युद्ध कला (The Art of War) - Novels
by Praveen Kumrawat
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“आर्ट ऑफ वार” सुन त्ज़ू द्वारा 500-550 ईसा पूर्व लिखी गई एक प्रभावशाली पुस्तक है। जिसे उस समय के हालात में सिर्फ और सिर्फ युद्ध को मद्देनज़र रखते हुए लिखा गया था। इसमें कोई दोमत नहीं कि यह पुस्तक ...Read Moreमामूली नहीं है। जब आप इसे पढ़ेंगे तो आपके सामने चल रहे रसिया-यूक्रेन के युद्ध की छवि आँखों के सामने आती जाएगी, और आप उससे इस किताब में दिए गए नियम को मिलाते जाएंगे तो पाएंगे कि यूक्रेन कौन सी गलती कर रहा है और रसिया कौन सी गलती कर रहा है। युद्ध् की अगुवाई करने वाला एक जनरल, अगर इस किताब में दिए गए उन सभी नियमों को ईमानदारी के साथ अपने सैनिकों को लेकर अपने विरोधी के प्रति निभाता है, सुन त्ज़ू के अनुसार निश्चित ही उसकी जीत होंगी।
“आर्ट ऑफ वार” सुन त्ज़ू द्वारा 500-550 ईसा पूर्व लिखी गई एक प्रभावशाली पुस्तक है। जिसे उस समय के हालात में सिर्फ और सिर्फ युद्ध को मद्देनज़र रखते हुए लिखा गया था। इसमें कोई दोमत नहीं कि यह पुस्तक ...Read Moreमामूली नहीं है। जब आप इसे पढ़ेंगे तो आपके सामने चल रहे रसिया-यूक्रेन के युद्ध की छवि आँखों के सामने आती जाएगी, और आप उससे इस किताब में दिए गए नियम को मिलाते जाएंगे तो पाएंगे कि यूक्रेन कौन सी गलती कर रहा है और रसिया कौन सी गलती कर रहा है। युद्ध् की अगुवाई करने वाला एक जनरल, अगर
वीर जीवन में एक बार और कायर हर रोज मरता है।द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी ने हॉलैण्ड के ऊपर हमला बोल दिया। हॉलैण्ड एक छोटा मुल्क है, ऊपर से वहां की जमीनसमुद्र से नीची है। समुद्र ऊंचा है और जमीन ...Read Moreहै जिसके चलते हॉलैण्ड को दीवारें बनवाकर समुद्र से रक्षा करनी पड़ती है, जिसमें हॉलैण्ड की आधी ताकत समुद्र से बचाव करने में खर्च हो जाती है। दूसरे हॉलैण्ड के पास बड़ी फौजें भी नहीं हैं, हवाई जहाज नहीं है, युद्ध साम्रगी आदि भी नहीं है। अतः जर्मनी ने तय किया कि हॉलैण्ड को तो मिनटों में पराजित किया जा
1. योजनाएँ तैयार करनासून त्जु के अनुसार युद्ध कौशल किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह जीवन और मृत्यु का प्रश्न है क्योंकि या तो यह सुरक्षा प्रदान करता है या फिर विनाश की ओर ...Read Moreजाता है इसलिए किसी भी कीमत पर इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।युद्ध कला पांच स्थाई तत्त्वों पर आधारित होती है तथा युद्ध कला की अवस्थाओं को निर्धारित करने के लिए इन पांच तत्त्वों को ध्यान में रखा जाना अति आवश्यक है। ये तत्त्व हैं— नैतिक नियम, प्रकृति, पृथ्वी, सेनापति तथा प्रणाली एवं अनुशासन।नैतिक नियम: ये नियम शासक तथा जनता
2. युद्ध की तैयारीयुद्ध से पहले हमें उसकी लागत का पता लगा लेना चाहिए। सून त्जु के अनुसार युद्ध संचालन में जहां द्रुत गति से दौड़ने वाले एक हजार रथ हों, सुरक्षा कवच पहने हुए एक लाख सैनिक हों, ...Read Moreपास एक हजार कोस चलने तक की रसद हो, साथ ही छावनी तथा सरहद पर खर्च करने के लिए पर्याप्त धन हो, जिसके द्वारा आने-जाने वाले अतिथियों की आव भगत भी हो सके, छोटी-छोटी आवश्यक वस्तुएं जैसे गोंद, रंग-रोगन तथा रथों एवं सुरक्षा कवचों पर किया जाने वाला खर्च सब मिलाकर प्रतिदिन एक हजार चांदी के सिक्कों के बराबर आएगा।
