इन दिनों शीवांगी रुद्राक्ष के बिल्कुल सामने नही आति रुद्राक्ष को उसका यू इग्नोर करना अच्छा नहीं ...Read Moreरहा था।एक दिन शीवांगी देव के साथ रतनगढ़ सोनाली का कुछ सामान लेने आई थी।रुद्राक्ष सब के साथ नीचे बैठ गया इस उम्मीद में की शीवांगी उससे बात करे,पर शीवांगी तो शीवांगी है बात करना दूर नज़रे उठा कर भी उसने रुद्राक्ष को नही देखा और ये रुद्राक्ष को बहुत ज्यादा खल गया।शीवांगी सोनाली के कमरे थी वहां रुद्राक्ष ने आके दरवाजा बंद
.(कहानी को समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़ें.....)वसंतपूजा में सब शामिल थे ।ये बड़ी पूजा होती है जिसमे हर ठाकुर और हुक़ूमसा को उपस्थित रहना पड़ता है।पूजा होंंने के बाद शीवांगी ने सबके बीच आके ...Read Moreहाथ जोड़ कहा;"घनी खम्मा.!आप सबको ,हम यहां उपस्थित ठाकुरो ओर हुक़ूमसा को एक फैसला करने का अनुग्रह करने आये हैं।"शीवांगी की बात सुनकर विनय जी :-कैसा फैसला ,लाडो.?शीवांगी:-हम उस न्याय की बात कर रहे है जो अधूरा है,15 साल पहले एक 14 साल के लड़के के गुस्से ने कर दिया था।उस फैसले को आज हम गलत साबित करने आये है,ओर इस रानू की
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़े )(अबतक शिवांगी सबको सच बताती है और पंचायत सोहम और केतकीजी क़ो जेल की सज़ा सुनाती है..)सब क़ो गन पॉइंट पर रखा जाता है और तभी विक्रम कातिल हसी ...Read Moreहुए अंदर आ जाता है.।'खेल तो अभी शुरु हुआ है कुंवरिसा.!!' (जिन्हे नहीं पता उन्हे बता दूँ,विक्रम सोहम का छोटा भाई है जिसके बारे मे मेने इंट्रोडक्शन मे बताया था।अब तक इसलिए ज़िक्र नहीं हुआ क्युकी उसका इन्वॉलमेंट story मे यही से होगा।) विक्रम क़ो देख सोहम खुश हो जाता है वही मनोहजी के एक और झटका लगता है,,'तुम भी
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़े ) रुद्राक्ष चुपके से शिवांगी के रूम मे चला जाता है, वो दरवाजा बंद कर देखता है तो शिवांगी उसे खिड़की के पास ख़डी दिख जाति है।वो बिना पलटे ...Read Moreकहती है "आपको इस वक़्त यहां नहीं होना चाहिए, सिंह साहब.!" रुद्राक्ष :- आपको कैसे पता की मे हू.? शिवांगी लम्बी सांस छोड़ के पलट जाति :-अभी इसी वक़्त निकलिए हमारे कमरे से.!! रुद्राक्ष उसके पास जा कर :- अगर ना जाऊ तो., क्या करेगी आप.? हाँ, मुझे भी मारेगी-पिटेगी आप.!! शिवांगी उसका हाथ पकड़ बहार निकलने जाति है तभी
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़े ) अगले दिन रुद्राक्ष और सुमित्राजी वापस चले गए..। कुछ दिन युहीं बीत गए इन दिनों..। रुद्राक्ष शिवांगी क़ो हर रोज़ मेसेज करता जिसमे sorry और love u जरूर ...Read Moreहोता है.। रोज़ एक बुके भी जरूर आता था।शिवांगी अपने देव भाई क़ो उनकी फिल्लिंग्स समझा ने मे लगी थी तो आदित्य भी देव के साथ बहुत कुछ सीखना चाहता था जिससे वो भी रुक गया था। वही एक दिन जयेश जी शिवराज जी से मिलने आये थे, उन्होंने बताया कि वो कुछ दिनों के लिए मलेशिया जा रहे है
