चंद्रगुप्त - चतुर्थ - अंक - 44

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एक ओर से सपरिवार चन्द्रगुप्त और दूसरी ओर से यवन सेनापति प्रवेश करते हैं और वे सब साथ साथ बैठ जाते है चन्द्रगुप्त विजेता सिल्यूकस का अभिनंदन करते हैं और उनका स्वागत करते हैं सिल्यूकस कहेते हैं की आज वे विजेता नहीं है और विजित से अधिक भी नहीं है वे सिर्फ संधि और सहायता हेतु आये हैं चन्द्रगुप्त उनकी बात से सहमती जताते हुए कहेते हैं की वे दोनों अब शस्त्र विराम कर चूके हैं इस लिये अब ह्रदय का विनिमय करेंगे फिर चन्द्रगुप्त व् सिल्यूकस की चर्चा आगे बढ़ती है जिसमे राजकुमारी कार्नेलिया भी शामिल होती है और फिर....