Gurupatni Ruchi aur Rushi Vipul book and story is written by Kishanlal Sharma in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Gurupatni Ruchi aur Rushi Vipul is also popular in Mythological Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
गुरुपत्नी रुचि और ऋषि विपुल - Novels
by Kishanlal Sharma
in
Hindi Mythological Stories
"यज्ञ--लेकिन रुचि
ऋषि देवशर्मा अपने ही विचारों में उलझे थे।ऋषि की यज्ञ करने की इच्छा पिछले कुछ दिनों से काफी बलवती हो रही थी।लेकिन रुचि को लेकर वह चिंतित थे।जब वह यज्ञ करने के लिए चले जायेंगे तब रुचि अकेली कैसे रहेगी?अकेली औरत को कौन सुरक्षित रहने देगा।वह अपने पीछे रुचि की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित थे।काफी सोच विचार कर रहे थे।वह अपने मे मगन होकर इसी बारे में सोच रहे थे।
रुचि ऋषि देवशर्मा की धर्मपत्नी थी।रुचि जैसी स्त्री इस पृथ्वी या भूमण्डल पर दूसरी नही थी।गौरवर्ण कंचन,कोमल,मखमली काया,हिरनी सी आंखे,गुलाब की पंखुड़ी सदृश्य कोमल गुलाबी पंखड़ी जैसे नरम नाजुक होठ,पीठ के पीछे झूलते काले लंबे घने केश,पतला छरहरा इकहरा बदन।कुल मिलाकर रुचि अदुतीय सुंदरी थी।ऐसा लगता मानो स्वर्ग से उतरी कोई अप्सरा हो।उसकी आवाज में जादू था।खनक थी।मिठास थी।उसकी मुस्कराहट बरबस हर किसी का ध्यान अपनी और खींच लेती थी।
"यज्ञ--लेकिन रुचिऋषि देवशर्मा अपने ही विचारों में उलझे थे।ऋषि की यज्ञ करने की इच्छा पिछले कुछ दिनों से काफी बलवती हो रही थी।लेकिन रुचि को लेकर वह चिंतित थे।जब वह यज्ञ करने के लिए चले जायेंगे तब रुचि अकेली ...Read Moreरहेगी?अकेली औरत को कौन सुरक्षित रहने देगा।वह अपने पीछे रुचि की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित थे।काफी सोच विचार कर रहे थे।वह अपने मे मगन होकर इसी बारे में सोच रहे थे।रुचि ऋषि देवशर्मा की धर्मपत्नी थी।रुचि जैसी स्त्री इस पृथ्वी या भूमण्डल पर दूसरी नही थी।गौरवर्ण कंचन,कोमल,मखमली काया,हिरनी सी आंखे,गुलाब की पंखुड़ी सदृश्य कोमल गुलाबी पंखड़ी जैसे नरम नाजुक
दानव,देवता,,असुर,गन्धर्व और सभी उस पर कामुक नजर रखते है।इन सब से निपट लोगे तुम?""हां गुरुवर"इन्द्र से निपटना इतना आसान नही है।जितना तुम समझ रहे हो,"देवशर्मा ने प्यार से अपने शिष्य के सिर पर हाथ रझा था1,"जैसा तुम जानते हो।रुचि ...Read Moreकी मूर्ति है।उसकी जैसी सुंदर और आकर्षक युवती इस भूमण्डल पर दूसरी नही है।दानव, देवता और गन्धर्व उस पर कामुक नजर रखते है।इन सब से तो तुम निपट लोगे लेकिन इन्द्र से निपटना इतना आसान नहीहै।ल काम पिपासु लम्पट इन्द्र हर समय मोके की तलाश में रहता है।इसलिए हर हाल में चाहे बल प्रयोग ही क्यो न करना पड़े तुम्हे
उनका शरीर जाग्रत अवस्था में था और उनके नेत्र रुचि की तरफ स्थिर थे।रुचि ने अपनी कुटिया में घुस आए आकर्षक सुंदर युवक को आश्चर्य से देखा।वह उस युवक को देखती ही रह गयी।योग विद्या से रुचि के शरीर ...Read Moreप्रवेश कर चुके विपुल। गुरुपत्नी के मनोभाव देखकर ताड गए कि रुचि इन्द्र पर मोहित हो चुकी है।वह इन्द्र को देखकर उठना चाहती हैं।इसलिए विपुल ऋषि ने योग के बल पर रुचि के शरीर को अपने वश में कर लिया।इसका परिणाम यह हुआ कि रुचि चाहकर भी उठ नही सकी।हिलडुल नहीं सकी।योग विद्या में वशीकरण सिद्धि भी है।योगी अपने सामने