Aughad kisse aur kavitayen-Sant Hariom tirth book and story is written by ramgopal bhavuk in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aughad kisse aur kavitayen-Sant Hariom tirth is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - Novels
by ramgopal bhavuk
in
Hindi Moral Stories
परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज !!
किसी ने उन्हें जासूस कहा तो किसी ने कुछ। अन्य, जो जिस रंग का व्यक्ति था उसने उसी रूप में उन्हें अनुभव किया।एक व्यक्तित्व जिस पर लोगों की दृष्टि अनायास ठहरी है, उन्हें इस नगर में लोग अक्सर संदेह की दृष्टि से देखते रहे हैं। इस छोटे से नगर में साधू जैसी किसी की ऐसी बेशभूषा देखने को नहीं मिलती थी। इससे लगता था यह महापुरुष दुनियाँ से हट कर जीने में विश्वास रखता हैं। बेशभूषा की तरह इनका सोच भी बैसा ही दुनियाँ से हटकर था।
स्वामी हरिओम तीर्थ जी अक्सर शिव स्तुति और माँ अम्बे की स्तुति को गुनगुनाते रहते- इसे भी आप गुनगुनाकर देखें-
औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ एक अजनबी जो अपना सा लगा ...Read More परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज !! किसी ने उन्हें जासूस कहा तो किसी ने कुछ। अन्य, जो जिस रंग का व्यक्ति था उसने उसी रूप में उन्हें अनुभव किया।एक व्यक्तित्व जिस पर लोगों की दृष्टि अनायास ठहरी है, उन्हें इस नगर में लोग अक्सर संदेह की दृष्टि से देखते रहे हैं। इस
औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 2 एक अजनबी जो अपना सा लगा ...Read More परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 मन मस्तिष्क में चलने वाले विचार की प्रतिध्वनि भी कहीं होती है। यह कहकर महाराज जी एक प्रसंग कहने लगे- सन्1951 ई0 चल रहा था। बात कलकत्ते की है। उन दिनों काम की तलाश में महाराज जी विरला के किसी अधिकारी के निवास पर गये थे। उस समय कमरे में कोई
औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 3 एक अजनबी जो अपना सा लगा ...Read More परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक
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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 5 एक अजनबी जो अपना सा लगा ...Read More परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज सम्पादक रामगोपाल भावुक सम्पर्क- कमलेश्वर कॉलोनी (डबरा) भवभूतिनगर जि0 ग्वालियर ;म0 प्र0 475110 मो0 9425715707, , 8770554097 अगले दिन जब में आश्रम पहुँचा, अन्य दिन की तुलना में गुरुदेव कुछ गम्भीर दिखे। मैं समझ गया- कहीं कुछ चिन्तन चल रहा है। मैं नमो नारायण कहकर उनके सामने बैठ गया। महाराज जी बोले-’ मुझे याद है इस नगर में मैं जिस मकान में रहता था, उसके पड़ोसी ने एक लूसी नामक कुतिया