Dusari Aurat - 2 book and story is written by निशा शर्मा in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Dusari Aurat - 2 is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
दूसरी औरत... सीजन - 2 - Novels
by निशा शर्मा
in
Hindi Love Stories
"हैलो! बेटा कैसा है? कितने दिन हुए तूने तो एक फोन भी नहीं किया और कई महीनों से तू घर भी नहीं आया! कोई परेशानी की बात तो नहीं है न बेटा और तेरी तबियत तो ठीक है न!!" जहाँ दूसरी तरफ़ से फोन पर अनुराधा जी यानि कि सुमित की माता जी एक ही साँस में शिकायत-भरे लहजे के साथ ही अपने बेटे के प्रति अपनी फिक्र भी जताने में कोई कोताही नहीं बरत रही थीं वहीं दूसरी तरफ से स्पीकर मोड में अपना फोन डालकर मिस्टर सुमित बाबू यानि कि अनुराधा जी के सुपुत्र उनकी कुछ बातों को
"हैलो! बेटा कैसा है? कितने दिन हुए तूने तो एक फोन भी नहीं किया और कई महीनों से तू घर भी नहीं आया! कोई परेशानी की बात तो नहीं है न बेटा और तेरी तबियत तो ठीक है न!!" ...Read Moreदूसरी तरफ़ से फोन पर अनुराधा जी यानि कि सुमित की माता जी एक ही साँस में शिकायत-भरे लहजे के साथ ही अपने बेटे के प्रति अपनी फिक्र भी जताने में कोई कोताही नहीं बरत रही थीं वहीं दूसरी तरफ से स्पीकर मोड में अपना फोन डालकर मिस्टर सुमित बाबू यानि कि अनुराधा जी के सुपुत्र उनकी कुछ बातों को
होली की छुट्टियाँ बीते दो दिन हो चुके थे मगर आज भी सुमित न जाने क्यों कॉलेज नहीं आया था? इस बात से परेशान सपना डीबीएस कॉलेज के कैम्पस में बड़ी ही बेचैनी के साथ इधर-उधर घूम रही थी ...Read Moreफिर अब वो सुमित को फोन भी तो नहीं कर सकती थी क्योंकि होली के दिन सुमित का फोन रंग की भरी हुई बाल्टी में गिरने के कारण खराब हो चुका था जिसकी सूचना स्वयं सुमित नें सपना को अपनी माता जी के फोन से फोन करके दी थी ! चहलकदमी करती हुई अचानक ही सपना न जाने क्या सोचकर
तेरे खुशबू में बसे खत मैं जलाता कैसे प्यार में डूबे हुए खत मैं जलाता कैसे तेरे खत आज मैं गंगा में बहा आया हूँ आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ जगजीत सिंह साहब की ये गज़ल ...Read Moreआज सुमित का कलेजा चीर देने को आतुर थी । वो अपने कमरे में बैठा सपना के दिये खतों को आज बार-बार, हजार बार पढ़ रहा था । पढ़ते-पढ़ते वो कभी मुस्कुराने तो कभी हंसने तो कभी रोने लगता । वो कई-कई बार उन सारे खतों को उलट-पलटकर देखता । "यार सुमित कम से कम आज तो मत पी यार
आज मेरे यार की शादी है, यार की शादी है मेरे दिलदार की शादी है ! आज के खुशनुमा माहौल में सुरेश भी कुछ इस तरह से शामिल हुआ कि जैसे कुछ हुआ ही न हो ! बड़ी ही ...Read Moreसे आज अनुराधा जी के एकलौते बेटे का विवाह सम्पन्न हो गया ! हालांकि विवाह की सभी रस्मों को सुमित नें बड़े ही औपचारिक ढंग से और अपने चेहरे पर एक बनावटी व बेहद फ़ीकी मुस्कान के साथ निभाया था जिसे उसकी माता जी समेत उसके कई अन्य बेहद करीबी रिश्तेदार,समझकर भी नहीं समझना चाह रहे थे । इन सब
बीते तीन दिनों में शायद ही ऐसा कोई नुस्खा या प्रयास बचा हो जो कि पल्लवी नें अपने नीरस पति पर आजमाया न हो ! और इस सिलसिले में आज उसके पास जो नुस्खे की पुड़िया थी वो उसे ...Read Moreसहेली दीपा से मिली थी जो अपने मोहल्ले,गली और गाँव हर जगह अपने इसी हुनर के लिए कभी खासी मशहूर हुआ करती थी, खैर ! अब तो उसकी गिनती सीधी-साधी,सुशील और शरीफ़ बहुओं में हुआ करती है तो छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी ! हाँ ये और बात है कि आज भी गाँव की पढ़ी से पढ़ी