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जब वह मिला - Novels
by Pradeep Shrivastava
in
Hindi Fiction Stories
उस दिन जेठ महिने का तीसरा बड़ा मंगल था। इस दिन लखनऊ के सभी हनुमान मंदिरों पर विशेष पूजा-अर्चना होती है। सुबह से ही मंदिरों पर भक्तों का तांता लग जाता है। जगह-जगह भंडारों का आयोजन किया जाता है। जो देर रात तक चलता है। मैं पूजा-अर्चना किशोरावस्था में ही छोड़ चुका था। क्योंकि मैं पूरी तरह ईश्वरी सत्ता पर विश्वास नहीं कर पा रहा था। बीस का होते-होते आधा-अधूरा विश्वास भी खत्म हो गया था। ईश्वर है, ईश्वर की सत्ता है यह सब मुझे कोरी कल्पना लगते।
उस दिन जेठ महिने का तीसरा बड़ा मंगल था। इस दिन लखनऊ के सभी हनुमान मंदिरों पर विशेष पूजा-अर्चना होती है। सुबह से ही मंदिरों पर भक्तों का तांता लग जाता है। जगह-जगह भंडारों का आयोजन किया जाता है। ...Read Moreदेर रात तक चलता है। मैं पूजा-अर्चना किशोरावस्था में ही छोड़ चुका था। क्योंकि मैं पूरी तरह ईश्वरी सत्ता पर विश्वास नहीं कर पा रहा था। बीस का होते-होते आधा-अधूरा विश्वास भी खत्म हो गया था। ईश्वर है, ईश्वर की सत्ता है यह सब मुझे कोरी कल्पना लगते।
दबाव तब और बढ़ गया जब मेरे छोटे भाई जिसकी शादी मुझ से डेढ़ साल बाद हुई थी वह जल्दी-जल्दी दो बच्चों का पिता बन गया। बीवी अब हफ्ते में कम से कम दो बार तो यह डायलॉग बोल ...Read Moreकि ‘बेटा पांच साल का हो गया है। अम्मा-बाबूजी की भी उमर अब सत्तर पार हो रही है। अगला बच्चा क्या बुढ़ापे में करोगे। अम्मा-बाबूजी के रहते हो जाएगा तो वो कितना खुश होंगे । अब दोनों लोग जीवन के ऐसे पड़ाव पर हैं कि कब तक साथ रहेंगे कुछ नहीं कहा जा सकता।
एक इंसान जो अब इस दुनिया में नहीं रहा उसके शरीर पर भी खिलवाड़, प्रतिशोध, वार। यह सोचते-सोचते मैं पुल के नीचे छाया में पहुंच गया। गोमती की धारा पुल से काफी आगे बीचो-बीच थी। वहां पांच-छः लोग और ...Read Moreथे जो दीवार के सहारे टेक लगाए बैठे थे, ये गांजा, भांग, चरस, स्मैक का नशा करने वाले वह नशेड़ी टाइप के लोग थे, जो हनुमान सेतु मंदिर, इस पुल के बीच मंडराया करते हैं। मंदिर में आने वाले भक्तों से जो कुछ खाने-पीने को और पैसे मिल जाते है उन्हीं से पेट भरते हैं और नशे का जुगाड़ करते हैं। मैं उन सबसे चार क़दम पहले खड़ा सोच ही रहा था कि क्या करूं तभी देखा गोताखोर भी वहीं आ कर बैठ गया।