रत्ना पांडे, खंडवा (मध्य प्रदेश) की रहने वाली हैं तथा इस समय वडोदरा (गुजरात) में रह रही हैं। देश के विभिन्न कोनों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र और पत्रिकाओं में इनकी 450 से अधिक कविताएं, लघु कथाएं तथा कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं। इनकी रचनाएँ मुख्यतः पारिवारिक संबंधों, नारी, देश-भक्ति तथा सामाजिक घटनाओं पर केंद्रित रहती हैं।

“अब मैं बड़ी हो चुकी हूँ मम्मा। मुझे मेरी ज़िन्दगी के निर्णय लेने का पूरा हक़ है। आप मुझे इस तरह से रोक नहीं सकतीं । मैं उससे प्यार करती हूँ और उसके लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ।”
आगे क्या हुआ पढ़िए मेरी कहानी "फ़्लैट नंबर 444" नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके :-
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इस समय देश के बहुचर्चित मुद्दे पर लिखी मेरी रचना #हासिल_कुछ_भी_ना_हुआ को अवश्य पढ़ें और शेयर करें।

मेरी कविता "बाल दिवस" पढ़िए:-

मेरी रचना "दुःख" पढ़िए:-

मेरी रचना "गौ माता" पढ़िए:-

आप सभी को दीपावली पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

मेरी रचना "सुख दुःख की परिभाषा" पढ़िए:-

आज मातृभारती से जुड़े मुझे एक वर्ष पूरा हो गया। पिछले वर्ष १५ अक्टूबर २०२१ को मातृभारती से जुड़ना मेरे लिए सौभाग्य बन गया। मेरी कहानियों को बहुत प्यार मिला, बहुत आदर सत्कार मिला। इतने कम समय में लाखों पाठक मिले। मेरी कहानियों के प्रति पाठकों का प्यार व स्नेह देखकर और अधिक मेहनत कर लिखने की प्रेरणा भी मिली। मैं हमेशा अपने पाठकों की उम्मीद पर खरा उतरने का कोशिश करूंगी। मैं कामना करती हूँ कि यह प्लेटफॉर्म नित नई ऊँचाइयों को छुए और अधिक सफलता प्राप्त करे। मैं टीम मातृभारती की भी सराहना करती हूँ जो इस तरह निःस्वार्थ भाव से मेहनत कर हम जैसे लेखकों को आगे बढ़ने की एक नई राह दिखा रहे हैं।

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आप सभी को करवा चौथ की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

मेरा धारावाहिक "कौन है खलनायक" पढ़िए मातृभारती पर नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके:-
https://www.matrubharti.com/novels/32144/kaun-hai-khalnayak-by-ratna-pandey

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