द्रौपदी की व्यथा - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Mythological Stories
कुरुक्षेत्र के युद्ध मे मारे गए वीरो के परिवारजन भागीरथी के तट पर पहुंचे थे।खुले आसमान में चमक रहे सूर्य की किरणें नदी के जल पर पड़ रही थी।
स्त्री पुरषो ने नदी के किनारे पहुंचकर अपने वस्त्राभूषण उतारे ...Read Moreसभी एक एक करके गंगा के पवित्र जल में उतरने लगे।सभी युद्ध मे वीरगति को प्राप्त अपने स्वजनों को जलांजलि देकर श्रद्धांजलि देने के लिए पवित्र नदी के तट पर आए थे।जलांजलि देते समय अपने पतियों और पुत्रो को याद करके औरते सुबक उठी।औरतो के रुदन से वातावरण शोकाकुल हो उठा।औरतो के रुदन से पुरुषों की आंखे भी हम हो गई।
कुरुक्षेत्र के युद्ध मे मारे गए वीरो के परिवारजन भागीरथी के तट पर पहुंचे थे।खुले आसमान में चमक रहे सूर्य की किरणें नदी के जल पर पड़ रही थी।स्त्री पुरषो ने नदी के किनारे पहुंचकर अपने वस्त्राभूषण उतारे ...Read Moreसभी एक एक करके गंगा के पवित्र जल में उतरने लगे।सभी युद्ध मे वीरगति को प्राप्त अपने स्वजनों को जलांजलि देकर श्रद्धांजलि देने के लिए पवित्र नदी के तट पर आए थे।जलांजलि देते समय अपने पतियों और पुत्रो को याद करके औरते सुबक उठी।औरतो के रुदन से वातावरण शोकाकुल हो उठा।औरतो के रुदन से पुरुषों की आंखे भी हम हो गई।कुंती
"इन सब बातों को कौन मानेगा?"युधिष्ठिर बोला,"मां ने धर्म विरुद्ध और अनैतिक काम ही नही किया।पति को भी धोखा दिया।""तुम्हारे मुह से धर्म की बाते अछी.नही लगती",अपने पति की बात ...Read More द्रौपदी बोली थी।"कृष्णे।यह तुम क्या कह रही हो,"द्रौपदी की बात सुनकर भीम बोला,"बड़े भैया को दुनिया धर्मराज के नाम से जानती है।भैया धर्म के ज्ञाता है।""युधिष्ठिर और धर्मराज आ हा--द्रौपदी ज़ोर से हंसी थी,"तुम्हारे भैया जैसा अधर्मी और अनैतिक कृत्य करने वाला आदमी मैने आज तक नही देखा।""द्रौपदी तुम बड़े भैया का अपमान कर रही हो,"द्रौपदी की बात सुनकर अर्जुन बोला,"मैं बड़े भैया के अपमान को बर्दाश्त