Judi rahu jadon se book and story is written by Sunita Bishnolia in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Judi rahu jadon se is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
जुड़ी रहूँ जड़ों से - Novels
by Sunita Bishnolia
in
Hindi Moral Stories
जुड़ी रहूँ जड़ों से
शहर की सबसे आलीशान कोठी में एक तरफ बैडमिंटन कोर्ट है जहाँ अभी भी कुछ लोग काम करे रहे है। इसी के दूसरे छोर पर दो आउट हाऊस भी बने हुए है। दोनों आउट हाऊस हरियाली से घिरे हैं जो कोठी की सुन्दरता बढ़ाते हैं। उन दोनों आउट हाऊस में कोठी में काम करने वाले माली काका और चौकीदार का परिवार रहता है। इसीलिए दोनो घरों से रोशनी के साथ ही हँसी की आवाज भी आ रही है।
कोठी में दूसरी तरफ बहुत ही बड़ा लॉन है जिसके बीच में नरम दूब है, तो चारों ओर हरी-भरी बेल और रंग-बिरंगे फूलों वाले पेड़-पौधे हैं । लॉन के एक कोने में आर्टिफिशल घास से बना बहुत ही सुंदर और बड़ा छाता लगा है जिसके नीचे कुर्सियाँ और टी टेबल रखा है और दो तरफ बड़े सुंदर झूले रखे हुए हैं।
हर तरफ बिखरी संपन्नता के बीच वहीं पार्क में लगे झूले पर बैठी है उदास और गुमसुम मालकिन तबस्सुम। वो ख्यालों में इस कदर डूबी है कि हाथ में लिए मोबाइल की घंटी तक को नहीं सुन पा रही।
अचानक मोबाइल से आती रोशनी देखकर उन्हें मोबाइल की घंटी बजने का ध्यान आया और उन्होंने फोन उठाया। फोन उनकी फूफी का था जो इसी शहर में रहती है कहने को जरूर वो उनकी फूफी है पर बातें ऐसे करती हैं जैसे पक्की सहेलियाँ हों। एक बार दोनों बात करने लगती हैं तो फोन को घंटे भर पहले नहीं छोड़तीं।
भाग - 1 जुड़ी रहूँ जड़ों से शहर की सबसे आलीशान कोठी में एक तरफ बैडमिंटन कोर्ट है जहाँ अभी भी कुछ लोग काम करे रहे है। इसी के दूसरे छोर पर दो आउट हाऊस भी बने हुए है। ...Read Moreआउट हाऊस हरियाली से घिरे हैं जो कोठी की सुन्दरता बढ़ाते हैं। उन दोनों आउट हाऊस में कोठी में काम करने वाले माली काका और चौकीदार का परिवार रहता है। इसीलिए दोनो घरों से रोशनी के साथ ही हँसी की आवाज भी आ रही है। कोठी में दूसरी तरफ बहुत ही बड़ा लॉन है जिसके बीच में नरम दूब है,
भाग - 2 मालिकों के गाड़ी से उतरते ही ब्राउनी और टाइगर ने कूं-कूं करते हुए उन्हें घेर लिया और वो दोनों तब तक चुप नहीं हुए जब तक कि मालिकों ने उन्हें प्यार से सहलाया नहीं। " बालू ...Read Moreरमन कहाँ है, भई उसका पर्चा कैसा हुआ ।" खान साहब ने माली काका से पूछा।"आपका आशीर्वाद लेकर गया था पर्चा ठीक कैसे ना होता.. …" माली काका ने इतना कहा ही था तब तक रमन आ गया और बोला -"हाँ अंकल आपके आशीर्वाद से मेरे सारे पेपर अच्छे गए।" इस पर अमन हँसते बोला - " तो अब्बा मान
अब्बू की बात सुनकर तबस्सुम का गुस्सा थोड़ा कम हुआ और उन्होंने गर्दन को झटकते हुए कहा- "पर ये दोनों भाई- बहन हमें कुछ समझें तब ना।" अब्बू के कहने के अंदाज से अमन समझ गया था कि अब्बू ...Read Moreहै कि अम्मी को गुस्सा ना दिलाया जाए वरना आज फिर अम्मी बिना खाना खाए सो जाएंगी, जो उनकी तबीयत के लिए बिल्कुल ठीक नहीं। अमन ने अम्मी का गुस्सा शांत करने की नीयत से अम्मी पकड़ कर कहा - ‘‘मेरी प्यारी.. अम्मीजान आज मैं भी आपके साथ हूँ हम उसे अच्छी तरह समझा देंगे कि रोज-रोज झगड़ा करके अम्मी
माँ के गले से लगी शबनम को अब्बू अपने कमरे के बाहर खड़े देख रहे थे। लाडली बेटी इस तरह माँ से लिपटा देखकर उनकी आँखें छलछला आईं थी इसलिए वो फिर कमरे में जाकर आँसू पौंछ कर बाहर ...Read More। उन्हें ऐसा करते सिर्फ अमन ने देखा। अब्बा की आँखों में आँसू देखकर अमन भी थोड़ा भावुक हो गया। अब्बू का ध्यान शबनम की शादी की बात से हटाने की कोशिश करते हुए अमन बोला - " आइए अब्बू, बहुत अच्छी खुशबू आ रही है लगता है आज कुछ स्पेशल बना है।" कहते हुए डाइनिंग टेबल पर खाना लगाने
अपने देश और अपनों की याद में आज भी छुप-छुपकर आँसू बहाने वाली तबस्सुम देश से आने वाली चिट्ठी को पढ़कर ऐसे रोमांचित हो जाती है जैसे सोलह साल की लड़की पहली बार प्रेम- पत्र पढ़कर रोमांचित होती है। ...Read Moreअपने देश पाकिस्तान से किसी के आने की बात सुनती है तो जैसे पंखों में नई स्फूर्ति और नई जान ही आ जाती है और वो गौरया सी फुदकने लगती है इधर-उधर, गाने लगती है अपने देश के मीठे गीत। पर जबसे इस शहर में आई है इतने बड़े बंगले की मालकिन होने पर भी खुद को अकेली सी महसूस