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़े ) अगले दिन संडे था तो सब आराम से बैठे थे। तभी वहा अमन आ जाता है. अमन :- हाय, एवरीवन.!!! देव उसे देख :- तुझे क्या हुआ.? ऐसा ...Read Moreलग रहा है की किसी ने तुझे पीटा है.!! अमन सभी बड़ो के पैर छूते हुए :- थोड़ी देर मे तेरी भी यही हालत होंगी बेटा.!! शिवांगी के पास जा अमन प्यार से :- केसी है मेरी गुड़िया.!! शिवांगी :- हम ठीक है.. अमन की नज़र शिवांगी के पैर मे जाति है, "गुड़िया ये चोट कैसे आई.?" अमन बोल ही
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़े ) अगले दिन सुबह सब उठ कर फ्रेश हो निचे आ जाते है।सब देखते है बहुत सारा नास्ता बना हुआ था. शिवांश :- वाओ, इतना सारा नास्ता.!!किसने बनाया.? गायत्रीजी ...Read Moreहाँ, मे तो पूजाघर मे थी, फिर वो वीणा की तरफ देखती है। वीणा :- नहीं, मेने नहीं बनाया.। सुमित्राजी :- लाडो क़ो चोट लगी है, फिर किस ने.?? देव सब देखते हुए :- ये रणविजय ने बनाया है. सभी हैरानी से :- क्या.?? देव :- हाँ, ये सारी मतलब आलू के परांठे / पोहे /भेल ये सब सोना की
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़े ) अगले दिन देव किसी काम से दो दिनों के लिए दिल्ही गया था। वीणा ने उसे हॉस्पिटल मे नहीं देखा तो वो सोच मे पड़ गई.. शाम क़ो ...Read Moreवो घर आई तो पुरे घर मे देख चुकी थी। खाने पर भी उसकी नज़रे किसी क़ो खोज रही थी.. शिवांगी :- क्या हुआ, भाभी आप किसी क़ो ढूंढ रहे है.!! वीणा झेप जाति है:- वो हाँ देव क़ो आज केस था तो उसके बारे मे बताना ना था। शिवांश :- अरे, हाँ देव तो..! शिवांगी फट से बोली :-
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़े )कुछ दिनों बाद देव और वीणा की सगाई का मुहूर्त निकल जाता है..।रात क़ो देव, वीणा, शिवांगी, शिवांश और अनन्या सोनाली के साथ बैठे हुए थे.. रुद्राक्ष अभी तक ...Read Moreआया था. शिवांगी की नज़रे बार बार दरवाजे पर ही जा रही थी की उसे देख आदित्य धीरे से कहता है, 'फोन नाम की भी चीज़ है, महोतरमा ऐसे बेकरार होने से अच्छा आप कॉल कर ले..!!'शिवांगी झेप जाति है वो उठके, 'हमे नींद आ रही है हम चलते है।'देव घड़ी देखते हुए, 'अरे हाँ काफ़ी लेट हो गया है।
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े )दो दिन बाद.,रुद्राक्ष सुबह सुबह तैयार हो आ जाता है.आदि उसे देख :- वाह, सुबह सुबह कहा मेरे यार.?रुद्राक्ष :- तेरी भाभी के पास और कहा.?और तू.?आदित्य :- वो ...Read Moreदेव सर से बात करनी थी उन्होंने बुलाया है तो मे भी वही जा रहा हु।रुद्राक्ष :- साथ चलते है। तभी विनय जी आ जाते है।विनय जी :- चले बेटा.!!रुद्राक्ष :- जी पापा!!तीनो बैठ जाते है तो आदित्य रुद्राक्ष के कान मे :- तेरे दिमाग़ मे चल क्या रहा है.?रुद्राक्ष :- तू चुप होके बैठ पता चल जायेगा.!!कुछ ही देर
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े )अगले दिन शिवांगी ठीक थी सब चाय नास्ता कर रहे थे।शिवांगी :- sorry बड़े पापा आपको कुछ कहना था हमसे.!!विनय जी :- हाँ बच्चे!!अब सरदर्द केसा है.?शिवांगी :- ठीक ...Read Moreबड़े पापा.!!विनय जी :- सब बताते हुए, हमें बहुत ज्यादा अच्छा लगेगा लाडो, आप सीखे और जाने तो.!!शिवांगी :- बड़े पापा हमें कोई इतराज़ नहीं है, पर हमें ऑफिस का कुछ नहीं आता.!!विनय जी :- तो क्या हुआ, रूद्र आपको शिखा देंगे.!!रुद्राक्ष :- बिलकुल, और जहाँ तक मुझे पता है आप जल्दी शिख जाएगी.!शिवांगी मुस्कुरा कर हाँ कर देती है..
