Mrugtrushna tumhe der se pahchana book and story is written by Ranjana Jaiswal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mrugtrushna tumhe der se pahchana is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मृगतृष्णा तुम्हें देर से पहचाना - Novels
by Ranjana Jaiswal
in
Hindi Fiction Stories
मैं जब भी आपके बारे में सोचती हूँ तो महात्मा गाँधी की शक्ल सामने आ जाती है। बुढ़ापे में आप लगभग उन्हीं की तरह लगते थे। खल्वाट सिर, लम्बी नासिका, छोटी आँखें, पतले होंठ और लम्बा दुबला-पतला शरीर। आप बड़े गुस्से वाले थे, बहुत कम हँसते-मुस्कुराते थे।आपकी विचारधारा पुरानी थी। आप लड़कियों को पढ़ाने के पक्ष में बिल्कुल नहीं थे। हमेशा यही कहते-'लोटा -थाली देकर लड़की का पाँव पूज देंगे।
उन दिनों गाँव में गरीब लड़कियों का विवाह लोटे- थाली दान मात्र से हो जाता था, पर माँ के समझाने पर आपने मुझे हाईस्कूल तक पढ़ने की इजाजत दे दी, पर जब मैंने आगे पढ़ना चाहा, तो नाराज हो गए। आपके अनुसार ज्यादा पढ़ने पर लड़कियाँ बिगड़ जाती है। आपके गुस्से की सबसे ज्यादा शिकार मैं ही हुई। मेरे पैदा होने पर आप मुझे देखने अस्पताल इसलिए नहीं आए कि मैं लड़की थी। बड़े होने पर जब गाँव-मोहल्ले से मेरी शरारतों की शिकायत आती, तो आप छड़ी उठा लेते थे। मेरी लड़कों जैसी हरकतों से आपको चिढ़ थी |
(अपनों को लिखे गए वे पत्र जो भेजे नहीं गए) अध्याय एक बाबू जी मैं जब भी आपके बारे में सोचती हूँ तो महात्मा गाँधी की शक्ल सामने आ जाती है। बुढ़ापे में आप लगभग उन्हीं की तरह लगते ...Read Moreखल्वाट सिर, लम्बी नासिका, छोटी आँखें, पतले होंठ और लम्बा दुबला-पतला शरीर। आप बड़े गुस्से वाले थे, बहुत कम हँसते-मुस्कुराते थे।आपकी विचारधारा पुरानी थी। आप लड़कियों को पढ़ाने के पक्ष में बिल्कुल नहीं थे। हमेशा यही कहते-'लोटा -थाली देकर लड़की का पाँव पूज देंगे।उन दिनों गाँव में गरीब लड़कियों का विवाह लोटे- थाली दान मात्र से हो जाता था, पर
अध्याय दो सहोदरा तुम भी दीदी घर की सबसे बड़ी थी तुम।माँ के बाद तुम्हीं एकमात्र ऐसी थी जो मेरी सारी खूबियों और कमियों को जानती थी।जिससे मैं अपना सारा सुख-दुःख कह सकती थी, बाकी सात भाई -बहन तो ...Read Moreछोटे हैं और वे सहोदर होते हुए भी उतने करीब नहीं हैं जितनी तुम थी।अभी माँ के जाने का दुःख कम नहीं हुआ था कि तुम भी चली गयी दीदी।हमने बचपन एक साथ जीया था ।तुम मुझसे पाँच साल ही तो बड़ी थी ।बचपन से ही तुम पर जिम्मेदारियां थीं।अपने से छोटे भाई-बहनों को नहलाना धुलाना, बहनों की चोटी बनाना
अध्याय तीन पति परमेश्वर नहीं होता इंसान की फितरत नहीं बदलती, यह सुना तो था पर इसका सबसे बड़ा उदाहरण तुम निकलोगे, यह नहीं जानती थी | हाँ, किशोर तुम !तुम मेरे पति थे | हाईस्कूल में ही हमारी ...Read Moreतय हो गयी थी | मैं इस शादी के बिलकुल खिलाफ थी, पर उन दिनों लड़कियों की आवाज दबा देने का प्रचलन था| मैं हमेशा से अपनी उम्र से ज्यादा गंभीर रही थी | लड़कों से तो मेरा जैसे छठी का आकड़ा था | कक्षा में हमेशा सबसे आगे रहती | सादा जीवन उच्च विचार को मैंने कम उम्र में
अध्याय चार तुम न हुए मेरे तो क्या ! तुम्हारे बारे में मैंने तमाम कहानियाँ सुन रखी थीं | तुम लड़कियों में एक साथ ही लोकप्रिय और बदनाम दोनों थे पर उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा | पहली ...Read Moreनजर में तुम मुझे अच्छे लगे और मन में तुम्हें आकर्षित करने की इच्छा जगी | शायद यह स्त्री पुरूष का आदम आकर्षण था | एक सुदर्शन पुरूष तो तुम हो ही, मैं भी एक सुंदर स्त्री कही जाती थी पर न जाने क्यों मैं तुम्हारे मुंह से यह सुनने की इच्छा पालने लगी | यह तब की बात है,
अध्याय पांच गर्भ नाल का रिश्ता मुझ पर डर हावी हो गया है बेटा | यह विचार कि तुम अपने पिता के पास हो कि तुम मेरी छत्र-छाया से दूर चले गए हो कि आज या कल तुम किसी ...Read Moreका शिकार हो सकते हो | मैं रात-रात भर नहीं सो पाती हूँ और जब मेरी आँख लगती है तो मुझे सपने में तुम नजर आते हो, कभी बीमार कभी उदास | जब तुम मेरे पास थे तो मुझे यह सांत्वना थी कि कम से कम तुम तो मेरे पास हो, जिसे मैं सबसे ज्यादा प्यार करती हूँ किन्तु जबसे