The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
1
879
3.2k
निशब्द मन, उन्मुक्त विचार
This is what the poem is जो छुए बिना स्पर्श करे कविता वो प्रहार है, सुनने, पढ़ने तक तो ठीक, पर कविता लिखने में कुछ बात है एक इंसान निभाता यहां ढेरों जिम्मेदारियां एक कविता कई किरदारों का सार है एक मंद हँसी में छिपे सारे राज तो एक मंद हंसी में दिखते सारे भाव और कविता हर एक हँसी का जवाब है। बातें हो बचकानी या फिर बातें करो सयानी बातें ही तो है, आज नई है कल थी पुरानी पर कविता की बातों में, कुछ बात है नज़रे चुराके के क्या छुपाते हो है ही क्या, जो नज़रे दिखाते हो नज़रों की बात कर तो, कविता का हर नजर ही खास है जब तक हटके ना हो कविता कहा लाजवाब है सुन सको तो मधुर पुकार देख सको तो एक श्रृंगार कई प्रकारों का एक प्रकार जो खुद की करता है प्रचार sakshi ✍️✍️
.
असत्य न टिकता है सत्य ना दिखता है सत्य कि ही जीत है पर फिर भी सत्य छिपता है सत्य कहना हि बड़ा इसलिए असत्य निकल पड़ा जो दिखता नहीं वही सत्य है झुकता नहीं वो सत्य है, सत्य, अस्तय से घिरा जीत ले हर राह वो सत्य है साक्षी ✍️✍️
very beautifully defined the beauty.
ईमानदारी गुम है ये जहाँ में बेईमानी सर चढ़ जो आई है हर कदम फूँक-फूँक रखना जनाब सच्चे वफ़ा ने ओढ़ी झूठी परछाई है, काला चढ़ जाता है, हर रंग के ऊपर सच्चाई का रंग अपना अस्तित्व भूल आई है। भोला-भाला पिस जाता यहाँ, एक मासूम पे सौ बला उतर आई है। बेईमान ईमानदारी का क्या करे? सच्चे ईमान पर झूठ का पलड़ा भारी है। शहद सी मीठी, ज़हर ये लगती, देखें भी तो आंखें चौंधिया आई है। ईमानदारी गुम है ये जहाँ में बेईमानी सर चढ़ जो आई है #sakshi
अगर शब्द ये मेरे बोल पाते लंबी दास्तां ये सुना जाते, बोलकर कभी ये थकते ना, अश्रु सबके निकल आते अगर शब्द ये मेरे बोल पाते। -Sakshi
जो आपके नकारत्मक पहलुओं पर प्रहार करके आपका फायदा उठाता है, वो सबसे बड़ा दुश्मन होता है। -Sakshi
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
Copyright © 2022, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser