पराभव - भाग 18

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पराभव मधुदीप भाग - अठारह "आज किसके लिए पकवान बना रही हो?" रसोई के सामने खड़े होकर श्रद्धा बाबू ने नशे के कारण अपनी लड़खड़ाती आवाज में कहा | "आपके लिए!" किसी विवाद से बचने के लिए मनोरमा ने हल्की-सी मुसकान के साथ कहा | "मेरे लिए कभी तुमने पकवान बनाए हैं क्या?" विवाद करने वाला झगड़े का कोई न कोई कारण खोज ही लेते है, "हरामजादी, क्या इस घर में भी तेरे यार आने लगे |" श्रद्धा बाबू ने चीख कर कहा | "क्या बकते हो, जरा धीरे बोलो |" क्रोध को अन्दर ही अन्दर पीते हुए भी मनोरमा