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घने जंगलों को देखकर यह ना समझे जंगली जानवर मिलेंगे वहां आजकल जंगलों में प्रेमी जोड़े भी देखने को मिल सकते हैं । बुद्धा जयंती पार्क दिल्ली -रनजीत कुमार तिवारी
सबकुछ मिला यहां पर सच्चे मित्र की तलाश आज भी है।
खुबसूरत आप है या खुबसूरती ही आप है। रनजीत
मेरा राज दुलारा कहकर, जिनको मैंने पाला । लहुलुहान हुआ लाडला, हम सबका रखवाला।। सिसक रही मां की ममता अपने बेटे को खोकर। पत्नी भी हतास दुखी हैं, खाकर ऐसी ठोकर।। राखी के दिन राखी बांधूंगी,मैं तो रास्ता देख रही थी। एकलौता भाई खोकर बहन भी जोर से चिख रहीं थी।। हतास दुखी होकर पिता के आंसू भी बह रहे हैं। मेरा बेटा शेर था ऐसा गर्व से कह रहे हैं।। बच्चे पिता को चिर निद्रा में सोता देख मां से क्यों रो रही पुछ रहें। भोले नन्हे बालक की बातों पर सबके ह्रदय रो रहें।। रक्षा किया आखिरी सांस तक अपने प्राण लुटाकर।। धन्य हो गये तुम बिर सपुतो भारत मां की लाज बचाकर। अमर हो गए दुनिया में भारत का मान बढ़ाकर।। गालवान घाटी की आड़ में,चिन ने अंडरवर्ल्ड डिल मनाया।। भारत के जांबाजों ने उनको उनकी अवकात दिखाया।। निहत्थे विर सपुतो ने देश की खातिर जान गंवाया। इतिहास के पन्नों पर 17 जून 2020 का नाम दर्ज कराया।। लेकिन भारत के कुछ जयचंदो से,इस देश के लोग शर्मिंदा हैं। क्योंकि इन बिर जवानों राजनीति में यह करते निंदा है।। यह खादी की आड़ में जो, कर रहे गोरख धंधे हैं। इन्हीं लोगों की वजह से देश की हालात बद्तर है।। मैं भारत के बिर शहिदों को समर्पित कुछ पंक्तियों के माध्यम से उनके परिवार और घर वालों के दुखों को बयां करने की एक छोटी सी कोशिश, विन्रम श्रद्धांजलि, ह्रदय की अनन्त गहराइयों से धन्यवाद आभार प्रकट करने की मन में अभिलाषा से प्रेम पुर्वक निकले मन में बिचार को अपनी टुटी,फुटी भाषा का रूप अपनी समझ से देने की कोशिश किया हूं। अच्छा लगे तो मेरा मनोबल बढ़ाने की कृपा करें। धन्यवाद आभार जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम 💐🇮🇳🙏
गरिब दिल से नहीं हूं हालात जरूर खराब है।समय आज तुम्हारे साथ है कल मेरा भी होगा।
http://changelife87.blogspot.com/2020/06/blog-post_15.html
जिवन की सच्चाई यह है।हम दुर है आपसे लेकिन दिल से नहीं।
लोग सब कुछ बेच रहे खुले बाजार में, मेरी कोई किमत नहीं इस व्यापार में।
आइए रूबरू होते हैं,आज की हालातों से। दोष किसका है,चंद छोटी मुलाकातों में।। हर जगह मौजूद है, दुष्कर्म, भ्रष्टाचार यहां। आइए रूबरू होते हैं,आज की हालातों से।। खुद करते हैं हम चाहे ,100 गलत काम खुद। लेकिन दुसरा ना करें,गलत कोई चाहतें हम।। क्या मिशाल दूं इस तरह, मैं ऐसे मानवता की।। ऐ दिल, तु खुद, मुझे इतना बता,दोष किसका है। चंद मुलाकातों में, आइए रुबरु होते हैं, हालातों से।। मुझे शिकवा नहीं,किसी की बातों से, मेर लफ्ज़ है। लड़ने को हालातों से, सच्ची बातों से, देश के नातो से।। आइए रूबरू होते हैं, आज की हालातों से। धन्यवाद आभार रनजीत कुमार तिवारी
कोई खबर हमारी भी ले लो, इतने बड़े शहर में हम भी अकेले हैं।
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