मानवता के झरोखे

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रूढ़ियो की जंजीरों में जकड़े हुए पुरुषवादी समाज का एक अंश 21वी शताब्दी में भी नारी-शक्ति की अवहेलना और संविधान प्रदत्त उसके अधिकारों की अवमानना करते हुए उसका तिरस्कार कर रहा है । एक बेटी के रूप में नारी की बौद्धिक एवं संवेदनात्मक शक्ति का कलात्मक शैली में परिचय देते हुए इस कहानी का कथानक गढ़ा गया है। एक बेटी आज समाज हर क्षेत्र में अपने अधिकारों के प्रति जागरुक है और किस प्रकार वह समाज की उन्नति में अपना योगदान देती है , इस भाव को जीवंतअभिव्यक्ति दी गई है।