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बख्शीश जाड़े की साँय—साँय करती रात । श्मशान—सी सुनसान सड़कें । पूरे शहर में जैसे कफ्रर्यू लगा हुआ हो ...
कथाकार माघ का सर्द महीना । ठंड और ओस में निर्वसन नहाती भोर की बेला । बपर्फीली हवाओं के ...
पगला ‘‘....वही आपका साथी पगला !'' गिरिजा खबर सुनाते हुए चाय का प्याला थमाकर हाथ मटकाती चली गयी । ...
टेंटुआ रमनथवा हजाम का घिघियाना बाबू दीनानाथ सिंह ने हवा में उछालकर बैरंग लौटा दिया, ‘‘नहीं, तू अगर अपना ...
बहुरूपिये दोनों कुलियों ने माथे पर लदे माल—असबाब उतारे और गमछे से अपने—अपने चेहरे का पसीना पोंछने लगे, ‘‘बड़ा ...
ढिबरी खटिया पर पड़े—पड़े माँ को झपकी आ गयी थी । उनकी सूनी—सपाट आँखों के कपाट अचानक बन्द हो ...
लौटते हुए ‘बंगला' खचाखच भरा हुआ था । सभी लोग आ—आकर बैठते जा रहे थे । कहते हैं, बहुत ...
दूरियाँ उससे मिलने के लिए मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी । आज ज्यों ही उस पर नजर पड़ी ...
प्रतिशोध ‘आइसक्रीम..... मलाईबरपफ.... ले लो बाबू.... दूध् वाली.... मलाई वाली.... आइसक्रीम..... !' पूरे गाँव में पेफरी लगाता हुआ बहिरा ...