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मैं तारा गुप्ता लखनऊ (उ.प्र.) से मेरी लेखन की मूल विद्या कविता व, गीत एवं कहानी हैं .मेरी रचनाएं अनेक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं. वर्तमान में मैं सद्ग्रहणी होने के साथ -साथ सहित्यिक गति विधियों के साथ ही सामाजिक गतविधियों में भी संलग्न हूं.
देख लो भर नयन एक नजर ही सही । मौन संवाद से ही दिल सम्भल जायेगा। नजर नजर से जो बातें हो जाएंगी प्रेम एहसास से भी मन पिघल जाएगा।। -Tara Gupta
हिचकियों से मानते हैं याद कर रहा है कोई । मैंने याद किया जब भी किसी को रात भर नहीं सोई।। -Tara Gupta
एक नशा सा जेहन में उतर जाएगा। तेरे मुस्कुराने से दिल ये बहल जाएगा । सांस के तार से हृदय साज बज जाएगा। एक एहसास ही से जीवन संवर जाएगा।। जाएगा -Tara Gupta
बिना कहे संवाद होने लगे ओंठ मुसकाए, पलकें झुकने लगे गीत संगीत सी प्रिये रवानी बनो ये सरगम सा जीवन संवर जाएगा।। -Tara Gupta
मन बावरा ढूंढ रहा, केवल तेरी एक झलक। चुपके चुपके तकती हूं, झपकूं नहीं कभी पलक। मुंदी हुई आंखों में, जगीहुई , मन में जो आस। तृप्ति की दो बूंदों से बुझ जाएगी मन की प्यास। -Tara Gupta
नैनों से खींच कर तस्वीर दिल में छुपा ली मैंने । नजर न लग जाए इसलिए जहन में बसा ली मैंने -Tara Gupta
बहते आंसू दिल का दर्द बयां करते हैं, दर्द बहुत टीसते हैं, बहते ही अच्छे लगते हैं।। -Tara Gupta
रात-रात अध खुले नयन मेरी नींदे हैं, हर लेतीं सुधियों ने आ किया बसेरा बाट निहारूँ सुबहो शाम, तुम कहते हम दूर नही ।। -Tara Gupta
सदा कहते थे हम मजबूर हैं। न चाहते हुए भी हम दूर हैं चुरा के मेरा दिल मेरी धडकन कह रहे हैं बेकसूर हूँ मैं ।। -Tara Gupta
हृदयांगन में प्रणय पुष्प की इठलाती सी बेल फली अधरों पर नाम हठिला तेरा तेरी खुशबू मन में आन बसी।। -Tara Gupta
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