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Judi rahu jadon se by Sunita Bishnolia | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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जुड़ी रहूँ जड़ों से by Sunita Bishnolia in Hindi
Novels

जुड़ी रहूँ जड़ों से - Novels

by Sunita Bishnolia Matrubharti Verified in Hindi Moral Stories

(18)
  • 4.2k

  • 10k

  • 1

जुड़ी रहूँ जड़ों से शहर की सबसे आलीशान कोठी में एक तरफ बैडमिंटन कोर्ट है जहाँ अभी भी कुछ लोग काम करे रहे है। इसी के दूसरे छोर पर दो आउट हाऊस भी बने हुए है। दोनों आउट हाऊस हरियाली ...Read Moreघिरे हैं जो कोठी की सुन्दरता बढ़ाते हैं। उन दोनों आउट हाऊस में कोठी में काम करने वाले माली काका और चौकीदार का परिवार रहता है। इसीलिए दोनो घरों से रोशनी के साथ ही हँसी की आवाज भी आ रही है। कोठी में दूसरी तरफ बहुत ही बड़ा लॉन है जिसके बीच में नरम दूब है, तो चारों ओर हरी-भरी बेल और रंग-बिरंगे फूलों वाले पेड़-पौधे हैं । लॉन के एक कोने में आर्टिफिशल घास से बना बहुत ही सुंदर और बड़ा छाता लगा है जिसके नीचे कुर्सियाँ और टी टेबल रखा है और दो तरफ बड़े सुंदर झूले रखे हुए हैं। हर तरफ बिखरी संपन्नता के बीच वहीं पार्क में लगे झूले पर बैठी है उदास और गुमसुम मालकिन तबस्सुम। वो ख्यालों में इस कदर डूबी है कि हाथ में लिए मोबाइल की घंटी तक को नहीं सुन पा रही। अचानक मोबाइल से आती रोशनी देखकर उन्हें मोबाइल की घंटी बजने का ध्यान आया और उन्होंने फोन उठाया। फोन उनकी फूफी का था जो इसी शहर में रहती है कहने को जरूर वो उनकी फूफी है पर बातें ऐसे करती हैं जैसे पक्की सहेलियाँ हों। एक बार दोनों बात करने लगती हैं तो फोन को घंटे भर पहले नहीं छोड़तीं।

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जुड़ी रहूँ जड़ों से - Novels

