शांतनु - १०

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शांतनु लेखक: सिद्धार्थ छाया (मातृभारती पर प्रकाशित सबसे लोकप्रिय गुजराती उपन्यासों में से एक ‘शांतनु’ का हिन्दी रूपांतरण) दस चारों जोड़ीयों में ही सीड़ियाँ चढ़ रहे थे, मतलब शांतनु और अनुश्री और सीरतदिप और अक्षय| सबसे पहले अक्षय दरवाज़े पर पहुंचा और उसने दरवाज़ा खोल कर दोनों ‘लेडीज़’ को अंदर आने का आदर पूर्ण इशारा किया| यह देख कर शांतनु को लगा की उसे अभी भी अक्षय के पास बहुत कुछ सीखना बाकी है| अंदर जाते ही रेस्तरां के फ्लोर मेनेजर ने कितने लोग है वगैरह की पुछताज की और उन चारों को ‘व्यु साइड’ टेबल दिया, जहाँ से बहार