Dr. Dilbag Singh Virk Books | Novel | Stories download free pdf

युगांतर - भाग 37

by Dilbag Singh Virk
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हर काम की शुरुआत मुश्किल होती है और जब किसी काम की शुरुआत हो जाती है, तो रास्ता अपने ...

युगांतर - भाग 36

by Dilbag Singh Virk
  • 1.4k

जब जीने का कोई मकसद हो, तब जीना बड़ा आसान हो जाता। कोई मुसीबत फिर आपको रोक नहीं सकती। ...

युगांतर - भाग 35

by Dilbag Singh Virk
  • 2.2k

दुख आदमी को चिंतन करने पर मजबूर करता है। दुखी होकर आदमी अपनी उन गलतियों को याद करता है, ...

युगांतर - भाग 34

by Dilbag Singh Virk
  • 1.5k

उतार-चढ़ाव तो हर किसी के जीवन में लगे रहते हैं, लेकिन किसके जीवन में कितना उतार आता है और ...

युगांतर - भाग 33

by Dilbag Singh Virk
  • 2.2k

ग़म का अँधेरा खुशियों के उजाले को लील जाता है। यशवंत का बाहर आना-जाना बंद कर दिया गया, लेकिन ...

युगांतर - भाग 32

by Dilbag Singh Virk
  • 1.5k

'जन चेतना मंच' द्वारा उठाया गया नशे का मुद्दा भी सबसे ज्यादा शंभूदीन को प्रभावित कर रहा था। भ्रष्टाचार ...

युगांतर - भाग 31

by Dilbag Singh Virk
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यूँ तो हर नेता यही कहता है कि वह सेवा के लिए राजनीति में आया है, लेकिन ऐसा होता ...

युगांतर - भाग 30

by Dilbag Singh Virk
  • 1.8k

यूँ तो हम भगवान की भक्ति करते हैं, लेकिन असल में भगवान को नौकर समझते हैं। भगवान हमें ये ...

युगांतर - भाग 29

by Dilbag Singh Virk
  • 1.7k

आदमी भी विचित्र जीव है। किसी सिद्धांत पर स्थिर रहना उसकी फितरत नहीं, अपितु वह तो सिद्धांतो को मनमर्जी ...

युगांतर - भाग 28

by Dilbag Singh Virk
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परिणाम की घोषणा के दो दिन बाद यादवेंद्र शंभूदीन की कोठी पर पहुँचा। वहाँ मौजूद अमित ने व्यंग्य किया, ...