Manto ki Shreshtha Kahaniyan - 2 book and story is written by Saadat Hasan Manto in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Manto ki Shreshtha Kahaniyan - 2 is also popular in Short Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मंटो की श्रेष्ठ कहानियाँ - 2 - Novels
by Saadat Hasan Manto
in
Hindi Short Stories
दो तीन रोज़ से तय्यारे स्याह उक़ाबों की तरह पर फुलाए ख़ामोश फ़िज़ा में मंडला रहे थे। जैसे वो किसी शिकार की जुस्तुजू में हों सुर्ख़ आंधियां वक़तन फ़वक़तन किसी आने वाली ख़ूनी हादिसे का पैग़ाम ला रही थीं। सुनसान बाज़ारों में मुसल्लह पुलिस की गशत एक अजीब हैयत नाक समां पेश कर रही थी। वो बाज़ार जो सुबह से कुछ अर्सा पहले लोगों के हुजूम से पुर हुआ करते थे। अब किसी नामालूम ख़ौफ़ की वजह से सूने पड़े थे शहर की फ़िज़ा पर एक पुर-इसरार ख़ामोशी मुसल्लत थी। भयानक ख़ौफ़ राज कर रहा था।
दो तीन रोज़ से तय्यारे स्याह उक़ाबों की तरह पर फुलाए ख़ामोश फ़िज़ा में मंडला रहे थे। जैसे वो किसी शिकार की जुस्तुजू में हों सुर्ख़ आंधियां वक़तन फ़वक़तन किसी आने वाली ख़ूनी हादिसे का पैग़ाम ला रही थीं। ...Read Moreबाज़ारों में मुसल्लह पुलिस की गशत एक अजीब हैयत नाक समां पेश कर रही थी। वो बाज़ार जो सुबह से कुछ अर्सा पहले लोगों के हुजूम से पुर हुआ करते थे। अब किसी नामालूम ख़ौफ़ की वजह से सूने पड़े थे शहर की फ़िज़ा पर एक पुर-इसरार ख़ामोशी मुसल्लत थी। भयानक ख़ौफ़ राज कर रहा था।
जोगिंदर सिंह के अफ़साने जब मक़बूल होना शुरू हुए तो उसके दिल में ख़्वाहिश पैदा हुई कि वो मशहूर अदीबों और शाइरों को अपने घर बुलाए और उन की दावत करे। उस का ख़याल था कि यूं उस की ...Read Moreऔर मक़बूलियत और भी ज़्यादा हो जाएगी।
“बच्चे कहाँ हैं?”
“मर गए हैं”
“सब के सब?”
“हाँ, सब के सब आप को आज उन के मुतअल्लिक़ पूछने का क्या ख़याल आगया।”
“मैं उन का बाप हूँ”
“आप ऐसा बाप ख़ुदा करे कभी पैदा ही न हो” ...Read Moreआज इतनी ख़फ़ा क्यों हो मेरी समझ में नहीं आता, घड़ी में रत्ती घड़ी में माशा हो जाती हो दफ़्तर से थक कर आया हूँ और तुम ने ये चख़ चख़ शुरू करदी है बेहतर था कि मैं वहां दफ़्तर ही मैं पंखे के नीचे आराम करता।”
सय्यद ग़ुलाम मुर्तज़ा जीलानी मेरे दोस्त हैं। मेरे हाँ अक्सर आते हैं घंटों बैठे रहते हैं। काफ़ी पढ़े लिखे हैं
उन से मैंने एक रोज़ कहा!
“शाह साहब! आप अपनी ज़िंदगी का कोई दिलचस्प वाक़िया तो सनाईए!” शाह साहब ...Read Moreबड़े ज़ोर का क़हक़हा लगाया “मंटो साहब मेरी ज़िंदगी दिलचस्प वाक़ियात से भरी पड़ी है कौन सा वाक़िया आप को सुनाऊं ”
चालीस पचास लठ्ठ बंद आदमीयों का एक गिरोह लूट मार के लिए एक मकान की तरफ़ बढ़ रहा था।
दफ़्अतन उस भीड़ को चीर कर एक दुबला पतला अधेड़ उम्र का आदमी बाहर निकला। पलट कर उस ने बुलवाइयों ...Read Moreलीडराना अंदाज़ में मुख़ातब किया। “भाईओ, इस मकान में बे-अंदाज़ा दौलत है। बे-शुमार क़ीम्ती सामान है। आओ हम सब मिल कर इस पर क़ाबिज़ हो जाएं और माल-ए-ग़नीमत आपस में बांट लें”।