अध्याय 2 - आत्म परीक्षारात्रि के अंतिम पहर की निस्तब्धता में हस्तिनापुर जैसे किसी अदृश्य प्रतीक्षा में स्थिर था। ...
जब सृष्टि के आदिकाल में ऋषियों ने वेदों का प्रथम निनाद सुना, तभी यह भी घोषित हुआ कि धर्म ...
1) जो व्यक्ति दूसरों को बदलने का व्यर्थ प्रयास करता हैं, वह अपने समय और जीवन दोनों को बर्बाद ...
सुबह का पहला उजाला अभी धरती को छू भी नहीं पाया था। ओस की बूंदें अभी भी हरे पत्तों ...