3. छल पूर्वक आक्रमणयुद्ध करना और उसे जीतना कोई बड़ा काम नहीं है, बड़ा काम है बिना लड़े शत्रु के सारे अवरोध समाप्त कर देना। दुश्मन का सारा इलाका बिना तोड़-फोड़ सही सलामत अपने कब्जे में ले लेना व्यावहारिक ...Read Moreकला का सर्वोत्तम उदाहरण है। इसी क्रम में दुश्मन की पूरी सेना, पलटन, कम्पनी, बटालियन आदि को बर्बाद किए बिना पकड़ना उसे नष्ट करने से अधिक बेहतर है। इसके लिए जरूरी है दुश्मन की योजनाओं को समझना— कार्यान्वित होने से पहले ही उन्हें निष्फल कर देना, दुश्मन की सेना को एकत्र होने से बचाना। दुश्मन को उसके मित्रों से अलग-थलग
4. सुनियोजित व्यवस्थापन कुशल योद्धा सर्वप्रथम स्वयं को अपराजित (अजेय) बनाता है और फिर उस मौके का इंतज़ार करता है जब दुश्मन को पराजित किया जा सके।खुद को पराजय से बचाए रखना स्वयं हमारे हाथों में होता है परंतु ...Read Moreको पराजित करने का अवसर स्वयं दुश्मन द्वारा दिया जाता है।एक अच्छा योद्धा स्वयं को पराजय से बचाने में माहिर होता है, इसके लिए वह अपने सैनिकों को छिपाकर रखता है, उनके रास्तों को गुप्त रखता है तथा बचाव के उपाय एवं सावधानियों का निरंतर पालन करता है। (चेंग यू)परंतु फिर भी यह निश्चित नहीं होता कि वह शत्रु को
5. ऊर्जा (शक्ति)सुन त्ज़ू के अनुसार— एक बड़ी सेना पर नियंत्रण करने तथा कुछ लोगों का नियंत्रण करने में सैद्धांतिक रूप से समानता है, अंतर केवल व्यक्तियों की संख्या का है।अपने नेतृत्व में एक बड़ी सेना को लेकर युद्ध ...Read Moreतथा एक छोटी सेना के साथ युद्ध करने में कोई अंतर नहीं है। यह चिन्हों तथा संकेतों को स्थापित करने की विधि मात्र है। इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कि आपकी सेना दुश्मन के आक्रमण को बर्दाश्त कर सके और उसका आत्मविश्वास बना रहे, आपको सीधी सरल तथा टेढ़ी और अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार की चालें चलनी होंगी।हमारा प्रयास
6. कमजोर एवं मजबूत अवसरसून त्जु के अनुसार— जो रणभूमि में पहले पहुंचता है उसमें युद्ध के लिए भरपूर उत्साह कूट-कूट कर भरा होता है, विपरीत इसके जो देर से आता है वह जल्दबाजी एवं भागादौड़ी में ही थक ...Read Moreहै। इसलिए एक चतुर योद्धा वह होता है जो शत्रु पर अपने फैसले थोपता है तथा स्वयं के साथ दुश्मन को ऐसा करने का कभी मौका नहीं देता। वह दुश्मन को प्रलोभन देकर उसे खुद के नजदीक आने के लिए मजबूर कर देता है तथा नजदीक आने पर हमला करके उसे अपने निकट आने से रोक देता है।पहले जाल बिछाकर
7. चतुराई के द्वारा प्रबंधनसून त्जु के अनुसार— युद्ध में सेनापति अपने राजा के आदेशों का पालन करता है। अतः उन दोनों के बीच विचारों की सहमति होना बहुत ही जरूरी है। सेनापति को चाहिए कि पड़ाव डालने से ...Read Moreअपनी सेना के सभी भागों को एक जगह एकत्र करके उनमें सामंजस्य एवं मित्रता स्थापित करे। जब तक राज्य में एकसूत्रता नहीं होगी तब तक कोई युद्ध अभियान सफलतापूर्वक प्रारंभ नहीं किया जा सकता, तथा सेना में सामंजस्य के अभाव में युद्ध की तैयारी करना व्यर्थ होगा। इसके बाद आता है चतुराई से काम लेना, जो सबसे अधिक कठिन कार्य
8. अन्य रणनीतियाँसुन त्ज़ू के अनुसार मुश्किल जगह पर कभी पड़ाव (डेरा) न डालें। जहां की प्रमुख सड़कें (राज मार्ग ) एक दूसरे को काटती हों उनसे मित्रता कर लें। खतरनाक एवं सुनसान जगहों पर अधिक देर तक न ...Read Moreशत्रु द्वारा घेर लिए जाने पर युक्ति (तरकीब) से काम लें तथा मुसीबत में घिरने पर युद्ध करें। कुछ ऐसे रास्ते हैं जिन पर भूल कर भी न चलें... ली चुआन के शब्दों में वे सड़कें जो पर्वतों के बीच में संकरे रास्तों की ओर ले जाती हों, जहां दुश्मन के छिपे होने तथा घात लगा कर हमला करने की
