Dr. Suryapal Singh Books | Novel | Stories download free pdf

कंचन मृग - 16. जौरा यमराज को भी कहते हैं

by Jitesh Pandey
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16. जौरा यमराज को भी कहते हैं सायंकाल महाराज जयचन्द ने मंत्रिपरिषद के सदस्यों से विचार-विमर्श प्रारम्भ किया। जयचन्द ...

कंचन मृग - 15. उद्विग्न नहीं, सन्नद्ध होने का समय है

by Jitesh Pandey
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15. उद्विग्न नहीं, सन्नद्ध होने का समय है उदयसिंह का मन अब भी अशान्त था। शिविर के निकट ही ...

कंचन मृग - 13-14. मेरी यात्रा को गोपनीय रखें

by Jitesh Pandey
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13. मेरी यात्रा को गोपनीय रखें-मध्याह्न भोजन के पश्चात महाराज जयचन्द अलिन्द से निकलकर उद्यान का निरीक्षण कर रहे ...

कंचन मृग - 11-12. अब वे अकेले हो गए हैं

by Jitesh Pandey
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11. अब वे अकेले हो गए हैं- प्रातः लोग तैयारी कर ही रहे थे कि शिशिरगढ़ से पुरुषोत्तम कुछ ...

कंचन मृग - 9-10. विश्वास नहीं होता मातुल

by Jitesh Pandey
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9. विश्वास नहीं होता मातुल आल्हा प्रस्थान का निर्देश दे ही रहे थे कि माहिल आते दिखाई पड़ गए। ...

कंचन मृग - 8. हर व्यक्ति चुप है

by Jitesh Pandey
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8. हर व्यक्ति चुप है- चन्द्रा मुँह ढाँप बिस्तर पर पड़ी है। चित्रा पंखा झल रही है। चित्रा चन्द्रा ...

कंचन मृग - 7. यह क्या हो गया दीदी ?

by Jitesh Pandey
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7. यह क्या हो गया दीदी ? दशपुरवा में आल्हा की बैठक में भारी भीड़ है। सभी अपने-अपने ढंग ...

कंचन मृग - 6. हमें थोड़े करवेल्ल चाहिए

by Jitesh Pandey
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6. हमें थोड़े करवेल्ल चाहिए-नगर के एक मार्ग पर अयसकार रोहित जा रहा था। दूसरी ओर से एक व्यक्ति ...

कंचन मृग - 5. सत्ता को कभी-कभी निर्मम होना पड़ता है

by Jitesh Pandey
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5. सत्ता को कभी-कभी निर्मम होना पड़ता है- महारानी मल्हना मूर्च्छित हैं। सेविकाएं उन्हें सँभालने का प्रयास कर रही ...

कंचन मृग - 4. माई साउन आए

by Jitesh Pandey
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4. माई साउन आए- बारहवीं शती का उत्तरार्द्ध। महोत्सव वास्तव में उत्सवों का नगर था। नर-नारी उल्लासमय वातावरण का ...