Gopal Mathur Books | Novel | Stories download free pdf

उम्र के दिसम्बर में

by Gopal Mathur
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गोपाल माथुर मैं इन खण्डहरों में बस यूँ ही आ गया हूँ. मुझे यहाँ एक अजीब सी सान्त्वना मिलती ...

जहाँ ईश्वर नहीं था - 4 - अंतिम भाग

by Gopal Mathur
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4 मैंने कहा, ”भले ही मुझे थाने ले चलो, पर उस बेचारी को कुछ खाने को तो दे दो. ...

जहाँ ईश्वर नहीं था - 3

by Gopal Mathur
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3 पर उनके पास हितेश की बात मानने के अतिरिक्त कोई चारा भी नहीं था. उन दोनों के चले ...

जहाँ ईश्वर नहीं था - 2

by Gopal Mathur
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2 अरे ! शीशे में यह कौन था ! इतने भद्देे से कान, खिचड़ी से बाल, किसी फटे हाल ...

जहाँ ईश्वर नहीं था - 1

by Gopal Mathur
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गोपाल माथुर 1 आँख कुछ देर से खुली. बाहर सुबह जैसा कुछ भी नहीं लगा, हालांकि सूरज निकल चुका ...

एक यात्रा समानान्तर - 3 - अंतिम भाग

by Gopal Mathur
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3 ”और तुम्हारे उन्हीं भटके हुए दिनों की सजा मैं भुगत रही हूँ.“ वह सीधे निखिल को देखती हुई ...

एक यात्रा समानान्तर - 2

by Gopal Mathur
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2 होटल के काॅरीडोर के आखिर में छोर पर है उसका कमरा, जहाँ इस समय वह अकेली लेटी हुई ...

बीच में कहीं

by Gopal Mathur
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गोपाल माथुर क्या आपने कभी किसी अनजान शहर में ऐसी शाम बिताई है, जहाँ आपको ऐसे व्यक्ति की प्रतीक्षा ...

एक यात्रा समानान्तर - 1

by Gopal Mathur
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गोपाल माथुर 1 वह घिसटने लगती है. सारा थकान हमेशा पाँवों में ही क्यों उतर आती है ? कन्धे ...

अँधेरे का सच

by Gopal Mathur
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मैं अचानक लाइब्रेरी की सीढ़ियों पर ठिठक गया. मैंने देखा, मेरे साथ साथ धूप भी उतरने की तैयारी में ...