9. कूच की तैयारीअब हम सेना के पड़ाव डालने तथा शत्रु पर निगरानी रखने के विषय पर बातें करेंगे। डेरा डालना पड़े तो पहाड़ों को तेजी से पार करें तथा घाटी के नजदीक वाले स्थानों को चुनें। यह बात ...Read Moreके समय की है। ‘वू-टू चिआंग’ डाकुओं के दल का सरदार था, तथा ‘मा-युआन’ को उसके दल का खात्मा करने के लिए भेजा गया था। वू-टू पहाड़ियों में जा छिपा, अतः युआन ने उसका पीछा करने का प्रयास नहीं किया। परंतु उसने उन सभी स्थानों पर कब्जा जमा लिया जहां से खाद्य सामग्री की आपूर्ति की जा सकती थी। रसद
10. भूभागसुन त्सू के अनुसार— समझने के लिए भूखण्डों को हम छह भागों में विभाजित कर सकते हैं। 1. सरल प्रदेश— ऐसे इलाके जहां सरलतापूर्वक पहुंचा जा सके।2. घुमावदार मार्ग वाले कठिन प्रदेश।3. अवसरवादी प्रदेश।4. संकरे प्रदेश।5. ऊंचे प्रदेश।6. ...Read Moreप्रदेश।सरल प्रदेश— ऐसे इलाके जहां एक छोर से दूसरे छोर तक आसानी से जाया जा सके। ऐसी जगह पर शत्रु से पहले पहुंच जाएं तथा ऊंची एवं सूर्य के प्रकाश से भरपूर जगह पर डेरा डालें। फिर रसद एवं अन्य सामग्री की आपूर्ति वाले मार्ग की रक्षा करें, तभी आप स्थिति का लाभ उठाते हुए युद्ध कर पाएंगे।जिस प्रकार एक
11. नौ दशाएंसुन त्सू के अनुसार— युद्ध कला नौ प्रकार के क्षेत्रों को मान्यता प्रदान करती है।1. विस्तृत अथवा बिखरे हुए क्षेत्र2. सरल अथवा सुगम क्षेत्र3. विवादित क्षेत्र4. स्वतंत्र क्षेत्र5. राजमार्गों को मिलाने वाले क्षेत्र6. गंभीर क्षेत्र7. कठिन अथवा ...Read Moreक्षेत्र8. घिरे हुए इलाके9. मजबूरी वाले क्षेत्र1. जब एक सेनापति दुश्मन से अपने ही इलाके में युद्ध कर रहा हो तो इसे बिखरा हुआ क्षेत्र कहा जाता है क्योंकि अपने घरों के नजदीक होने के कारण अवसर मिलते ही सैनिक अपने पत्नी तथा बच्चों से मिलने के लिए दौड़ पड़ते हैं। परिणामस्वरूप जब वे आक्रमण के लिए आगे बढ़ते हैं
12. आग से हमलासुन त्सू के अनुसार आग से हमला करने के पाँच तरीके हैंं।— शत्रु के सैनिकों को उनके शिविरों में जिंदा जला देना, उनका सामान अथवा भण्डार गृह जला देना, सामान ढोने वाले साधनों को जला देना, ...Read Moreअस्त्र-शस्त्र एवं गोला-बारूद नष्ट कर देना तथा दुश्मन पर आग के गोले बरसाना।पेंचाओ (जिसे शन-शन के राजा के पास कूटनीतिक उद्देश्य से भेजा गया था) ने स्वयं को उस वक्त मुसीबतों से घिरे हुए पाया जब सियुंगनू अपने लोगों के साथ अप्रत्याशित रूप से वहां जा पहुंचा। सियुंगनू चीनियों का जानी दुश्मन था। पेंचाओ ने अपने अधिकारियों को समझाया, "शेर
13. गुप्तचरों का प्रयोगसुन त्सू के अनुसार एक लाख लोगों की सेना बनाकर उसेदूर-दराज के इलाकों में तैनात करने पर भारी आर्थिक क्षति होती है। इतनी बड़ी सेना का प्रतिदिन का खर्चा एक हजार चांदी के सिक्कों के बराबर ...Read Moreहै। इससे देश के भीतर और बाहर अफरा-तफरी उत्पन्न हो जाती है, सैनिक थक जाते हैं, तथा कम से कम सात लाख परिवारों के विकास की गति प्रभावित होती है। रण क्षेत्र में तैनात सेनाएं उस जीत को पाने के लिए एक दूसरे के सामने वर्षों तक डटी रह सकती हैं जिसे किसी को कुछ सौ चांदी के सिक्के प्रदान