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़े )रुद्राक्ष और शिवांगी निकल जाते है. जयपुर इवेंट के लिए उन्हें वहा सब तैयारी भी करनी थी..।इधर देव और वीणा की सगाई भी इवेंट के दूसरे दिन शाम क़ो ...Read Moreथी. तो परिवार भी तैयारियो मे लगा था।अनन्या क़ो भी जयपुर घूमने जाना था जिसकी जिम्मेदारी शिवांश क़ो दी थी शिवराज जी ने.. वो भी निकलते है पर लड़ते -झगड़ते.!!शिवांश :- इस जंगली बिल्ली की वजह से यहां आना पड़ा. हुंह!!अनन्या :- तो निकलो ना यहां से.!शिवांश :- पापा की बात नहीं टालता वर्ना कबका तुम्हे यही छोड़ देता.!अनन्या :-
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े )अगली सुबह रुद्राक्ष उठ कर देखता है.. शिवांगी उसके बाजु मे नहीं थी. वो जट्ट से उठ जाता है.।तो शिवांगी सामने ही बैठी थी वो लेपटॉप पर काम कर ...Read Moreथी. वो ख़डी हो गई, तो रुद्राक्ष उठकर आ गया।शिवांगी उसे देख :- अच्छा हुआ आप उठ गए हमें रोन लेने आ रहा है . हम भी वहा जा रहे है हम सब देख लेंगे और आपको बड़े पापा ने बुलाया है. बाकि सब भी आते होंगे हमने एड्रेस मेल किया है। वो बोले ही जा रही थी..रुद्राक्ष झुक कर
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े )कामिनी गले मिल जाति है.. रुद्राक्ष उसे thanks बोल स्टेज की तरफ चला जाता है. वो विनय जी के पैर छू कर बिना अवार्ड लिए माइक की तरफ बढ़ ...Read Moreहै...!!!रुद्राक्ष :- thanks!!एवरीवन!!आज दोनों अवार्ड्स के लिए शुक्रिया!!मेरे साथ इस का अवार्ड का हकदार कोई और भी है..जिन्होंने ही मुझे लंदन जाने मजबूर किया था.. और आज जो आप सब इस इवेंट की इतनी तारीफ कर रहे है.. ये आईडिया भी उन्ही का था..मेरी प्रेरणा है वो माना आज तक शायद उन्हें नाराज़ ही किया मेने but आज मे चाहूंगा
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े )अगले दिन वही जयपुर के हॉल मे देव वीणा की सगाई थी।सिया भी हॉस्टल से आई थी और कामिनी भी आई थी।सारी तैयारियां खूब धाम धूम से की गई ...Read Moreकल से शिवांगी से बात करने की कोशिश कर रहा था. पर शिवांगी उसे इग्नोर कर रही थी। शिवांश और अनन्या बाते कर रहे थे।शिवांश :- thank you!!वैसे तुमने मेरी लाडो क्यों कहा था.??अनन्या :- क्यों.? वो है ही प्यारी मेरी छोटी बहन जैसे है नहीं कह सकती.!!शिवांश :- कह सकती हो..!!उसे बहुत ख़ुशी हुई थीशाम भी हो गई। सब
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े )सगाई चल रही थी.. तीसरा राउंड मे पेपर फोल्ड हो जाता है पर पार्टनर्स टर्न होते है। आरिश - वीणा / देव -अनन्या/आदित्य कामिनी क़ो खिंच लेता है तो ...Read Moreउसका फायदा उठा कर शिवांगी क़ो अपनी तरफ घुमा लेता है.. वही शिवांश के पास वापस सिया आ जाति है।गाना स्टार्ट होता है।(देव अनन्या से 'कम्फर्टेबले.!!!अनन्या मुस्कुरा कर हाँ कर देती..।)तेरे नैना बड़े कातिल मार ही डालेंगेकातिलाना, कातिलाना अदाओं सेइक दिन इस दिल कोहँसाएँगे, रुलाएँगे, मार ही डालेंगेतेरे नैना नैना, तेरे नैना नैनाकातिलाना बड़े, नैना नैनाकातिलाना, कातिलाना अदाओं सेइक दिन
(कहानी क़ो समझने लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़े )सब बनारस पहुंच जाते है।देव का घर बहुत सज़ा हुआ होता है। देव समझ जाता है..और बाकि सब हैरान थे।देव :- सोना.!!शिवांगी :- भाई, अब भाभिमा पहलीबार अपने घर आई ...Read Moreकुछ स्पेशल तो बनता है. ना!!'और नहीं तो क्या.? हमारी भाभिमा कोई आम नहीं, बहुत स्पेशल है!!"अदिति ने आरती का थल लिए कहा.!!कुणाल :- वेलकम होम!!प्यारी भाभिमा.!!अदिति ने बहुत प्यार से देव और वीणा की आरती उतारी। बाकि सब अंदर आ गए.. देव और वीणा क़ो शिवांगी ने दरवाजे पर रोक दिया।देव :- अब, क्या.?शिवांगी एक सफ़ेद कपड़ा ले कर
