ગણિકા.. !

(82)
  • 6.1k
  • 11
  • 1.3k

जीस्म बेचा हैं मैंने....रुह नही अब तक... इन्सान तो मैं भी तेरी तरहा ही हुं फीर भी आ जाती हैं मुझे शर्म कभी कभी... इसीलीये तेरे दिये घाँव पर मैं उफ्फ नही करती... खुन जैसा कुछ़ मेरा भी नीकलता हैं और दर्द भी हो जाता हैं जरा सा...!!