जुड़ी रहूँ जड़ों से - भाग 1
भाग - 1 जुड़ी रहूँ जड़ों से शहर की सबसे आलीशान कोठी में एक तरफ बैडमिंटन कोर्ट है जहाँ अभी भी कुछ लोग काम करे रहे है। इसी के दूसरे छोर पर दो आउट हाऊस भी बने हुए है। ...Read Moreआउट हाऊस हरियाली से घिरे हैं जो कोठी की सुन्दरता बढ़ाते हैं। उन दोनों आउट हाऊस में कोठी में काम करने वाले माली काका और चौकीदार का परिवार रहता है। इसीलिए दोनो घरों से रोशनी के साथ ही हँसी की आवाज भी आ रही है। कोठी में दूसरी तरफ बहुत ही बड़ा लॉन है जिसके बीच में नरम दूब है,
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जुड़ी रहूँ जड़ों से - भाग 2
भाग - 2 मालिकों के गाड़ी से उतरते ही ब्राउनी और टाइगर ने कूं-कूं करते हुए उन्हें घेर लिया और वो दोनों तब तक चुप नहीं हुए जब तक कि मालिकों ने उन्हें प्यार से सहलाया नहीं। " बालू ...Read Moreरमन कहाँ है, भई उसका पर्चा कैसा हुआ ।" खान साहब ने माली काका से पूछा।"आपका आशीर्वाद लेकर गया था पर्चा ठीक कैसे ना होता.. …" माली काका ने इतना कहा ही था तब तक रमन आ गया और बोला -"हाँ अंकल आपके आशीर्वाद से मेरे सारे पेपर अच्छे गए।" इस पर अमन हँसते बोला - " तो अब्बा मान
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जुड़ी रहूँ जड़ों से - भाग 3
अब्बू की बात सुनकर तबस्सुम का गुस्सा थोड़ा कम हुआ और उन्होंने गर्दन को झटकते हुए कहा- "पर ये दोनों भाई- बहन हमें कुछ समझें तब ना।" अब्बू के कहने के अंदाज से अमन समझ गया था कि अब्बू ...Read Moreहै कि अम्मी को गुस्सा ना दिलाया जाए वरना आज फिर अम्मी बिना खाना खाए सो जाएंगी, जो उनकी तबीयत के लिए बिल्कुल ठीक नहीं। अमन ने अम्मी का गुस्सा शांत करने की नीयत से अम्मी पकड़ कर कहा - ‘‘मेरी प्यारी.. अम्मीजान आज मैं भी आपके साथ हूँ हम उसे अच्छी तरह समझा देंगे कि रोज-रोज झगड़ा करके अम्मी
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जुड़ी रहूँ जड़ों से - भाग 4
माँ के गले से लगी शबनम को अब्बू अपने कमरे के बाहर खड़े देख रहे थे। लाडली बेटी इस तरह माँ से लिपटा देखकर उनकी आँखें छलछला आईं थी इसलिए वो फिर कमरे में जाकर आँसू पौंछ कर बाहर ...Read More। उन्हें ऐसा करते सिर्फ अमन ने देखा। अब्बा की आँखों में आँसू देखकर अमन भी थोड़ा भावुक हो गया। अब्बू का ध्यान शबनम की शादी की बात से हटाने की कोशिश करते हुए अमन बोला - " आइए अब्बू, बहुत अच्छी खुशबू आ रही है लगता है आज कुछ स्पेशल बना है।" कहते हुए डाइनिंग टेबल पर खाना लगाने
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जुड़ी रहूँ जड़ों से - भाग 5
अपने देश और अपनों की याद में आज भी छुप-छुपकर आँसू बहाने वाली तबस्सुम देश से आने वाली चिट्ठी को पढ़कर ऐसे रोमांचित हो जाती है जैसे सोलह साल की लड़की पहली बार प्रेम- पत्र पढ़कर रोमांचित होती है। ...Read Moreअपने देश पाकिस्तान से किसी के आने की बात सुनती है तो जैसे पंखों में नई स्फूर्ति और नई जान ही आ जाती है और वो गौरया सी फुदकने लगती है इधर-उधर, गाने लगती है अपने देश के मीठे गीत। पर जबसे इस शहर में आई है इतने बड़े बंगले की मालकिन होने पर भी खुद को अकेली सी महसूस
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जुड़ी रहूँ जड़ों से - भाग 6
अमन भी नहीं चाहता था कि कैरियर के लिए ऊँची उड़ान भरती बहन के पंखों को इतनी जल्दी शादी रूपी बंधन में बांधा जाए।बात देश में शादी की होती तो वो फिर भी सोचता पर यहां तो बहन को ...Read Moreशादी देश से बाहर करने की बात हो रही थी वो भी उस देश में जहाँ बहन की स्वतंत्रता में अवश्य बाधा आएगी। इसीलिए। अम्मी की बात सुनकर अमन भी कुछ कहने हुआ पर उससे पहले शबनम बोल पडी-‘‘ ओ हो अम्मी... शबनम अम्मी को कुछ कहना चाह रही थी पर अब्बू ने उसे आँखों से चुप रहने का इशारा
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जुड़ी रहूँ जड़ों से - भाग 7
दोनों बच्चे और उनके अब्बू तबस्सुम को ख़यालों की उड़ान से वापस धरातल पर नहीं लाना चाहते थे इसलिए वो चुपचाप उनकी बातें सुन रहे थे वो बिना रुके बोले जा रही थीं - "मैं और फूफी खूब बातें ...Read Moreउससे पाकिस्तान की अपने इस्लामाबाद की। भाई नए जमाने की लड़की है सब जानती होगी इस्लामाबाद के बारे में.... कितना बदल गया होगा इस्लामाबाद शफीक मियां की रबड़ी की दुकान के कारण सब हमारी गली को रबड़ी वाली गली कहते थे और गुट्टन चाचा की चाट और पानी पताशे। अहा! कितना मज़़ा आता था। पता नही अब गुट्टन चाचा है
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जुड़ी रहूँ जड़ों से - भाग 8
अपने बचपन और अपने मुल्क के ख्यालों में खिलखिलाती तबस्सुम खानसाहब की बात सुनकर जैसे सुन्न हो गई। खान साहब की उलझी उलझी बातों में वो ऐसे उलझ गई जैसे जैसे कोई उड़ता हुआ हुआ पंछी उलझ गया हो ...Read Moreके धागों में। खान साहब की तीखी बातों से उसके घायल होने लगे थे उसके पंख पर तबस्सुम का ये हाल देखकर परिस्थिति को संभालते हुए खान साहब फिर बोले- " बेगम सच कहूँ तो जब भी आपको अपने वतन की याद में सिसकते देखता हूँ तो बहुत कोसता हूँ अपने आप को....!क्योंकि मैं दुनिया का हर सुख आपकी झोली
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जुड़ी रहूँ जड़ों से - भाग 9 - अंतिम भाग
अम्मी को समझाते और अपनी फिक्र करते अब्बू के भावुक हो जाने पर अम्मी को समझाते हुए शबनम बोली- "अम्मी आप तो आप बिलाल के मिजाज के बारे में भी जानती हैं और और हमारे मिजाज को भी अच्छी ...Read Moreपहचानती हैं। आपको तो पता है हम आपके जैसे बिल्कुल नहीं हैं । चाहकर भी हम किसी की गलत बात को इग्नोर नहीं कर सकते इसी कारण वहाँ पाकिस्तान में अगर किसी ने भूल से भी हमारे सामने हमारे मुल्क के बारे में कुछ कह दिया तो....! नही रह सकेंगे चुप अपने मुल्क़ के खिलाफ़ एक भी लफ़्ज सुनकर।" कहती
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