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Thank You Universe...
मोल हर किसीका बस कुछ इतना है कौन किसके लिये जरूरी कितना है ये दुनिया एक झाँकी यहीं रीत है यँहा की देखे तु खर्च कितना कितना बचा है बाकी यंही छोड़ जाना है पास जो भी जितना है सपनों को बेचकर चला जाये सौदागर क्या रोये पछताए किस्मत के नाम पर ख़्वाब से किस्मत का कँहा रोज मिलना है ये अपना वो अपना है ये मीठा सपना सभी जाने है यँहा किसको कँहा रखना जीत की खुशी तो पहले हार को चखना है Sagar ....
इश्क का रंग बदला है जीने का ढंग बदला है बीच से प्यार महोब्बत के सुना है रस्ता निकला है किसने कँहा के प्यार बस ईकबार होता है यँहा हर रोज कोई किसीको खोता है दामन किसीका छूटे तो साथ किसीका मिला है अब ना किसे तक़रार,कोई कंही से मुड़ जाये अब वो प्यार कँहा जो परवान चढ़ जाये वक़्त के संग आशिक गिर के सँभला है क्या पता किसी और को या खुदको फसाते है शादीशुदा भी आजकल इश्क़ लड़ाते है दिल कभी किसीका तो कभी पाँव फिसला है बीच से प्यार महोब्बत के सुना है रस्ता निकला है Sagar...✍️
ऐसी ही नही है जो हवा सी आयेगी जायेगी जिंदगी है सिखायेगी ,समझायेगी और वक़्त पे ढल जायेगी sagar...✍️
भूलूंगी ना मै तुम्हे तुम मुझे ना भूलना आंखों का सपना बनके जीवनभर मिलना शायद आज के बाद हम मिल नहीं पाएंगे कदम मिलाकर साथ अब चल नहीं पाएंगे मेरा जानकर तुम रखना खयाल अपना आंखभर आए कभी तो सीने पे हाथ रखना औरोंकी तर्हां हमको नहीं लैला मजनू बनाना मै बेटे को तेरा नाम दूं तुम बेटी का रखना यादों को समेटकर रखा है सीने मे ये सोचकर मिल जाए अगर कभी जीवनके किसी मोड़पर इंतजार होगा मेरी आँखोंमे पर तुम राह न तकना Sagar...✍️
दिल टूटा है किसीका,तो क्या हुआ साथ छूटा है किसीका,तो क्या हुआ किसे मिल जाये इश्क मे खुदा कोइ हो जाये मिल के जुदा ये तो नसिब की बात है कब दे जाये किसको दगा नसिब रुठा है किसिका,तो क्या हुवा साथ छुटा है किसिका,तो क्या हुवा कोइ चाहता है किसी को वो चाहे और किसी को इस चाहत मे चाहत का इंतजार है सभिको इश्क़ झुटा है किसिका, तो क्या हुवा साथ छुटा है किसिका,तो क्या हुवा लिख डाले लिखनेवाले ने कौन अपने कौन बेगाने पर ये भेद ना सिखलाया उनको कैसे पहचाने सपना टूटा है किसिका,तो क्या हुवा साथ छुटा है किसिका,तो क्या हुवा Sagar...✍️
जाने किस दिशा मे वो पंछी उड़ गये कुछ हवा ऐसी चली के दोंनो बिछड़ गए साथ जिना साथ मरना था उनको किसको पता बिछड़ना था उनको रोज की तरहा फिर हवा से भिड़ गये कुछ हवा ऐसी चली के दोंनो बिछड़ गए चल सका ना जोर मौसमपे किसका सह सके ना पंख दौर मुश्किल का आले ऐसे गिरे के सारे पंख सीकड़ गये कुछ हवा ऐसी चली के दोंनो बिछड़ गए किस्मत का खेल कहे या हाथ की रेखा उस दिन के बाद उनको किसने ना देखा घोसले के अब तो सारे तिनके उखड़ गये कुछ हवा ऐसी चली के दोंनो बिछड़ गए Sagar...✍️
क्यु है बैचैन क्या है खोने के लिए आँख नही है सिर्फ रोने के लिए समंदर भरा पड़ा है खारे पानी से क्या लेना किसे बेजुबाँ आंसू से कोई भाषा नहीं आंसू पढ़ने के लिए आँख नही है सिर्फ रोने के लिए ले देकर कौन कितना जीता है यँहा हाँ कुछ लोग है किताब मे जमां किताबका इस्तमाल नींद आनेके लिए आँख नही है सिर्फ रोने के लिए Sagar...✍️
मोल हर किसीका बस कुछ इतना है कौन किसके लिये जरूरी कितना है दुनिया है एक झाँकी ये रीत है यँहा की देखे तु खर्च कितना कितना बचा है बाकी आज नहीं तो कल सबकुछ बिकना है सपनों को बेचकर चला जाये सौदागर क्या रोये क्या पछताए किस्मत के नाम पर मेल ख़्वाब से किस्मतका कहाँ रोज होना है Sagar...✍️
जाने क्यु कबसे यूं दिल मचल रहा है कोई दूर है ऐसे जैसे साथ चल रहा है कुछ कहा ना किसने ना हमने ना ही उसने पर बाते सब करली उस नजर से नजरने दिन ख्वाबोंसे शुरू ख़यालोमे ढल रहा है कोई दूर है ऐसे जैसे साथ चल रहा है कैसी ये रुत है आयी ना नींद ना अंगड़ाई किस हकीम से मिलेगी इस रोग की दवाई जाड़े का है मौसम पर दिल पिघल रहा है कोई दूर है ऐसे जैसे साथ चल रहा है Sagar...✍️
मिलते बिछड़ते है सब ऐसे ही चलते है भवंर मे यादों के रोज डूबते उभरते है सब ऐसे ही चलते है जीवन का कोई हिस्सा बन जाता है जब किस्सा उस किस्से के साये मे यूँ ही बुझते जलते है सब ऐसे ही चलते है एक मोड़पे सब रुक जाए हाथ सर शरीर झुक जाए उस पल पीछे मुड़के किस्मत को तकते है सब ऐसे ही चलते है इश्क़ से बड़ी कोई दवा नहीं बेवफाईका होता कोई गवा नहीं जिस दवा के असर से घर बसते उजड़ते है सब ऐसे ही चलते है Sagar...✍️
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