कर दी सालों की ढिबरी टाइट.......खा गया सालों को, .......उनकी तो मां.......! सभी अवाक् गुरमीत को देखे जा रहे ...
दादाजी नहीं हैं, क्या राज को उनके विषय में इस तरह सोचना चाहिए नहीं! मृत व्यक्ति की तो ...
यह आर्ट और कला से अधिक बेकार की वस्तु तो कोई है ही नहीं। जब भूख लगती है तो ...
गाड़ी फिर रुक गयी है। बाहर स्टेशन नहीं दीख रहा। अंधेरा कुछ अधिक ही है-बाहर भी और भीतर भी। ...
पिताजी सदा ही एक तानाशाह रहे। उस समय वातावरण ही कुछ ऐसा था। विश्व में हिटलर और मुसोलिनी का ...
, यार, यह विमान अगर गिरना ही था, तो साला समुद्र में क्यों गिरा सोच, कितनी ...
अभय बैंक में काम करता था। महत्वाकांक्षा तो उसमें कूट-कूटकर भरी थी। किसी भी तरह विेदेश जाकर बसने का ...
वह इसी द्वंद्व में थी कि वह क्या करे। यही द्वंद्व उसे बड़ी बहन निर्मला के पास ले गया। ...
कितने दिन, कितने महीने, कितने वर्षों तक इस दर्द को सहा है मैंने। लगता है अब यह दर्द जान ...
सारा शहर ऊंची-ऊंची इमारतों से घिरा पड़ा है-ईटों का जंगल। उन माचिसनुमा बिल्डिगों में मैं भी अपने लिए एक ...