Married or Unmarried book and story is written by Vaidehi Vaishnav in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Married or Unmarried is also popular in Love Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मैरीड या अनमैरिड - Novels
by Vaidehi Vaishnav
in
Hindi Love Stories
दफ्तर की खिड़की से झाँकता हुआ सूरज ठीक मेरे सामने कुछ इस तरह आ गया मानों कह रहा हो अलविदा ! कल फिर आऊँगा । मैं टकटकी लगाए हुए डूबते सूरज को देखती रहीं । अस्त होता सूरज दिल में सूनापन भर देता हैं । धीरे - धीरे से सरकता हुआ सूरज पश्चिम दिशा में ऐसे दुबक गया मानो अपने घर चला गया हों । घर को जाते पँछी जब झुण्ड बनाकर आसमान में दिखते तो लगता मुझसें कह रहें हो तुम किसके साथ घर जाओगी ? घर सबकों जाना होता है फिर चाहें वो पँछी हो या सूरज ! मुझें सूरज का आना औऱ जाना दोनों पसन्द हैं क्योंकि सूरज अकेले ही आता हैं औऱ अकेले ही चला जाता हैं बिल्कुल मेरी तरह !
मुझें क़भी अपने सहकर्मियों को साथ आते जाते देखकर कोफ़्त नहीं हुई फिर आजकल क्यूँ मैं किसी लव बर्ड को देखकर चिढ़ने लगीं हुँ । जो जिंदगी मैं जी रहीं हुँ यहीं तो मेरा सपना था। फिर क्यों मन में वो संतोष नहीं हैं ?इस सफ़ल जिंदगी को जीने के लिए मैंने कितने पापड़ बेले थें ? कितनी ही इच्छाओं का गला घोंट दिया था ?
मुझें तो प्यार औऱ शादी जैसे लफ़्ज़ से भी चिढ़ हुआ करतीं थीं । फिर अब क्यों मुझें किसी साथी की कमी महसूस होतीं हैं । मेरे दिल औऱ दिमाग के बीच द्वंद चलने लगा दिमाग कहता जो जिंदगी जी रहीं हो यह हर किसी को नसीब नहीं होतीं । आज यहाँ नहीं होती तो कहीं चूल्हा फूंक रहीं होतीं । इस पर दिल कहता इन सफलताओं औऱ महत्वकांक्षाओं की मंजिल क्या यह अकेलापन हीं थीं ? मन में आए विचारों के उफ़ान पर अंकुश मेरे बॉस की आवाज़ ने लगाया।
दफ्तर की खिड़की से झाँकता हुआ सूरज ठीक मेरे सामने कुछ इस तरह आ गया मानों कह रहा हो अलविदा ! कल फिर आऊँगा । मैं टकटकी लगाए हुए डूबते सूरज को देखती रहीं । अस्त होता सूरज दिल ...Read Moreसूनापन भर देता हैं । धीरे - धीरे से सरकता हुआ सूरज पश्चिम दिशा में ऐसे दुबक गया मानो अपने घर चला गया हों । घर को जाते पँछी जब झुण्ड बनाकर आसमान में दिखते तो लगता मुझसें कह रहें हो तुम किसके साथ घर जाओगी ? घर सबकों जाना होता है फिर चाहें वो पँछी हो या सूरज !
नई सुबह अपने साथ कितना कुछ लेकर आती हैं। नया दिन , नया उत्साह , नई उमंग , नई ताज़गी औऱ ख़ूब सारी सकारात्मक ऊर्जा ! मेरी बॉलकनी से पेड़ों की झुरमुट से झाँकता हुआ सुर्ख लाल सूरज ऐसा ...Read Moreरहा था मानो मुझसे कह रहा हो - गुड़ मॉर्निंग मालिनी ! मैं फिर आ गया अपना जादू का पिटारा लेकर । वाक़ई सूरज किसी जादूगर से कम नहीं होता हैं । एक तिलिस्म हैं सूरज के उगने औऱ ढलने में । सुबह का सूरज ऐसा होता हैं मानो कोई युवा अपने तेज़ से पूरे विश्व को जला देगा ।
अगली सुबह ही मैंने अपने बॉस को मेल किया औऱ एक सप्ताह की छुट्टी सेंशन करवा ली। मुझें सबसे ज़्यादा फिक्र बॉलकनी में रखे अपने पौधों की थीं जो मुझें अपनी जान से ज़्यादा प्यारे हैं । मैंने सभी ...Read Moreमें ड्रिप इरिगेशन मैथड अप्लाई कर दी ताकि सप्ताहभर गमलों की मिट्टी में नमी बनीं रहें । इसके बाद मैंने अपनी पैकिंग शुरू कर दी । कार्ड्स , मोबाईल चार्जर , मेडिसिन किट औऱ मेरी पसन्द के आउटफिट्स सारे ज़रूरी सामान रखने के बाद मैं नहाने चली गईं । सारा दिन मैंने ख़ुद के कामो में ही बिताया। रोजमर्रा के
जिस तरह टेक ऑफ़ के समय ज़मीन से उठता हुआ प्लेन मेरे मन को रोमांचित कर रहा था ठीक उसी तरह टच डाउन के समय जब प्लेन के पहियों ने मेरे अपने शहर भोपाल की ज़मीन को छुआ तो ...Read Moreसरसरी सी तरंग किसी स्वर लहरी की माफ़िक मेरे शरीर में दौड़ने लगीं । औऱ जिसके यू दौड़ने से मेरे दिल के तार बज उठें थे। टच डाउन के समय लगा जैसे लौट आई हूँ अपने पुराने संसार में । अब यादों के गढ़े ख़ज़ाने को खोदूँगी औऱ अपने पुराने दिनों को फिर से जीभरकर जियूंगी । मैं अब राजाभोज
सुदर्शन अपने बारे में बता रहा था औऱ मैं अपने रूम की खिड़की से पश्चिम दिशा की औऱ सरकते सूरज को देख रहीं थीं। सुदर्शन के साथ हुई बातचीत से मुझें समझ आ गया था कि यह मेरे सपनों ...Read Moreराजकुमार नहीं हैं । सुदर्शन ने मेरे हाथ में सोने के कंगन को देखकर मुहँ को सिकोड़ते हुए कहा - " यू लाइक गोल्ड " ? मैंने कहा - " हाँ " पर ये कंगन मम्मी के हैं। हाऊ ओल्ड फ़ैशन ? इस बार तो सुदर्शन ने ऐसा मुहँ बनाया जैसे सोने के कंगन नहीं कोई बहुत ही बुरी सी