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मौत का खेल - Novels
by Kumar Rahman
in
Hindi Detective stories
जासूसी उपन्यास मौत का खेल कुमार रहमान कॉपी राइट एक्ट के तहत जासूसी उपन्यास ‘मौत का खेल’ के सभी सार्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं। किसी भी तरह के उपयोग से पूर्व लेखक से लिखित अनुमति लेना जरूरी है। डिस्क्लेमरः उपन्यास ‘मौत का खेल’ के सभी पात्र, घटनाएं और स्थान झूठे हैं... और यह झूठ बोलने के लिए मैं शर्मिंदा नहीं हूं। फार्म हाउस दिसंबर महीने की आखिरी रात थी, यानी 31 दिसंबर की तारीख थी। आज गजब की सर्दी थी। कोहरा भी इस कदर था कि कुछ फिट की दूरी पर भी चीजें नजर नहीं आ रही थीं। 31
जासूसी उपन्यास मौत का खेल कुमार रहमान कॉपी राइट एक्ट के तहत जासूसी उपन्यास ‘मौत का खेल’ के सभी सार्वाधिकार लेखक के पास सुरक्षित हैं। किसी भी तरह के उपयोग से पूर्व लेखक से लिखित अनुमति लेना जरूरी है। ...Read Moreउपन्यास ‘मौत का खेल’ के सभी पात्र, घटनाएं और स्थान झूठे हैं... और यह झूठ बोलने के लिए मैं शर्मिंदा नहीं हूं। फार्म हाउस दिसंबर महीने की आखिरी रात थी, यानी 31 दिसंबर की तारीख थी। आज गजब की सर्दी थी। कोहरा भी इस कदर था कि कुछ फिट की दूरी पर भी चीजें नजर नहीं आ रही थीं। 31
अकेलापनथर्टी फर्स्ट नाइट का इंतजार तो सार्जेंट सलीम को भी था। 31 दिसंबर को दोपहर का खाना खाकर वह कमरा बंद करके सो गया। सोने से पहले उसने फोन स्विच ऑफ कर लिया था। कानों में रुई ठूंस ली। ...Read Moreथी कि किसी तरह की आवाज उसके कानों में न जाने पाए, जिससे नींद में खलल पड़े। दोपहर का खाना सार्जेंट सलीम ने खुद बनाया था। वह जाने कहां से चौलाई का साग ले आया। उसने साग को मक्खन से बघार कर खुद बनाया था। इसके साथ ही उसने मक्के की रोटियां सेंकी थीं। रोटियां गोल तो नहीं बन सकी थीं,
फ्लर्ट होटल का डायनिंग हॉल धीरे-धीरे भरता जा रहा था। नहीं आ रहा था तो उस लड़की का कोई अपना, जिसके लिए वह इस कदर बेचैन थी। उसने एक बार फिर गेट की तरफ देखा और अपनी कलाई घड़ी ...Read Moreभी तुरंत ही नजर डाली। फोन करने के लिए उसने अपना मोबाइल उठाया फिर झुंझला कर उसे रख दिया। सलीम उठ कर लड़की के पास से गुजरा और फिर लौटकर मेज के पास आकर खड़ा हो गया। लड़की ने तुरंत ही चौंक कर उसकी तरफ देखा। शायद उसे लगा था कि जिसका उसे इंतजार है, वह शख्स आ गया है।
रक्स शरकी और ठरकीरक्स शर्की अपने दूने टाइम तक चला था। दरअसल उसे दस बजे शुरू हो जाने के बाद साढ़े ग्यारह बजे तक खत्म हो जाना था। उसके बाद न्यू इयर सेलिब्रेशन का प्रोग्राम था। रक्स शरकी साढ़े ...Read Moreबजे खत्म भी हो गया। इसके बाद न्यू इयर सेलिब्रेशन के तौर पर कई छोटे-छोटे प्रोग्राम हुए और ठीक 12 बजे एक बहुत बड़ा सा केक काटा गया। कुछ लोगों ने शैंपेन भी खोली थी। न्यू इयर सेलिब्रेशन के बाद लोगों की मांग पर रक्स शरकी को दोबारा शुरू किया गया। यह सवा बारह बजे शुरू हुआ तो रात दो बजे
दो अजनबीकमरे में मौजूद उस आदमी ने आराम कुर्सी की पुश्त से टेक लगा रखी थी। अब उस ने आंखें बंद कर ली थीं। अलबत्ता वह अभी भी जाग रहा था। वह किसी गहरी सोच गुम था। दूसरी ...Read Moreबेड पर से सोने की आवाज आने लगी थी। अजीब बात यह थी कि उस कमरे में दो लोग मौजूद थे। दोनों को ही एक-दूसरे से कोई मतलब नहीं था। इस के बावजूद कमरे में मौजूद थे। एक बीमारी का बहाना बना कर यहां आ गया था। दूसरा कातिल से बचने की फिराक में। कुछ देर बाद बेड से खरखराहट भरी