नमस्ते, मेरा नाम राजनारायण बोहरे है। मैं अपने आसपास की कहानियां लिखता हूँ। मेरे उपन्यास बाली का बेटा, मुखबिर और तमाम कहानियां मातृ भारती पर है। मेरे कहानी सँग्रह यात्री प्रकाशन(इज़्ज़त-आबरू) मेधा बुक्स (गोस्टा तथा अन्य कहानियां) भारतीय ज्ञान पीठ (हादसा) ज्योति पर्व प्रकाशन(मेरी प्रिय कथाएँ) आये हैँ जिनमे से कुछ कहानियां मातृभारती पर भी हैं। आइए मेरी कहानियों के सँग इस अजब औऱ प्यारी दुनिया की यात्रा करते हैं। राज बोहरे मोबाइल 9826689939

एकरँग का सन्नाटा है झिलमिल भी है दिल,
वैसे तो है स्मार्ट बड़ा सिलबिल भी है दिल!
स्थिर है चट्टान सरीखा रिश्तों में बदलाव नहीं,
मर्जी होतो बदले रिश्ते यूँ पागल भी है दिल!!

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