Lout ke buddhu ghar ko aaye book and story is written by Kishanlal Sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Lout ke buddhu ghar ko aaye is also popular in Comedy stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
लौट के बुद्धू घर को आये - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Comedy stories
नाम सुनते ही आप सोचने लगेे होंगे । केसरिया वस्त्र , बड़ी बड़ी जटा, हाथ मे कमंडल और चिमटा या किसी नंग धड़ंग शरीर पर भभूत लगाए या किसी इसी तरह के बाबा के बारे में आपको बताने जा रहा हू।
जी नहीं।मैं ऐसे किसी भी बाबा के बारे में नही बताने जा रहा।फिर आप पूछेंगे मैं किस बाबा की बात कर रहा हूँ?मैं अपने साथ काम करनेवाले बाबा कज बात कर रहा हूं।
बाबा और काम,मतलब नौकरी।हैं न आश्चर्यजनक बात।पर चोंकिये मत।
उस बाबा का नाम कांति लाल है।
बाबानाम सुनते ही आप सोचने लगेे होंगे । केसरिया वस्त्र , बड़ी बड़ी जटा, हाथ मे कमंडल और चिमटा या किसी नंग धड़ंग ...Read Moreपर भभूत लगाए या किसी इसी तरह के बाबा के बारे में आपको बताने जा रहा हू।जी नहीं।मैं ऐसे किसी भी बाबा के बारे में नही बताने जा रहा।फिर आप पूछेंगे मैं किस बाबा की बात कर रहा हूँ?मैं अपने साथ काम करनेवाले बाबा कज बात कर रहा हूं।बाबा और काम,मतलब नौकरी।हैं न आश्चर्यजनक बात।पर चोंकिये मत।उस बाबा का नाम कांति लाल है।आगे बढ़ने से पहले।जरा यह भी सुन ले।बाबा रामदेव तो
सालों पुरानी बात है।चार दशक से ज्यादा हो गए।जून का महीना था।मई और जून तोसुबह धूप निकलते ही गर्मी का प्रकोप बढ़ने लगता जो दिन बढ़ने के साथ मे बढ़ता जाता।दोपहर होते होते तो लू के थपेड़े ...Read Moreलगते।ऐसी गर्मी में बरात में जाना।सहकर्मी जो दोस्त भी था।जिससे पारिवारिक सम्बन्ध भी थे।जो पड़ोसी भी था।उसके भाई की शादी में जाना था।अब पूरा आफिस तो जा नही सकता था।हम पांच तीन बुकिंग आफिस से और दो पार्सल आफिस से ।ये पांच थे। हमारे इंचार्ज मेहताजी,बाबा,भाटिया,सैनी और मैं।बाबा को हमारे साथ जाते देखकर ऑफिस वाले बोले।कुछ ने कुछ गड़बड़ जरूर होगी।बाबा जहा
"मैं तो छोटे थे तब एक शादी में आये थे।"मरी सी आवाज में उस बुजर्ग ने जवाब दिया था।ड्राइवर ने कंडक्टर से कहा"नीचे उतरकर पता लगाओ ज़रा।"दूल्हे के बड़ा भाई ही कर्ता धर्ता था।उसी ने रिश्ता तय ...Read Moreथा।वो ही जनता था गांव का पता।लेकिन वह बेंड वालो को लाने के लिए आगरा रुक गया था।कैसी बरात थी।मंज़िल का पता नही और चले जा रहे थे।कंडक्टर लौटकर बोला,"गांव का रास्ता काफी पीछे रह गया है।"ड्राइवर ने सिर पीट लिया।दोनो तरफ खेत की ऊंची ऊंची मेड।बस को मोड़ने के लिए कोई जगह नही।लिहाज ड्राइवर को करीब दो किलो मीटर आगे जाना