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े )दोनों शिवांगी क़ो :- एंजेल!हमने आपको बहुत miss किया.!!बाते करने लगते है।अनन्या :- लगता है ये दोनों शिवू से बहुत प्यार करते है।शिवांश :- ये वही आश्रम के बच्चे ...Read Moreना देव जिस के बारे मे तूने मुझे बताया था।देव :- आशियाना आश्रम.!!अनन्या :- वहा कितने बच्चे है.?देव :- 50 है.!!आदित्य :- बाकि अडॉप्ट किये होंगे ना..!!देव :- नहीं आश्रम के सारे बच्चे अडॉप्टदेट है..!!रुद्राक्ष :- स्ट्रेँझ.!!, कुछ अजीब है..शिवांगी और अवनि बच्चों क़ो खेलने ले जाते है..।शिवांश :- देव तूने पूरी बात नहीं बताई.. बच्चे अडॉप्टदेट क्यों है.?देव :-
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े )अगली सुबह सब. चाय नास्ता कर रहे थे... तभी एक बहुत सुंदर लड़की आती है..कुणाल :- हाय.!तुम कौन हो.?वो लड़को हर्ष के बगल मे जा के :- मुझे इनसे ...Read Moreहै.. मेरे लव से.!!मेरे प्यार से..!!ये सुनते ही अवनि जोर से चिल्लाई :- नहीं ये नहीं हो सकता.. तुमने मुझे धोका दिया....अदिति कान पे हाथ रख :- कान के पर्दे फाड़ेगी, क्या.?हर्ष उस लड़की दूर होते हुए :- अरे, मे इसे नहीं जानता..!!लड़की :- ओह्ह, come on बेबी.!!भूल गए उस रात क़ो जो हमने साथ बिताई थी..!!अवनि गुस्से से लाल
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के पार्ट जरूर पढ़े )अदिति :- अच्छा, बाते बहुत हो गई. चलो घूमने चलते है..!शिवांगी :- डन !!भाई आप चारो कार मे निकलिए हम बाइक पे आ जायेंगे.!!देव / वीणा / अनन्या ...Read Moreशिवांश कार मे निकलते है., शिवांगी की अपनी बुलेट..अदिति अपनी स्कूटी.. कुणाल और हर्ष बाइक निकालते है।कुणाल :- कौन किसके पीछे बैठ रहा है।स्वप्निल :- मे इस मेंढक की बाइक पर नहीं बैठूंगा..!हर्ष मे तेरे पीछे बैठ रहा हु.!!अवनि मुँह बना के :- तू मुझे सच मे.!सौतन वाली फिलिंग देता है.. हट मे बैठूंगी अपने हर्ष के पीछे.!!वो हर्ष के पीछे
(कहानी क़ो समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े )सब सुबह भी तैयार हो घूमने निकल जाते है।जिसमे सब मानस मंदिर /कालभैराव मंदिर / दुर्गा कुंड और बाजार मे घूमते है....सब एक घाट पे पहुंचते है वहा सब ...Read Moreरहे थे. तो स्वप्निलशिवांगी क़ो :- देख वहा क्या है.??शिवांगी :- कहा क्या.?तभी स्वप्निल शिवू क़ो धक्का देने जाता है, शिवू हट जाति है जो हर्ष क़ो लग जाता है,.हर्ष पानी मे गिरता है। बाकि सब हस देते है.. स्वप्निल :- हर हर गंगे..!!हर्ष :- साले,.क्या हें ये.? चल हाथ दे.!!स्वप्निल उसे हाथ देता है तो हर्ष उसे अंदर खिंच
[कहानी क़ो समझने के लिए आगे के भाग जरूर पढ़े ]अगले दिन सुबह मेंहदी आराम से होती है.. रणविजय की वजहसे पर शाम क़ो सब सझ - धज के तैयार थे.. संगीत की कलर थीम red/ ब्लैक और गोल्डन ...Read Moreसभी उसके हिसाब से तैयार हुए थे.!!देव :- बच्चे कहा है.?वीणा :- सोना तो सुबह से नहीं दिखी..!तब हर्ष वहा आता है.., "चले सब.!!मे आपको ही लेने आया था।"देव / वीणा / अनन्या / शिवांश / रुद्राक्ष और आदित्य इतने ही घर पर थे बाकि सब तो कबसे संगीत मे पहुंच चुके थे.. हर्ष उन्हें ले चलता है.. सब वहा